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ICICI बैंक से सैलरी, एगोरा एडवाइजरी से पैसा... सेबी चीफ ने सभी आरोपों पर दी सफाई

देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सेबी चीफ माधबी पुरी बुच पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने 11 सितंबर को बुच की ‘अनुचित व्यवहार हितों के टकराव और सेबी के सदस्य के रूप में काम करते हुए कंपनियों से भुगतान स्वीकार करने’ के आरोपों को लेकर ‘चुप्पी’ पर सवाल उठाया था। अब सेबी चीफ ने आरोपों पर जवाब दिया है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Fri, 13 Sep 2024 04:42 PM (IST)
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कांग्रेस का दावा है कि माधबी पुरी ने एगोरा के जरिए 2.95 करोड़ रुपये कमाए हैं।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) ने अपने खिलाफ लगाए जा रहे सभी आरोपों को खारिज किया है। सेबी चीफ ने आज (13 सितंबर) अपने पति धवल बुच के साथ एक संयुक्त बयान जारी किया। इसमें बुच दंपती का कहना है कि उन्होंने नियमों के खिलाफ जाकर कोई भी काम नहीं किया है और न ही किसी कंपनी को अनुचित लाभ पहुंचाया है। उन्होंने सभी हालिया आरोपों को 'पूरी तरह से झूठा, दुर्भावनापूर्ण और अपमानजनक' करार दिया है। 

सेबी चीफ के खिलाफ क्या हैं आरोप?

देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सेबी चीफ बुच के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए हैं। इसमें खासकर अगोरा एडवाइजरी की चर्चा है, जिसमें कथित तौर पर बुच की 99 फीसदी हिस्सेदारी है। बुच पर यह भी आरोप है कि उन्होंने अपने पूर्व नियोक्ता ICICI बैंक और महिंद्रा ग्रुप को पैसों के बदले अनुचित फायदा पहुंचाया।

कांग्रेस का दावा है कि माधबी पुरी ने एगोरा के जरिए 2.95 करोड़ रुपये कमाए हैं। ये रकम महिंद्रा एंड महिंद्रा, डॉक्टर रेड्डीज, पिडीलाइट, आईसीआईसीआई, सैम्बकॉर्प और विसूलीजी एंड फाइनेंस इन 6 कंपनियों से कमाई गई। ये सारी लिस्टेड कंपनियां सेबी से रेगुलेट होती हैं और साथ ही एगोरा की क्लाइंट भी हैं।

कांग्रेस ने बुच पर माधवी पर SEBI से जुड़े होने के दौरान ICICI बैंक समेत 3 जगहों से सैलरी लेने का भी आरोप लगाया है। हालांकि, ICICI ने आरोपों को नकारते हुए कहा था कि बैंक से रिटायर होने के बाद माधवी को कोई सैलरी या एम्प्लॉई स्टॉक ऑप्शन नहीं दिया गया। उन्होंने सिर्फ रिटायरमेंटल बेनिफिट्स लिए।

वहीं, ऑटोमोबाइल कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा ने भी एक बयान में कहा था कि धवल को उनकी योग्यता की वजह से कंपनी में नियुक्त किया था। हमने कभी भी सेबी से किसी तरह के सहूलियत नहीं मांगी थी। कांग्रेस का दावा था कि धवल बुच को महिंद्रा एंड महिंद्रा (M&M) से 2019 और 2021 के बीच 4.78 करोड़ रुपये मिले थे।

आरोपों पर क्यों बोलीं माधबी पुरी

अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने 11 सितंबर को बुच की ‘अनुचित व्यवहार, हितों के टकराव और सेबी के सदस्य के रूप में काम करते हुए कंपनियों से भुगतान स्वीकार करने’ के नए आरोपों को लेकर ‘चुप्पी’ पर सवाल उठाया था।

हिंडनबर्ग ने ही सबसे पहले सेबी चीफ की गतिविधियों पर सवाल उठाया था। उसी के बाद सेबी चीफ माधबी पुरी बुच का जवाब आया है। बुच दंपती ने अपने बयान में कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप 'झूठे, गलत और दुर्भावनापूर्ण' से प्रेरित हैं। 

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि धवल बुच और भारत में अगोरा एडवाइजरी एवं सिंगापुर में अगोरा पार्टनर्स नाम की फर्मों के कंसल्टिंग असाइनमेंट्स के बारे में सवाल उठाए गए हैं। ऐसा लगता है कि जब किसी वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के जीवनसाथी को सलाहकार के रूप में नियुक्त किया जाता है, तो इसके लिए पेशेवर योग्यता से अलग हटकर दूसरी चीजों को जिम्मेदार ठहराया जाने लगता है। ऐसी धारणाएं योग्यता और विशेषज्ञता की ताकत को नजरअंदाज करती हैं और ऐसे निष्कर्ष पर पहुंचती हैं जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं।

माधबी पुरी बुच और धवल बुच, संयुक्त बयान में

बयान में महिंद्रा एंड महिंद्रा, पिडिलाइट, डॉ. रेड्डीज और अल्वारेज एंड मार्सल जैसी कंपनियों के साथ धवल बुच के एडवाइजरी वर्क का उल्लेख किया गया है। उन्होंने कहा कि ये अनुबंध पूरी तरह से योग्यता आधारित थे और माधबी पुरी बुच के सेबी चीफ बनने से काफी पहले हुए थे।

बुच ने कहा कि उन्होंने अपने पूर्व नियोक्ता ICICI Bank से जुड़े किसी भी रेगुलेटरी मामले को नहीं निपटाया है। कई लिस्टेड कंपनियों के साथ हितों के टकराव के मसले पर माधबी पुरी ने कहा कि सेबी से जुड़ने के बाद उन्होंने किसी भी स्तर पर कभी भी एगोरा एडवाइजरी, एगोरा पार्टनर्स, महिंद्रा ग्रुप, पिडिलाइट, डॉ. रेड्डीज, अल्वारेज एंड मार्सल, सेम्बकॉर्प, विसु लीजिंग या आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) से जुड़ी किसी भी फाइल को नहीं निपटाया है।

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