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यस बैंक से SBI को होगा 100 अरब का मुनाफा! जापान और दुबई के बैंकों को हिस्सेदारी बेचने की तैयारी

यस बैंक साल 2020 की शुरुआत में डूबने की कगार पर पहुंच गया था। इसे बचाने के लिए आरबीआई ने स्थानीय बैकों का एक ग्रुप बनाया और उन्होंने निवेश करके यस बैंक बचाया। SBI के पास फिलहाल यस बैंक में सबसे अधिक 24 फीसदी हिस्सेदारी है। अब SBI अपनी स्टेक बेचकर यस बैंक से बाहर निकलने की तैयारी में है। उसे आरबीआई से ग्रीन सिग्नल भी मिल गया है।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Tue, 13 Aug 2024 05:21 PM (IST)
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दोनों ही बिडर्स ने यस बैंक में 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। देश का सबसे बड़ा लेंडर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) अगले साल की शुरुआत तक यस बैंक में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचना चाहता है। एसबीआई का यस बैंक में करीब 24 फीसदी स्टेक है और इस सौदे की कीमत तकरीबन 184.2 अरब रुपये हो सकती है। डॉलर में कहें, तो 2.2 अरब। यह जानकारी समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से दी है।

कौन खरीदेगा SBI की हिस्सेदारी

जापानी बैंक सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्पोरेशन और दुबई का एमिरेट्स NBD फिलहाल यस बैंक में हिस्सेदारी खरीदने की दौड़ में सबसे आगे हैं। सुमितोमो मित्सुई जापान के दूसरे बड़े बैंक सुमितोमो मित्सुई फाइनेंशियल ग्रुप की सहयोगी कंपनी है। दोनों ही बिडर्स ने यस बैंक में 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है, ताकि उनका बिजनेस पर पूरी तरह कंट्रोल रहे।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रिजर्व बैंक (RBI) ने मौखिक तौर पर एसबीआई के हिस्सेदारी बेचने वाले प्रस्ताव को रजामंदी दे दी है और अब आगे की प्रक्रिया पर काम हो रहा है।

SBI ने क्यों खरीदी थी हिस्सेदारी

साल 2020 की शुरुआत में यस बैंक बड़े वित्तीय संकट में फंस गया। उसने अधिकांश कर्ज उन कंपनियों को दे रखा था, जो घाटे में चल रही थीं। ऐसे में उसे समय पर लोन के पैसे वापस नहीं मिले और वह डूबने की कगार पर पहुंच गया। उसके शेयरों की कीमत 2018 में 400 के करीब थी, जो मार्च 2020 तक 15 रुपये के आसपास आ गई।

यस बैंक को बचाने के लिए आरबीआई ने स्थानीय बैकों की मदद से एक ग्रुप बनाया और उन्होंने निवेश करके यस बैंक बचाया। SBI के पास फिलहाल यस बैंक में लगभग 24 फीसदी हिस्सेदारी है। ICICI बैंक और HDFC बैंक समेत 11 अन्य लेंडर भी यस बैंक को उबारने की योजना में शामिल हुए थे। उनकी हिस्सेदारी 10 फीसदी के करीब है। बाकी हिस्सा दो निजी इक्विटी फंड- CA बास्क इन्वेस्टमेंट और वर्वेंटा होल्डिंग्स के साथ जनता के पास है।

कहां फंसी है बात?

यस बैंक को खरीदने के इच्छुक विदेशी बिडर रेगुलेटरी मोर्चे पर रियायत चाहते हैं। दरअसल, आरबीआई का नियम है कि किसी भी वित्तीय संस्था में प्रमोटर की हिस्सेदारी 26 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती। निवेशक 26 फीसदी से अधिक स्टेक खरीद सकते हैं, लेकिन 15 वर्ष में उसे कम करके 26 फीसदी तक लाना होगा। वहीं, यस बैंक के बोलीदाता 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदना चाहते हैं, ताकि बैंक के कामकाज पर उनका पूर्ण नियंत्रण रहे।

अगर यह सौदा हो जाता है, तो एसबीआई को 100 अरब रुपये का फायदा होगा। जब नकदी की कमी थी, तब SBI ने यस बैंक को बचाया था, लेकिन अब जब चीजें बदल गई हैं, तो बाहर निकलना समझदारी है। 24.60 रुपये के मौजूदा बाजार मूल्य पर, यस बैंक का मूल्य 770.95 अरब रुपये है। एमिरेट्स NBD ने भी प्राइवेट लेंडर आईडीबीआई बैंक को खरीदने में भी दिलचस्पी जताई है। लेकिन, इस मामले पर बात यस बैंक वाली डील क्लोज होने के बाद ही आगे बढ़ेगी।

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