शेयर मार्केट में क्यों नहीं थम रही गिरावट, क्या ये चार कारण हैं जिम्मेदार?
Why market is falling सेंसेक्स आज 0.78 फीसदी गिरकर 81050.00 अंकों पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी भी 0.87 फीसदी लुढ़कर 24795.75 अंकों पर आ गया। भारतीय शेयर बाजार में पिछले कई कारोबारी सत्रों से गिरावट का सिलसिला नहीं थम रहा। वहीं दुनियाभर के बाकी बड़े बाजारों में तेजी है। आइए जानते हैं कि विदेशी बाजारों में तेजी के बीच भारतीय स्टॉक मार्केट में गिरावट की क्या वजह है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला जारी है। आज सेंसेक्स और निफ्टी बढ़त के साथ खुले, लेकिन उसे कायम नहीं रख सके। हालांकि, यूरोपीय और अन्य एशियाई बाजारों में अच्छी तेजी देखी जा रही है। अमेरिकी शेयर बाजार भी शुक्रवार को हरे निशान में बंद हुआ था।
लेकिन, भारत में सेंसेक्स आज 0.78 फीसदी गिरकर 81,050.00 अंकों पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी भी 0.87 फीसदी लुढ़कर 24,795.75 अंकों पर आ गया। आइए जानते हैं कि विदेशी बाजारों में तेजी के बीच भारतीय स्टॉक मार्केट में गिरावट की क्या वजह है।
हरियाणा और जम्मू कश्मीर के एग्जिट पोल
हरियाणा और जम्मू कश्मीर के एग्जिट पोल बता रहे हैं कि केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी की दोनों ही जगह स्थिति कमजोर है। जम्मू-कश्मीर में वह सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है। वहीं, हरियाणा में भी 10 साल बाद उसके हाथ से सत्ता निकलने के आसार है। इससे मार्केट को संदेश जा रहा है कि बीजेपी कमजोर हो रही है। इसका असर केंद्र सरकार के नीतिगत फैसलों पर दिख सकता है, जो अब अधिक लोक-लुभावन हो सकते हैं।आरबीआई से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद नहीं
अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने पिछले ब्याज दरों में 0.50 फीसदी की भारी कटौती की थी। इससे उम्मीद बढ़ी थी कि आरबीआई भी ब्याज दरें कम करके आम जनता को राहत दे सकता है। आरबीआई की मौद्रिक नीति की बैठक आज से शुरू भी हो गई है। लेकिन, अब यह लगभग तय है कि केंद्रीय बैंक दरों में कटौती नहीं करेगा, क्योंकि उसका फोकस फिलहाल महंगाई घटाने पर रहेगा। इससे भी ओवरऑल मार्केट का सेंटिमेंट कमजोर हुआ है।क्रूड ऑयल का भाव 80 डॉलर के करीब पहुंचा
भारत पहले से महंगाई के खतरे से जूझ रहा है। क्रूड ऑयल सस्ता होने से पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम होने की गुंजाइश बनी थी। लेकिन, मध्य पूर्व में मौजूदा तनाव के चलते क्रूड ऑयल फिर से 80 डॉलर के करीब पहुंच गया है। पिछले पांच दिनों के दौरान क्रूड की कीमतों में करीब 11 फीसदी तेजी आई है। इसका भारत और चीन समेत उन देशों पर पड़ेगा, जो कच्चे तेल के आयात पर ज्यादा निर्भर रहते हैं। यहां पर महंगाई बढ़ने का भी खतरा रहेगा।