SEBI Study: इंट्राडे ट्रेडिंग करने वाले 10 में से 7 लोगों को होता है घाटा, क्या है इसकी वजह?
सेबी की स्टडी के मुताबिक इंट्राडे ट्रेडिंग में उन निवेशकों को नुकसान हुआ जिन्होंने ज्यादा बार ट्रेड किया। मतलब कि अगर कोई 1 ट्रेड में प्रॉफिट होने के बाद रुक गया तो वह लाभ में रहा। लेकिन बहुत-से निवेशकों ने 1 ट्रेडिंग में प्रॉफिट होने के बाद लाभ कमाने के चक्कर में 2-3 ट्रेड और कर लिए और नुकसान करा बैठे।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी ने शेयर मार्केट में इंट्राडे ट्रेडिंग करने वाले निवेशकों के बारे में कुछ दिलचस्प खुलासे किए हैं। सेबी की स्टडी बताती है कि वित्त वर्ष 2022-23 में 10 में से 7 लोगों ने इक्विटी कैश सेगमेंट में इंट्राडे ट्रेडिंग से नुकसान उठाया। इसी दौरान इंट्राडे ट्रेडिंग में शेयर खरीदने-बेचने वाले निवेशकों की तादाद भी तेजी से बढ़ी है। यह 2018-19 के मुकाबले तीन गुणा से अधिक हो गई है।
किन लोगों को होता है नुकसान?
सेबी की स्टडी के मुताबिक, इंट्राडे ट्रेडिंग में उन निवेशकों को नुकसान हुआ, जिन्होंने ज्यादा बार ट्रेड किया। मतलब कि अगर कोई 1 ट्रेड में प्रॉफिट होने के बाद रुक गया, तो वह लाभ में रहा। लेकिन, बहुत-से निवेशकों ने 1 ट्रेडिंग में प्रॉफिट होने के बाद लाभ कमाने के चक्कर में 2-3 ट्रेड और कर लिए और नुकसान करा बैठे।सेबी ने अपनी रिपोर्ट के लिए देश के टॉप 10 ब्रोकरेज हाउस के ग्राहकों के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है। इन ब्रोकरेज के शेयर मार्केट के कुल ग्राहकों का तकरीबन 86 फीसदी हिस्सा है।
इंट्राडे ट्रेडिंग में घाटे वाले लोग ज्यादा
सेबी की रिपोर्ट बताती है कि हर तीन में से एक शख्स स्टॉक मार्केट में इंट्राडे ट्रेडिंग करता है। इनमें 30 साल से कम उम्र वाले निवेशकों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। साल 2018-19 में ये संख्या 18 फीसदी थी, जो अब बढ़कर 48 फीसदी हो गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022-23 में 10 में से 7 लोगों यानी करीब 71 फीसदी लोगों ने इंट्राडे ट्रेडिंग में नुकसान उठाया। अगर कोई शख्स बहुत ज्यादा ट्रेडिंग करता है यानी साल में औसतन 500 से ज्यादा बार, तो नुकसान की आशंका भी बढ़ जाती है। इस तरह के ट्रेडर में 80 फीसदी लोग घाटे में रहे।