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विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी, मई में निकाले 17 हजार करोड़; ये है उनके डर की वजह

घरेलू इक्विटी बाजारों से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की बिकवाली लगातार जारी है। डिपॉजिटरी के डेटा के अनुसार मई में अब तक एफपीआइ इक्विटी बाजारों से 17083 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं। इसके साथ ही कैलेंडर वर्ष 2024 में अब तक एफपीआइ की शुद्ध निकासी 14861 करोड़ रुपये हो गई है। आइए जानते हैं कि एफपीआई इतने आक्रामक तरीके से बिकवाली क्यों कर रहे हैं।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Sat, 11 May 2024 11:30 PM (IST)
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कैलेंडर वर्ष 2024 में अब तक एफपीआई की शुद्ध निकासी 14,861 करोड़ रुपये हो गई है।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली: घरेलू इक्विटी बाजारों से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की बिकवाली लगातार जारी है। डिपॉजिटरी के डेटा के अनुसार, मई में अब तक एफपीआई इक्विटी बाजारों से 17,083 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं। इसके साथ ही कैलेंडर वर्ष 2024 में अब तक एफपीआई की शुद्ध निकासी 14,861 करोड़ रुपये हो गई है।

एफपीआई ने 2024 की शुरुआत बिकवाली से की थी और जनवरी में 25,744 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी। हालांकि, इसके बाद फरवरी और मार्च में एफपीआई ने शुद्ध रूप से क्रमश: 1,539 करोड़ और 35,098 करोड़ रुपये का निवेश किया। लेकिन अप्रैल में फिर से विदेशी निवेशकों ने इक्विटी बाजारों से 8,671 करोड़ रुपये की निकासी की। मई में भी यह रुख जारी है।

डिपॉजिटरी के डेटा के अनुसार, घरेलू शेयर बाजारों में मई में सात दिन कारोबार हुआ है। एफपीआई ने इसमें से छह दिन शुद्ध रूप से बिक्री है, जबकि केवल एक दिन ही निवेश किया। इसी तरह, बॉन्ड बाजार से भी एफपीआई लगातार दूसरे महीने बिकवाल बने हुए हैं। अप्रैल में 10,949 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी के बाद एफपीआई बॉन्ड बाजारों से मई में अब तक 1,602 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं।

बॉन्ड बाजार में जनवरी से मार्च के दौरान एफपीआई शुद्ध रूप से निवेशक रहे थे। बाजार विशेषज्ञ अजय बग्गा का कहना है कि चुनावी अनिश्चतता के चलते निवेशकों पर बिक्री का दबाव बना हुआ है। निवेशक सतर्कता के साथ मुनाफावसूली भी कर रहे हैं। इससे आने वाले समय में भी बाजारों में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है।

पिछले कुछ दिनों के दौरान एफपीआई की वजह से ही भारतीय शेयर बाजार में लगातार गिरावट आई, जबकि इस दौरान घरेलू निवेशक लगातार खरीदारी कर रहे थे। वहीं, ज्यादातर विदेशी शेयर बाजार भी हरे निशान में थे। खासकर, अमेरिका का शेयर बाजार, जिससे भारत का स्टॉक मार्केट सबसे ज्यादा प्रभावित होता है।

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