Share Market में पैसा लगाने से पहले जान लें इस सप्ताह किन फैक्टर्स का पड़ेगा असर, ये है एक्सपर्ट्स की राय
Share Market Trends रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष ने पूरी दुनिया को आर्थिक मोर्चे पर चिंता में डाल दिया है। भारतीय शेयर बाजार पर इसका असर दिखाई दिया है। और आने वाले सप्ताह में भी इसका असर दिखते रहने की संभावना है।
By Lakshya KumarEdited By: Updated: Mon, 28 Feb 2022 10:21 AM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआइ। विश्लेषकों ने कहा कि ऊर्जा की कीमतों और विदेशी फंड के बहिर्वाह पर चिंताओं के बीच वैश्विक स्तर पर वित्तीय बाजारों को हिला देने वाला रूस-यूक्रेन संघर्ष इस सप्ताह दलाल स्ट्रीट पर असर डालेगा। विश्लेषकों ने कहा कि प्रतिभागी इस सप्ताह घोषित किए जाने वाले जीडीपी अनुमान और विनिर्माण तथा सेवा क्षेत्रों के लिए पीएमआई डेटा जैसे प्रमुख व्यापक आर्थिक संकेतों को भी ट्रैक करेंगे। शेयर बाजार की चाल इन्हीं से तय होगी।
कोटक सिक्योरिटीज लिमिटेड में इक्विटी रिसर्च (रिटेल) के हेड श्रीकांत चौहान ने कहा, "रूस-यूक्रेन संकट से संबंधित घटनाक्रमों पर कड़ी नजर रखी जाएगी। मुद्रास्फीति की अधिकता को देखते हुए बाजार सहभागी ऊर्जा की कीमतों में उतार-चढ़ाव पर भी ध्यान देंगी।" उन्होंने कहा कि बाजार पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही घटनाओं का असर देखनो को मिलेगा।बता दें कि लगभग दो वर्षों में सबसे खराब सत्र को झेलने के एक दिन बाद शुक्रवार को बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी ने 2.5 प्रतिशत तक की छलांग लगाई। 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 1,328.61 अंक या 2.44 प्रतिशत चढ़कर 55,858.52 पर बंद हुआ। इसी तरह, व्यापक एनएसई निफ्टी 410.45 अंक या 2.53 प्रतिशत बढ़कर 16,658.40 पर पहुंच गया। हालांकि, साप्ताहिक आधार पर सेंसेक्स में 1,974 अंक या 3.41 फीसदी और निफ्टी ने 618 अंक या 3.57 फीसदी की गिरावट दर्ज की।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के रिटेल रिसर्च हेड सिद्धार्थ खेमका ने कहा, "किसी और संकेत के लिए सप्ताहांत में चल रहे रूस-यूक्रेन संघर्ष पर बाजार की पैनी नजर रहेगी। हालांकि, व्यापारियों को तेज उतार-चढ़ाव से सावधान रहने की जरूरत है। निवेशक मौजूदा गिरावट का उपयोग करके अपने पोर्टफोलियो में गुणवत्ता वाली ब्लू चिप कंपनियों को धीरे-धीरे जोड़ सकते हैं।"एचडीएफसी सिक्योरिटीज के खुदरा अनुसंधान प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, "जबकि रूस-यूक्रेन के मोर्चे पर घटनाक्रम बाजार की दिशाओं को प्रभावित करते रहेंगे, आपूर्ति में व्यवधान और कमोडिटी मुद्रास्फीति की बहाली से कई अर्थव्यवस्थाओं को ऐसे समय में नुकसान होगा, जब वह ओमिक्रॉन खतरे के बाद ठीक होने लगे थे।"