Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

BSE में 13 जुलाई को HDFC की जगह लेगा JSW Steel, कंपनी के शेयर पर रहेगा सबका फोकस

Share Market Update अगर आप भी शेयर बााजर में निवेश करते हैं तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। इस महीने की पहली तारीख को एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक का मर्जर हो गया था। इसका मतलब ये दोनों अब मिलकर केवल एचडीएफसी बैंक रह गए हैं। इसके बाद शेयर बाजार में एचडीएफसी की जगह कोई और कंपनी लेगी। आइए जानते हैं...

By Priyanka KumariEdited By: Priyanka KumariUpdated: Thu, 06 Jul 2023 09:15 AM (IST)
Hero Image
Share Market: आज HDFC की जगह लेगा JSW Steel

 नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। बीएसई सेंसेक्स में अब एचडीएफसी की जगह जेएसडब्ल्यू स्टील को शामिल ले सकते हैं। यह 13 जुलाई 2023 से लागू होगा। यह फैसला एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक के मर्जर के बाद लिया जाता है। आपको बता दें कि एशिया इंडेक्स प्राइवेट लिमिटेड ने बुधवार को एक रिलीज में कहा कि सेंसेक्स में एचडीएफसी की जगह जेएसडब्ल्यू स्टील लेगी। इस के बाद एसएंडपी और बीएसई सूचकांकों में भी बदलाव होंगे।

ये कंपनी लेगी दूसरी कंपनी की जगह

एसएंडपी बीएसई 500 की लिस्ट में जेबीएम ऑटो कंपोनेंट्स लिमिटेड एचडीएफसी की जगह लेगा। वहीं, एसएंडपी बीएसई 100 की सची में बंधक ऋणदाता के स्थान पर जोमैटो को शामिल किया जाएगा। इसी तरह अपोलो हॉस्पिटल्स एंटरप्राइज लिमिटेड  एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स 50 में एचडीएफसी के स्थान पर आएगा।

एशिया इंडेक्स प्राइवेट लिमिटेड एसएंडपी डॉव जोन्स इंडेक्स एलएलसी के बीच एक समान साझेदारी है। बीएसई दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय बाज़ार सूचकांक प्रदाता और एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है।

एचडीएफसी बैंक बना देश का सबसे बड़ा बैंक

13 जुलाई से निफ्टी 50 में हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HDFC) की जगह  LTIMindtree लेगा। इसकी घोषणा मंगलवार को की गई थी। आपको बता दें कि एचडीएफसी बैंक की मूल कंपनी एचडीएफसी का मर्जर हो गया है। ये मर्जर 1 जुलाई 2023 से लागू हो गया है। इस मर्जर के बाद एचडीएफसी बैंक देश का सबसे बड़ा प्राइवेट सेक्टर लेंडर बन गया है। अब देश में सबसे बड़ा बैंक की संज्ञा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की जगह एचडीएफसी बैंक को दे दी गई है।

एचडीएफसी के शेयरधारकों को निर्धारित करने के लिए रिकॉर्ड तिथि 13 जुलाई य की गई है। आज एचडीएफसी बैंक के शेयर जारी और आवंटित किए जाएंगे।

आपको बता दें कि ये मर्जर 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर का हुआ था। ये  भारतीय कॉर्पोरेट इतिहास में  सबसे बड़ा सौदा बताया जा रहा है। इसके बाद एचडीएफसी के गैर-बैंक ऋण देने वाली इकाई के रूप में बने रहने के लाभों को सीमित कर दिया गया है।