मंगलवार को देश की दूसरी सबसे बड़ी कार कंपनी हुंडई मोटर इंडिया पहली बार शेयर बाजार में उतरने जा रही है और बाजार में एक बार फिर से सबसे बड़े आईपीओ का ढोल पीटा जा रहा है। हुंडई का प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) 15 अक्टूबर को खुलेगा। इस आईपीओ का साइज 27,870 करोड़ रुपये का हो सकता है।
बेशक हुंडई फिलहाल दुनिया के तीसरी सबसे बड़े कार बाजार भारत की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। भारत को लेकर इसका प्लान भी लंबी अवधि का है। फिर भी यह बात याद रखनी चाहिए कि अतीत में डीएलएफ लिमिटेड, रिलायंस पावर, पेटीएम जैसी कंपनियों ने अपने-अपने आईपीओ की देश के सबसे बड़े आईपीओ के तौर पर मार्केटिंग की, लेकिन इनमें पैसे लगाने वाले निवेशकों को नुकसान ही हुआ।
डीएलएफ से निवेशकों को मिली मायूसी
रियल एस्टेट सेक्टर की मशहूर कंपनी डीएलएफ ने साल 2007 में अपने आईपीओ की सबसे बड़े इश्यू के तौर पर ब्रांडिंग की। इसके आईपीओ का आकार 9,187 करोड़ रुपये था। यह इश्यू तकरीबन साढ़े तीन गुणा ओवरसब्सक्राइब हुआ था, लेकिन खुदरा निवेशकों के लिए आरक्षित शेयरों के प्रति खास उत्साह नहीं दिखा था।
आईपीओ का मूल्य 525 रुपये प्रति शेयर तय किया गया। तकरीबन पांच वर्ष बाद कंपनी ने 600 रुपये प्रति शेयर की दर से बायबैक का फैसला किया। डीएलएफ ने साल 2008 में करीब 1200 रुपये का अपना ऑलटाइम हाई बनाया। लेकिन, 16 साल बीतने के बावजूद दोबारा कभी उस स्तर पर नहीं पहुंच पाई। फिलहाल डीएलएफ के शेयर 850 रुपये के आसपास कारोबार कर रहे हैं।
रिलायंस पावर का भी बुरा हाल
अरबपति कारोबारी मुकेश अंबानी के छोटे भाई अनिल अंबानी की रिलायंस पावर साल 2008 में 11,563 करोड़ रुपये मूल्य का आईपीओ लाया। इसे भी कंपनी ने देश के सबसे बड़े आईपीओ के तौर पर प्रचारित किया। इशयू 72 गुना सब्सक्राइब हुआ। खुदरा निवेशकों के लिए शेयर कीमत 430 रुपये प्रति शेयर निर्धारित की गई थी।लेकिन, रिलायंस पावर की शेयर मार्केट में एंट्री बेहद खराब रही। यह कभी अपने इश्यू प्राइस तक भी नहीं पहुंच पाई। अभी भी रिलायंस पावर की स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं। यह कई तरह के कानूनी विवादों में यह फंसी हुई है। इसका शेयर साल 2020 में घटकर 1 रुपये तक आ गया था। फिलहाल रिलायंस पावर के 45 रुपये के इर्दगिर्द ट्रेड कर रहे हैं।
पेटीएम ने भी किया कंगाल
घरेलू फिनटेक कंपनी पेटीएम के आईपीओ की भी काफी ज्यादा चर्चा थी। इसका आईपीओ 2021 में 2,150 रुपये प्राइस पर आया था। पेटीएम के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना था कि वे अपने शेयर की इश्यू प्राइस और भी अधिक रख सकते थे। लेकिन, वे चाहते थे कि आईपीओ निवेशक भी कुछ पैसे कमा लें। लेकिन, पेटीएम की शेयर मार्केट में एंट्री 9 फीसदी डिस्काउंट के साथ हुई। लिस्टिंग के दिन और गिरावट आई और यह 1,564 पर बंद हुआ।
यह मई 2024 में गिरकर 310 रुपये के निचले स्तर तक आ गया था। हालांकि, वहां से इसने बाउंस बैक किया और अभी 700 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है। हालांकि, अपनी लिस्टिंग प्राइस तक पहुंचने के लिए भी अभी इसे दोगुना सफर तय करना है।
सिर्फ कोल इंडिया है अपवाद
सरकारी कोयला कंपनी कोल इंडिया का आईपीओ साल 2010 में आया। वैसे यह आईपीओ सरकार के विनिवेश कार्यक्रम का हिस्सा था। इश्यू साइज 15,200 करोड़ रुपये था। आईपीओ 15 गुना सब्सक्राइब हुआ और 245 रुपये का शेयर 287.75 रुपये के भाव पर लिस्ट हुआ। अभी इसके शेयरों का भाव 500 रुपये के करीब है।
हालांकि, पिछले 14 वर्षों के अंतराल में कोल इंडिया सिर्फ दोगुना हुआ है। इस अवधि में कई शेयरों में ने मल्टीबैगर रिटर्न दिया है। भारतीय शेयर बाजार की रफ्तार को देखते हुए कोल इंडिया के रिटर्न को आकर्षक नहीं कहा जा सकता।
हुंडई के आईपीओ पर एक्सपर्ट राय
हुंडई का
आईपीओ 15 अक्टूबर से 17 अक्टूबर तक खुलेगा। इसका प्राइस बैंड 1,865-1,960 रुपये प्रति शेयर है। लॉट साइज 7 शेयरों का रहेगा। ब्रोकरेज कंपनियों ने हुंडई मोटर इंडिया (HMIL) के आईपीओ में लॉन्ग टर्म के लिए इन्वेस्टमेंट की सलाह दी है। ICICI डायरेक्ट, आनंद राठी, बजाज ब्रोकरेज, आदित्य बिरला कैपिटल, SBI सिक्योरिटीज जैसी एक दर्जन ब्रोकरेज कंपनियों ने अपनी अपनी रिपोर्ट में हुंडई की आईपीओ को लंबी अवधि के हिसाब से निवेश करने की सलाह दी है।
हालांकि, हुंडई के आईपीओ का ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) काफी कम हो गया है। इसकी शुरुआती GMP 1 हजार रुपये से अधिक था। लेकिन, अब इसका जीएमपी एकदम से क्रैश हो गया है। फिलहाल, हुंडई का जीएमपी सिर्फ 3 फीसदी यानी करीब 65 रुपये के लिस्टिंग गेन का संकेत दे रहा है। स्वास्तिका इन्वेस्टमेंट लिमिटेड में रिसर्च हेड संतोष मीणा ने कहा, 'हुंडई के आईपीओ को लेकर निवेशकों में वैसे ही उत्साह होगा जैसा दो दशक पहले मारुति सुजुकी के आईपीओ में देखा गया था। समस्या यह है कि कई बड़े आईपीओ आ चुके हैं और निवेशकों को यह फैसला करना होगा कि कहां रहना है कहां से हटना है।'
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