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कंपनी के प्रमोटर्स को अब देनी होगी अपने परिवार की जानकारी, SEBI ने जारी किया आदेश

सेबी ने निवेशकों के लिए एक अहम घोषणा की है। सेबी ने कहा है कि 15 जुलाई 2023 से प्रमोटरों को एक्सचेंजों को अपने पारिवारिक निपटान समझौतों खुलासा करना होगा। सेबी ने यह फैसला पारदार्शिता लाने के लिया है। आइए जानते हैं कि सेबी के इस फैसले का असर किन कंपनियों को पड़ेगा। इसके लिए सेबी ने नए संशोधन आधिकारिक राजपत्र भी जारी किया है। (जागरण फाइल फोटो)

By Priyanka KumariEdited By: Priyanka KumariUpdated: Thu, 13 Jul 2023 01:25 PM (IST)
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sebi said now promoters will have to disclose family pacts
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) ने गुरुवार, 13 जुलाई को एक घोषणा की है। इसमें बताया गया है कि प्रमोटरों को अपने पारिवारिक समझौतों का खुलासा करना होगा। इससे जो सौदों को वैध बनाए रखने के लिए सूचीबद्ध संस्थाओं के प्रबंधन नियंत्रण को सीधे प्रभावित कर सकते हैं।

अधिसूचित नियमों के अनुसार, जो लोग समझौते बने रहेंगे, उन सभी को स्टॉक एक्सचेंजों को जारी अधिसूचना की तारीख के अनुसार सभी डिटेल का खुलासा करना होगा। इससे पहले केवल संभावित समझौतों का खुलासा करना जरूरी था।

क्या है सेबी का नया नियम

इस नए नियम के साथ सेबी का इरादा प्रमुख शेयरधारकों के बीच सभी गुप्त समझौतों को अधिसूचना के जरिये पारदर्शिता लाना है। बाजार नियामक ने इसके आगे कहा कि नए संशोधन आधिकारिक राजपत्र में उनके प्रकाशन की तारीख से 30वें दिन यानी 15 जुलाई से लागू होंगे।

सेबी के इस नए संशोधन के अनुसार सभी शेयरधारकों, प्रमोटरों, प्रमोटर संस्थाओं, प्रमुख प्रबंधकीय कर्मियों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करने वाले समझौते की जानकारी होना चाहिए। इसलिए सूचीबद्ध इकाई के प्रबंधन नियंत्रण की जानकारी इन सभी को देनी चाहिए।

निवेश एडवोकेट विनय चौहान ने इस बारे में बात करते हुए कहा-

नए अधिसूचित मानदंडों के अनुसार, प्रमोटरों या शेयरधारकों के बीच होने वाले पारिवारिक निपटान सहित सभी समझौते की जानकारी, जो सूचीबद्ध कंपनी के प्रबंधन या नियंत्रण को प्रभावित करते हैं, उन सभी की जानकारी स्टॉक एक्सचेंजों को देनी चाहिए।

इसके आगे उन्होंने कहा कि इन संशोधनों से पारदर्शिता और बढ़ेगी। अब इसमें प्रमोटरों या शेयरधारकों के बीच उन समझौतों को शामिल किया जाएगा, जिनमें सूचीबद्ध कंपनी इस समझौतों की पार्टी नहीं है।

ऑब्लिगेशन्स एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स रेगुलेशन 

सेबी ने इस साल मार्च में हुई बोर्ड मीटिंग में लिस्टिंग ऑब्लिगेशन्स एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स रेगुलेशन, 2023 में संशोधन को मंजूरी दे दी। संशोधन के अनुसार, सूचीबद्ध इकाई को अधिसूचना की तारीख पर मौजूद समझौतों की संख्या का भी खुलासा करना होगा। इसमें कंपनी का वेबपेज भी शामिल है, जहां सभी जानकारी उपलब्ध हैं।

भारत में कई व्यवसाय परिवारों द्वारा चलाए जाते हैं। इनमें कुछ परिवार के सदस्यों के बीच विवादों में चल रहे हैं। उदाहरण के तौर पर पुणे के किर्लोस्कर बंधु, केमिकल कंपनी हिकल पर बाबा कल्याणी और उनकी बहन सुगंधा हीरेमथ, फिनोलेक्स केबल्स पर प्रकाश और दीपक छाबड़िया या सोलर इंडस्ट्रीज पर कैलास चंद्र नुवाल और सत्यनारायण नुवाल के मामले इसी तरह के हैं।

क्या होगा इस फैसले का असर

लगभग 10 सालों तक सेबी के साथ सलाहकार के रूप में अपनी सेवा दे चुके देवप्रकाश बागची कहते हैं-

ग्राहकों के लिए सेबी के नियमों का पालन करना इसलिए जरूरी है, क्योंकि ये उनके निवेश की सुरक्षा का सवाल होता हैं। अपने परिवार के बारे में या ऐसे अंशधारकों के बारे में जानकारी देने पर वो सेबी की नजरों में एक जिम्मेदार निवेशक की तरह उभरते हैं और ये अंतत: उन्हीं को फायदा पहुंचाता है। चूंकि सेबी एक बाजार नियामक संस्था है, इसलिए निवेश से संबंधित नियमों पर नजर रखना इसका काम है।