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RVNL का OFS पहले दिन हुआ ओवर सब्सक्राइब, निवेशकों ने 1900 करोड़ रुपये की लगाई बोली

सरकारी कंपनी रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) में सरकार अपनी 5.36 हिस्सेदारी कम कर रही है। सरकार ये हिस्सेदारी ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) के जरिए बेच रही है। आज इस इश्यू के पहले दिन संस्थागत खरीदारों ने लगभग 15.64 करोड़ शेयरों के लिए 121.17 रुपये की सांकेतिक कीमत पर 1900 करोड़ रुपये की बोली लगाई। पढ़िए क्या है पूरी खबर।

By Gaurav KumarEdited By: Gaurav KumarUpdated: Thu, 27 Jul 2023 06:10 PM (IST)
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RVNL's OFS was oversubscribed on the first day, investors bid Rs 1900 crore

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क: सरकारी कंपनी रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) के ऑफर फॉर सेल (OFS) के पहले दिन इश्यू ओवरसब्सक्राइब हो गया। आपको बता दें कि सरकार आरवीएनएल में 5.36 प्रतिशत की हिस्सेदारी बेच रही है।

कितने करोड़ की मिली बोली?

इश्यू के पहले दिन संस्थागत खरीदारों (Institutional Buyers) ने लगभग 15.64 करोड़ शेयरों के लिए 121.17 रुपये की सांकेतिक कीमत पर 1,900 करोड़ रुपये की बोली लगाई। दो दिन तक चलने वाले इस ऑफर-फॉर-सेल (ओएफएस) में, सरकार 11.17 करोड़ शेयर बेच रही है। सरकार ने इस ओएफएस के लिए 119 रुपये के फ्लोर प्राइस तय किया है।

आपको बता दें कि सरकार ने यह कहा था कि पहले इश्यू के पहले दिन लगभग 7.08 करोड़ इक्विटी शेयर यानी 3.4 प्रतिशत शेयर बेचेगी और यदि ओएफएस ओवरसब्सक्राइब हो जाता है तब सरकार अतिरिक्त 1.96 प्रतिशत हिस्सेदारी को बेचेगी।

आज कैसा रहा शेयर?

आरवीएनएल के शेयर बीएसई के पिछले बंद के मुकाबले आज 6.77 फीसदी की गिरावट के साथ 125.25 रुपये पर बंद हुए। आपको बता दें कि सरकार के पास फिलहाल RVNL में 78.20 फीसदी हिस्सेदारी है.

कंपनी प्रोफाइल

आरवीएनएल को जनवरी 2003 में रेल मंत्रालय की 100 प्रतिशत स्वामित्व वाली सार्वजनिक क्षेत्र इकाई के रूप में निगमित किया गया था, जिसका उद्देश्य अतिरिक्त बजटीय संसाधन जुटाना और फास्ट-ट्रैक पर रेल बुनियादी ढांचे की क्षमता के निर्माण और वृद्धि से संबंधित परियोजनाओं का कार्यान्वयन करना था।

चालू वित्त वर्ष में अब तक सरकार ने 4,235 करोड़ रुपये जुटाए हैं, जिसमें कोल इंडिया में शेयर बिक्री से 4,185 करोड़ रुपये भी शामिल हैं। विनिवेश से पूरे साल का बजट लक्ष्य 51,000 करोड़ रुपये है।

क्या होता है OFS?

ऑफर फॉर सेल (OFS) बिक्री के लिए एक सरल तरीका है जिसमें सार्वजनिक कंपनियों में प्रमोटर एक्सचेंज के लिए बोली मंच के माध्यम से पारदर्शी तरीके से अपने शेयर बेच सकते हैं और अपनी हिस्सेदारी कम कर सकते हैं।

ओएफएस सेगमेंट को पहले केवल सूचीबद्ध कंपनियों के प्रमोटरों/प्रमोटरों के समूह इकाइयों के लिए अनुमति दी गई थी, ताकि वे 25 प्रतिशत की न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता हासिल करने के लिए अपनी हिस्सेदारी को कम करने/बेचने के लिए 'विक्रेता' के रूप में कार्य कर सकें।

हालांकि, अब इस सेगमेंट को कंपनी की कम से कम 10 प्रतिशत शेयर पूंजी रखने वाली पात्र कंपनियों के नॉन प्रोमोटर तक बढ़ा दिया गया है।