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Rupee vs Dollar: रुपये में गिरावट से महंगे होंगे मोबाइल और कार, कंपनियों की मैन्यूफैक्चरिंग लागत बढ़ी

डालर के मुकाबले रुपये के मूल्य में गिरावट का असर अब चौतरफा नजर आने लगा है। सोमवार को एक डालर की कीमत 82.40 रुपये हो गई। रुपये में गिरावट के असर से मैन्यूफैक्चरिंग लागत बढ़ने लगी है। पढ़ें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Mon, 10 Oct 2022 10:00 PM (IST)
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रुपये की कीमतों में गिरावट का असर अब साफ नजर आने लगा है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। डालर के मुकाबले रुपये के मूल्य में गिरावट का दौर जारी है, लेकिन इसका असर अब मैन्यूफैक्चरिंग की लागत से लेकर विदेश जाकर पढ़ने वाले बच्चों की ट्यूशन फीस तक पर दिखने लगा है। एक डालर की कीमत सोमवार को 82.40 रुपये हो गई और इसके साथ ही रुपया डालर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। पिछले एक साल में डालर के मुकाबले रुपये के मूल्य में 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।

विशेषज्ञों ने कही यह बात

वित्तीय विशेषज्ञों ने बताया कि विदेश में बच्चों को पढ़ाने वाले कई अभिभावक एक बार में ही तीन-चार साल की फीस जमा कर देते हैं, उन्हें रुपये में गिरावट से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। हालांकि जो अभिभावक तिमाही रूप से बच्चों की फीस जमा करते हैं और हर महीने उन्हें खर्च भेजते हैं, उन्हें इस गिरावट का असर पता चलने लगा है। विदेश में रह रहे बच्चे को प्रतिमाह एक लाख रुपये भेजने वाले अभिभावकों को अब 1.10 लाख रुपये भेजना पड़ेगा।

कार में लगने वाले 25 प्रतिशत से अधिक कलपुर्जे करने पड़ते हैं आयात

रुपये में गिरावट का असर आने वाले समय में इलेक्ट्रानिक्स वस्तुओं के साथ आटोमोबाइल की कीमतों पर भी दिख सकता है। कई प्रकार की कार व अन्य वाहनों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले 25 प्रतिशत से अधिक कलपुर्जे दूसरे देशों से आयात किए जाते हैं।

कीमतों पर दिखेगा सीधा असर

वहीं मोबाइल फोन के निर्माण के लिए अब भी 40 प्रतिशत आइटम आयात करने पड़ते हैं। टैब और लैपटाप वगैरह तो अभी पूरी तरह से आयातित आइटम से एसेंबल्ड किए जाते हैं। अन्य इलेक्ट्रानिक्स आइटम का निर्माण भी काफी हद तक आयातित आइटम पर निर्भर करता है। रुपये में गिरावट से इस प्रकार के सारे उत्पादों की लागत बढ़ जाएगी और आने वाले महीनों में कीमतों पर उसका असर दिखेगा।

घरेलू माल से बनी वस्तुओं के निर्यात पर पहले के मुकाबले अधिक फायदा

फेडरल बैंक की तरफ से ब्याज दरों में बढ़ोतरी की शुरुआत के बाद से रुपये में लगातार कमजोरी का रुख है और आने वाले समय में अभी फेड द्वारा दरों में और बढ़ोतरी की संभावना बनी हुई है। इसलिए रुपये में उथल-पुथल के साथ गिरावट का दौर जारी रह सकता है।

घड़ी जैसे आइटम भी हो जाएंगे महंगे

विशेषज्ञों के मुताबिक रुपये में गिरावट से सौंदर्य प्रसाधन सामग्री के साथ आयातित बहुमूल्य कपड़े व घड़ी जैसे आइटम भी महंगे हो जाएंगे। वहीं पूरी तरह से घरेलू कच्चे माल से निर्मित वस्तुओं के निर्यातकों को पहले के मुकाबले अधिक मुनाफा होगा। उदाहरण के लिए चाय, काफी व अन्य कृषि पदार्थों जैसे आइटम के निर्यातकों को रुपये में गिरावट का लाभ भी मिलेगा। 

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