SBI के नए कर्मचारियों में 85 फीसदी होंगे इंजीनियरिंग ग्रेजुएट, क्या ये RBI के खौफ का नतीजा है?
पिछले दिनों बैंकिंग रेगुलेटर आरबीआई ने कोटक महिंद्रा बैंक को ऑनलाइन कस्टमर जोड़ने और नए क्रेडिट कार्ड जारी करने से रोक दिया था। आरबीआई को कोटक बैंक के आईटी सिस्टम में गंभीर खामियां मिली थी। इससे पहले HDFC बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के खिलाफ भी कुछ ऐसा ही एक्शन लिया गया था। यही वजह है कि बैंक अब हायरिंग में टेक्नोलॉजी के पहलू पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक SBI मौजूदा वित्त वर्ष में करीब 12,000 नई नौकरियां देगा। SBI के चेयरमैन दिनेश खारा ने बैंक के तिमाही नतीजों के वक्त इसकी जानकारी दी थी। उनका कहना है कि नए कर्मचारियों में से 85 फीसदी इंजीनियरिंग ग्रेजुएट होंगे। इनमें से 3,000 से अधिक बैंक PO (प्रोबेशनरी ऑफिसर) होंगे। वहीं, 8,000 से अधिक को एसोसिएट की भूमिका मिलेगी। इन सभी को शुरुआती बैंकिंग ट्रेनिंग के बाद अलग-अलग रोल में शामिल किया जाएगा।
क्या है हायरिंग की वजह?
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) द्वारा इतनी बड़ी संख्या में नौकरियां देना गौर करने वाली बात है, क्योंकि अब बैंकिंग सेक्टर टेक्नोलॉजी पर अपनी निर्भरता बढ़ा रहा है। इससे नए ग्राहकों को लुभाने में मदद मिल रही है, खासकर नौजवानों को। लेकिन, कई बैंक के बाद आईटी सेक्टर में अच्छे टैलेंट नहीं हैं, तो उन्हें काफी परेशानी भी हो रही है।
पिछले दिनों बैंकिंग रेगुलेटर आरबीआई ने कोटक महिंद्रा बैंक को ऑनलाइन कस्टमर जोड़ने और नए क्रेडिट कार्ड जारी करने से रोक दिया था। आरबीआई को कोटक बैंक के आईटी सिस्टम में गंभीर खामियां मिली थी। इससे पहले HDFC बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के खिलाफ भी कुछ ऐसा ही एक्शन लिया गया था।यही वजह है कि अब एसबीआई इंजीनियरिंग ग्रेजुएट को प्राथमिकता दे रहा है, ताकि वह बदलती टेक्नोलॉजी के साथ अच्छे से तालमेल बिठा पाए।
क्या कहा SBI चेयरमैन ने?
SBI चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा, 'हम पहले नए कर्मचारियों को बैंकिंग सिस्टम की बारीकियां सिखाएंगे। फिर उन्हें उनकी काबिलियत और स्वभाव के हिसाब से बिजनेस और आईटी वर्टिकल में अलग-अलग भूमिकाओं में शामिल कर लेंगे। इससे हमें यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि बैंक में टेक टैलेंट की कमी ना हो।'यह चीज इंजीनियरिंग ग्रेजुएट के लिए काफी अच्छी है, क्योंकि उनके पसंदीदा आईटी सेक्टर में जॉब की किल्लत है। कई बड़ी टेक कंपनियां लगातार अपने वर्कफोर्स में कटौती कर रही हैं। इससे इंजीनियरिंग ग्रेजुएट की डिमांड एकदम से कम हो गई है, जबकि उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है।
खारा ने यह भी कहा कि एसबीआई अपने मैनपावर को ट्रेनिंग देने में काफी पैसे खर्च करता है। साथ ही, उसके पास इन-हाउस इंस्टीट्यूट भी है, जो कर्मचारियों की टेक्नोलॉजी स्किल बेहतर करने पर फोकस करता है। उन्होंने कहा कि बैंक बड़ी मात्रा में लेनदेन संभालता है। हर कर्मचारी को उसी चीज से गुजरना पड़ता है। ऐसे में उन्हें टेक्नोलॉजी के मामले में आगे रहना ही होगा।यह भी पढ़ें : HDFC बैंक, Paytm और अब कोटक महिंद्रा बैंक; वित्तीय संस्थानों के खिलाफ इतनी सख्ती क्यों कर रहा RBI?