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बूम के लिए तैयार भारतीय अर्थव्यवस्था? अगस्त में सर्विस सेक्टर की ग्रोथ ने तोड़ा 5 महीने का रिकॉर्ड

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ सुस्त पड़ गई। यह आरबीआई के अनुमान से भी कम रही। इसकी बड़ी वजह लोकसभा चुनाव को बताया गया जिसके चलते विकास से जुड़ी कई गतिविधियां ठप रहीं। हालांकि अब चीजें धीरे-धीरे बेहतर होती दिख रही हैं। खासकर अगस्त में सर्विस सेक्टर की ग्रोथ 60.9 रही। यह पिछले पांच महीनों में सबसे अधिक है।

By Agency Edited By: Suneel Kumar Updated: Wed, 04 Sep 2024 06:52 PM (IST)
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कच्चे माल की लागत में छह महीने में सबसे कम वृद्धि हुई।
पीटीआई, नई दिल्ली। पिछले पांच महीनों के दौरान अगस्त में भारत के सर्विस सेक्टर में सबसे तेज गति से विस्तार देखा गया। मौसमी रूप से समायोजित एचएसबीसी इंडिया भारत सेवा पीएमआई कारोबारी गतिविधि सूचकांक जुलाई में 60.3 से बढ़कर अगस्त में 60.9 हो गया। इसे काफी हद तक उत्पादकता लाभ और सकारात्मक मांग के रुझान से समर्थन मिला। खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) की भाषा में 50 से ऊपर अंक का मतलब गतिविधियों में विस्तार से और 50 से कम अंक का आशय संकुचन से होता है।

कीमतों की बात करें तो कच्चे माल की लागत में छह महीने में सबसे कम वृद्धि हुई। मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर दोनों में यही रुख देखने को मिला। इससे अगस्त में 'आउटपुट' मूल्य मुद्रास्फीति में कमी आई। सर्वेक्षण में कहा गया, 'भारत की सेवा अर्थव्यवस्था में शुल्क मुद्रास्फीति की समग्र दर मध्यम रही। जुलाई में देखी गई वृद्धि की तुलना में भी यह वृद्धि धीमी रही।' वहीं रोजगार का स्तर मजबूत बना रहा, हालांकि जुलाई की तुलना में नियुक्ति की गति मामूली धीमी रही।

भारत के लिए समग्र पीएमआई में अगस्त में मजबूत वृद्धि रही जो सेवा क्षेत्र में त्वरित व्यावसायिक गतिविधि से प्रेरित है। इसमें मार्च के बाद से सबसे तेज विस्तार हुआ। यह वृद्धि मुख्य रूप से नए ठेकों खासकर घरेलू ठेकों में वृद्धि से प्रेरित रही।

प्रांजुल भंडारी, मुख्य अर्थशास्त्री, एचएसबीसी इंडिया

इस बीच, एचएसबीसी इंडिया कंपोजिट पीएमआई आउटपुट इंडेक्स जुलाई की तरह ही अगस्त में भी 60.7 रहा। अगस्त के आंकड़ों से यह भी पता चला कि भारतीय वस्तुओं तथा सेवाओं के लिए दाम जुलाई की तुलना में कम बढ़े। मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों और उनकी सेवा समकक्षों दोनों ने अगस्त में लागत दबाव में कमी देखी। सर्वेक्षण में कहा गया कि मुद्रास्फीति की कुल दर छह महीने के निचले स्तर पर आ गई है।

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