Russian Crude Oil: रूस से कच्चे तेल की खरीद जारी रखेगा भारत, अमेरिका के दबाव का नहीं पड़ा कोई असर
भारत पूर्व की भांति ही रूस से कच्चे तेल की खरीद जारी रखेगा। इस बारे में भारत सरकार की तरफ से अमेरिका को साफ तौर पर बता दिया गया है कि अपनी ऊर्जा सुरक्षा को लेकर भारत को जहां से भी जरूरत होगी वहां से तेल की खरीद जारी रखेगा। असलियत में खाड़ी क्षेत्र और लाल सागर की स्थिति को देखते हुए अमेरिका का रुख भी बदला हुआ है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत पूर्व की भांति ही रूस से कच्चे तेल की खरीद जारी रखेगा। इस बारे में भारत सरकार की तरफ से अमेरिका को साफ तौर पर बता दिया गया है कि अपनी ऊर्जा सुरक्षा को लेकर भारत को जहां से भी जरूरत होगी वहां से तेल की खरीद जारी रखेगा।
अमेरिका के बदले सुर
असलियत में खाड़ी क्षेत्र और लाल सागर की स्थिति को देखते हुए अमेरिका का रुख भी बदला हुआ है। अभी तक भारत पर रूस से तेल नहीं खरीदने का दबाव बना रहा अमेरिका अब यह कह रहा है कि उसने भारत को यह नहीं कहा है कि वह रूस से तेल नहीं खरीदे। अमेरिका के अधिकारी अब यह कह रहे हैं कि अगर रूस से लाया गया तेल भारत में संशोधित हो रहा है तो उसे रूस का तेल नहीं कहा जा सकता।
क्या चाहता है अमेरिका
भारत रूस से जो तेल खरीदता है उससे बने पेट्रोलियम उत्पादों को यूरोपीय देश ही खरीद रहे हैं। पुराने रुख में इस बदलाव के बावजूद अमेरिका यह चाहता है कि भारत रूस से असीमित मात्रा में तेल नहीं खरीदे और जो भी तेल की खरीद हो वह कीमतों को लेकर जारी अंतरराष्ट्रीय नियमों (कीमतों की सीमा) में हो।जी-7 देशों ने तय किया है प्राइस बैंड
जी-7 देशों ने रूस से तेल की खरीद का एक प्राइस बैंड तय किया हुआ है। उद्देश्य यह है कि रूस को उसके तेल की कम कीमत मिले और दुनिया में तेल की किल्लत भी ना हो। इस बारे में यहां एक कार्यक्रम में भारत के दौरे पर आए अमेरिका के उपवित्त मंत्री एरिक वान नास्ट्रैंड ने जानकारी दी। उन्होंने कहा कि रूसी तेल से निकाले गए उत्पादों पर प्रतिबंध लागू नहीं होते हैं। एक बार जब रूसी तेल को परिष्कृत किया जाता है, तो तकनीकी दृष्टिकोण से यह रूसी तेल नहीं रह जाता है। यदि इसे किसी देश में परिष्कृत किया जाता है और फिर वह देश किसी अन्य देश को निर्यात करता है तो प्रतिबंध के नजरिये से इसे रूस से किए जाने वाले आयात की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा।
भारत को रूसी तेल में कटौती करने को नहीं कहाः अमेरिका
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका ने भारत से रूसी तेल आयात में कटौती करने के लिए नहीं कहा है। रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों का लक्ष्य और जी7 द्वारा लगाई गई 60 डॉलर प्रति बैरल की मूल्य सीमा का लक्ष्य रूस को कच्चा तेल बेचकर होने वाले लाभ को सीमित करना है और वैश्विक तेल की आपूर्ति को यथावत बनाए रखना है।हमारे लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार से तेल की खरीद करना एक वाणिज्यिक फैसला है। साथ ही यह हमारी ऊर्जा सुरक्षा से जुड़ा मामला भी है। ऐसे में भारत को जहां से भी सस्ती कीमत पर तेल उपलब्ध होता है वह खरीदता है।- रणधीर जायसवाल, प्रवक्ता, विदेश मंत्रालय
कच्चा तेल खरीदने वाले शीर्ष देशों में भारत शामिल
मालूम हो कि फरवरी, 2022 में यूक्रेन पर रूस द्वारा हमला करने के बाद पश्चिमी देशों ने उस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए थे। हालांकि, इसके बावजूद भारत रूस से कच्चा तेल खरीदने वाले देशों में शीर्ष पर रहा है। नॉस्ट्रैंड के साथ आया अमेरिकी दल इस सप्ताह भारत में सरकारी अधिकारियों और व्यापार जगत के साथ बैठक कर रहे हैं, जिससे मनी लांड्रिंग, आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने और मूल्य सीमा के क्रियान्वयन पर सहयोग पर चर्चा की जा सके।
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