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F&O ट्रेडिंग होगी मुश्किल! सात प्रस्तावों पर हो रहा विचार, सख्त फैसले ले सकता है सेबी

सेबी ने एक एक्सपर्ट ग्रुप का गठन किया है जो शेयर बाजारों में जोखिम भरे वायदा एवं विकल्प (एफएंडओ) कारोबार से छोटे निवेशकों को बचाने के लिए सात प्रस्ताव पर विचार करेगा। साथ ही इससे जुड़े रेगुलेटरी मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगा। कुल मिलाकर यह देखा जाएगा कि किन उपायों पर अमल करके रिटेल इन्वेस्टर के लिए FO ट्रेडिंग का रास्ता मुश्किल किया जा सके।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Sun, 07 Jul 2024 07:18 PM (IST)
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लाट आकार में वृद्धि की जा सकती है।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। देश की रेगुलेटरी संस्थाओं से लेकर वित्त मंत्रालय तक फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग में रिटेल इन्वेस्टर्स की बढ़ती भागीदारी से चिंतित हैं। रातोंरात अमीर बनने का ख्वाब लेकर F&O ट्रेडिंग करने वाले रिटेल इन्वेस्टर अपनी पूंजी भी गंवा बैठते हैं। यही है कि मार्केट रेगुलेटर ने एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई है, जो इस बात पर विचार करेगी कि खुदरा निवेशकों को डेरिवेटिव सेगमेंट यानी F&O ट्रेडिंग से कैसे बचाया जाए। सेबी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस सेगमेंट में ट्रेडिंग करने वाले 10 में से 9 निवेशक अपना पैसा गंवा देते हैं।

सात प्रस्तावों पर होगा विचार

समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि सेबी ने जिस एक्सपर्ट ग्रुप का गठन किया है, वह शेयर बाजारों में जोखिम भरे वायदा एवं विकल्प (एफएंडओ) कारोबार से छोटे निवेशकों को बचाने के लिए सात प्रस्ताव पर विचार करेगी। साथ ही, इससे जुड़े रेगुलेटरी मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगा। कुल मिलाकर, यह देखा जाएगा कि किन उपायों पर अमल करके रिटेल इन्वेस्टर के लिए F&O ट्रेडिंग का रास्ता मुश्किल किया जा सके, ताकि वे इस सेगमेंट में पैसे गंवाने से बच जाएं।

क्या हैं ये सात प्रस्ताव?

एक्सपर्ट का यह ग्रुप निवेशकों की सुरक्षा को मजबूत करने और एफएंडओ में जोखिम में सुधार करने के लिए छोटी अवधि की रणनीति संबंधी सिफारिश करेगा। इस समूह की सिफारिशों पर अंतिम निर्णय द्वितीयक बाजार सलाहकार समिति करेगी। सूत्रों के अनुसार, इन प्रस्तावों में साप्ताहिक विकल्पों को युक्तिसंगत बनाना, परिसंपत्तियों की स्ट्राइक कीमतों को युक्तिसंगत बनाना और समाप्ति के दिन कैलेंडर स्प्रेड लाभों को हटाना शामिल है।

अन्य चार प्रस्तावों में विकल्पों के खरीदारों से विकल्प प्रीमियम का अग्रिम संग्रह, सौदे करने की सीमा की दिन में कारोबार के दौरान निगरानी, लाट आकार में वृद्धि और अनुबंध समाप्ति के निकट मार्जिन आवश्यकताओं में वृद्धि शामिल हैं।

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