SBI ने ग्रीन डिपॉजिट को लेकर RBI से की बातचीत, कहा कैश रिजर्व रेश्यो को करना चाहिए कम
SBI के अध्यक्ष दिनेश खारा ने बताया कि ग्रीन डिपॉजिट को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से बाचीत हो रही है। इस बातचीत का उद्देश्य ग्रीन डिपॉजिट में लोअर कैश रिजर्व को कम रखना है। बैंक नकद आरक्षित अनुपात (CRR) को लेकर आरबीआई से बातचीत कर रहा है। एसबीआई ने पिछले महीने 1111 1777 और 2222 दिनों की टेन्योर वाली ग्रीन डिपॉजिट एफडी स्कीम शुरू की थी।
पीटीआई, नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के अध्यक्ष दिनेश खारा ने बताया कि उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से ग्रीन डिपॉजिट (Green Deposit) को लेकर बातचीत की है। इस बातचीत का उद्देश्य ग्रीन डिपॉजिट में लोअर कैश रिजर्व को कम रखना है।
दरअसल, एसबीआई ने पिछले महीने एक ग्रीन डिपॉजिट एफडी स्कीम (Green Deposit FD Scheme) की घोषणा की थी। यह पहली ग्रीन डिपॉजिट स्कीम है। इसका इस्तेमाल लॉन्ग-टर्म रिटेल के लिए किया जाएगा, जिसका उपयोग केवल हरित संक्रमण परियोजनाओं या जलवायु-अनुकूल परियोजनाओं को निधि देने के लिए किया जाएगा।
बैंक ने कहा कि ऐसी डिपॉजिट की कीमत सामान्य जमा दरों से 10 आधार अंक कम होगी। हालांकि, बैंक नकद आरक्षित अनुपात (CRR) को लेकर आरबीआई से बातचीत कर रहा है। सीआरआर वह न्यूनतम राशि है जिसे किसी बैंक को अपनी कुल जमा राशि के मुकाबले केंद्रीय बैंक के पास आरक्षित रखने की आवश्यकता होती है।
वर्तमान में सीआरआर (Cash Reserve Ratio) 4.5 प्रतिशत पर आंका गया है, जिसका अर्थ है कि बैंक द्वारा जमा किए गए प्रत्येक एक रुपये में से 4.5 पैसे रिज़र्व बैंक के पास सॉल्वेंसी उपाय के रूप में रखे जाने चाहिए। बैंक आरबीआई के पास आरक्षित राशि पर कोई ब्याज नहीं कमाते हैं।
दिनेश खारा ने भारतीय प्रबंधन संस्थान कोझिकोड द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही
हम ग्रीन डिपॉजिट के लिए सीआरआर में कटौती के लिए आरबीआई के साथ बातचीत कर रहे हैं। दूसरी बात, अगर यह एक नीति के रूप में है, तो इसे नियामक नीति तंत्र में शामिल किया जा सकता है। इसकी शुरुआत नियामक की ओर से भी हो चुकी है, लेकिन शायद इसमें समय लगेगा।
चेयरमैन ने यह भी कहा कि बैंक यह देखने के लिए रेटिंग संस्थाओं के साथ जुड़ रहा है कि क्या ग्रीन फाइनेंसिंग के लिए एक लेखांकन मानक निर्धारित किया जा सकता है। एसबीआई ने पर्यावरण, सामाजिक और शासन रेटिंग के आधार पर कर्जदारों का मूल्यांकन भी शुरू कर दिया है।
बता दें कि दिनेश खारा से पहले प्रदीप चौधरी ने सीआरआर के तहत जमा पर आरबीआई से ब्याज भुगतान की मांग करने के बाद नियामक के साथ लंबी लड़ाई लड़ी थी।