Share Investor and Trader: आप इन्वेस्टर हैं या ट्रेडर? आसान भाषा में समझें इनके बीच का अंतर
Share Investor and Trader अगर आप भी शेयरों में पैसा लगाते हैं या लगाने वाले हैं तो आप क्या हैं- एक इन्वेस्टर या एक ट्रेडर? अक्सर लोग इन दोनों को एक ही समझते हैं। हालांकि इनमें कुछ अंतर है जिसके बारे में नीचे विस्तार से जानेंगे।
By Sonali SinghEdited By: Sonali SinghUpdated: Tue, 10 Jan 2023 01:01 PM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। आपने स्टॉक मार्केट से जुड़े ये दो शब्द सुने होंगे-इन्वेस्टर और ट्रेडर। कुछ लोग कहते हैं कि वें शेयर इन्वेस्टर हैं। वहीं, कुछ लोगों से सुना होगा कि वें स्टॉक ट्रेडर हैं। अक्सर इन दोनों लोगों को एक समझ लिया जाता है, लेकिन ये एक नहीं हैं। इसके अधिकार, ड्यूटी, मार्केट से जुड़े रिस्क सभी अलग होते हैं। इसलिए, आज हम आपको बताएंगे कि एक इन्वेस्टर कैसे एक ट्रेडर से अलग होता है।
कौन होते हैं इन्वेस्टर और ट्रेडर?
एक इन्वेस्टर या निवेशक वह होता है जो लंबे समय के लिए प्रतिभूतियों में पैसा निवेश करता है। वहीं, जो ट्रेडिंग का काम करते हैं, उन्हे ट्रेडर कहा जाता है। ट्रेडिंग में जल्दी पैसा कमाने के लिए छोटी अवधि के लिए शेयर बाजार में निवेश किया जाता है और इस दौरान शेयर के उतार-चढ़ाव से होने वाला लाभ उनका मुनाफा होता है। दूसरी तरफ, इन्वेस्टर कई सालों तक और पूरे निवेश चक्र के दौरान ब्याज, लाभांश जैसे लाभ अर्जित करता है।क्या है इन दोनों में अंतर?
एक इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग के बीच मुख्य अंतर कुछ इस तरह से हैं,अवधि- एक इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग को इसके समय के हिसाब से पहचाना जा सकता हो। जैसा कि हमने पहले बताया, ट्रेडिंग में स्टॉक को एक या दो दिन के लिए ट्रेडर अपने पास रखता है और फिर इसकी बिक्री कर दी जाती है, जबकि इन्वेस्टमेंट एक साल से लेकर 20 साल तक रख सकता है।
मार्केट रिसर्च- इन दोनों में एक मुख्य अंतर है कि पैसे लगाने से पहले इन दोनों के लिए कितना रिसर्च किया गया है। एक इन्वेस्टर पैसा लगाने से पहले इससे मिलने वाले लाभ, फंड, स्टॉक प्राइस और पैटर्न को ध्यान में रखते हैं। वहीं, एक ट्रेडर पैसे लगाने से पहले किसी भी कंपनी की भविष्य की संभावनाओं के बारे में पता लगाता है।
मार्केट रिस्क- किसी भी निवेश में यह समझना जरूरी होता है कि उसमें कितना रिस्क है। ट्रेडिंग की तुलना में एक इन्वेस्टमेंट कम रिस्की होता है, क्योंकि यह यह कम समय में हीने वाले गिरावट से बाहर रहता है। वहीं, ट्रेडिंग 'शॉर्ट सेलिंग' की लिस्ट में आता है, जिसमें खुले बाजार में शेयरों की खरीद-बिक्री होती है। इस वजह से इसमें रिस्क भी ज्यादा रहता है।ये भी पढ़ें-
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