अब स्टील कंपनियों के शेयरों में आएगी तेजी? चीन से इंपोर्ट घटाने की तैयारी में सरकार
चीन स्टील बाजार का सबसे दिग्गज खिलाड़ी है। लेकिन वहां 2020 से डिमांड कमजोर है। चीन में प्रॉपर्टी संकट बढ़ने से चीजें और भी ज्यादा खराब हो गई। इससे स्टील का भाव कई साल के निचले स्तर पर पहुंच गया। ऐसे में अपने स्टील को सस्ते भाव में भारत जैसे देशों में डंप करने लगा। चीन में स्टील की डिमांड लंबे वक्त तक कमजोर बनी रहने वाली हैं।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारत की स्टील कंपनियां काफी बुरे दौर से गुजर रही हैं। चीन लगातार सस्ता स्टील भारत में डंप कर रहा है। इससे घरेलू स्टील कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है और उनके मुनाफे पर भी दबाव बन रहा है। हालांकि, अब भारतीय स्टील कंपनियों को राहत मिल सकती है। भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी का कहना है कि सरकार चीन से स्टील डंपिंग रोकने के लिए हर मुमकिन कदम उठाएगी। इससे संकेत मिलता है कि सरकार स्टील पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा सकती है।
चीन से भारत में होने वाली स्टील डंपिंग घरेलू इंडस्ट्री के लिए काफी चिंताजनक है। सरकार घरेलू स्टील इंडस्ट्री के हित में जरूरी कदम उठाएगी। इसके लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और वित्त मंत्रालय से भी बातचीत की जाएगी। हम चीन से स्टील आयात पर शुल्क 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 10-12 फीसदी करने का प्रस्ताव रखेंगे।
एचडी कुमारस्वामी, भारी उद्योग मंत्री
चीन सस्ता स्टील क्यों बेच रहा?
चीन स्टील बाजार का सबसे दिग्गज खिलाड़ी है। लेकिन, वहां 2020 से डिमांड कमजोर है। चीन में प्रॉपर्टी संकट बढ़ने से चीजें और भी ज्यादा खराब हो गई। इससे स्टील का भाव कई साल के निचले स्तर पर पहुंच गया। ऐसे में अपने स्टील को सस्ते भाव में भारत जैसे देशों में डंप करने लगा। चीन की बड़ी स्टील कंपनियों का मानना है कि वहां स्टील की डिमांड लंबे वक्त तक कमजोर बनी रहने वाली हैं। भारत के स्टील निर्माता लगातार सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि चीन की स्टील डंपिंग पर लगाम लगाई जाए, क्योंकि इससे घरेलू उद्योग बर्बाद हो रहा है।
स्टील फर्मों के शेयरों का हाल?
स्टील कंपनियों के शेयरों में लंबे वक्त से सुस्ती बनी हुई है। JSW स्टील और टाटा स्टील जैसी बड़ी कंपनियों ने पिछले एक साल में करीब 15 फीसदी का रिटर्न दिया है। वहीं, उषा मार्टिन लिमिटेड से निवेशकों को एक साल में 2 फीसदी का घाटा हुआ है। स्टील कंपनियों का यह हाल बुल मार्केट के दौर में है, जब अधिकतर सेक्टर की कंपनियों के शेयरों में जबरदस्त तेजी देखी जा रही है।
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