2024 में दोगुना हो सकता है चांदी का आयात, कहां से आ रही इतनी डिमांड?
वाणिज्य मंत्रालय के डेटा के अनुसार 2024 की पहली छमाही में चांदी आयात बढ़कर 4554 टन पर पहुंच गया है जो 2023 की समान अवधि में 560 टन था। ज्वेलरी की पारंपरिक मांग बनी हुई है। सीमा शुल्क में कटौती के बाद चांदी का मूल्य काफी किफायती हो गया है। सोने के मुकाबले ज्यादा रिटर्न की उम्मीद में भी निवेश के लिए इसकी भारी मांग हो रही है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। सोलर पैनल और इलेक्ट्रानिक्स निर्माताओं की बढ़ती मांग के कारण कैलेंडर वर्ष 2024 के दौरान चांदी का आयात बढ़कर दोगुना हो सकता है। एक बड़े चांदी आयातक आम्रपाली समूह के सीईओ चिराग ठक्कर ने शुक्रवार को कहा कि औद्योगिक मांग में बढ़ोतरी के कारण इस वर्ष चांदी का आयात 6,500 से सात हजार टन तक हो सकता है। 2023 में चांदी आयात 3,525 टन रहा था।
वाणिज्य मंत्रालय के डेटा के अनुसार, 2024 की पहली छमाही में चांदी आयात बढ़कर 4,554 टन पर पहुंच गया है जो 2023 की समान अवधि में 560 टन था। इंडिया गोल्ड कान्फ्रेंस से इतर बातचीत में ठक्कर ने कहा कि ज्वेलरी की पारंपरिक मांग बनी हुई है। सीमा शुल्क में कटौती के बाद चांदी का मूल्य काफी किफायती हो गया है।
निवेश के लिए भी चांदी की भारी मांग
सोने के मुकाबले ज्यादा रिटर्न की उम्मीद में भी निवेश के लिए इसकी भारी मांग हो रही है। तस्करी पर रोक लगाने के उद्देश्य से सरकार ने आम बजट में चांदी के आयात पर लगने वाले शुल्क को 15 प्रतिशत से घटाकर छह प्रतिशत कर दिया था।एक सराफा डीलर ने बताया कि 2023 में चांदी का औद्योगिक भंडार कम रहा था। इस वर्ष कीमतों में वृद्धि से बचने के लिए औद्योगिक ग्राहक इसका भंडारण कर रहे हैं। भारत मुख्य रूप से संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन और चीन से चांदी का आयात करता है। इस वर्ष मई में वायदा बाजार में चांदी का मूल्य 96,493 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया था।
इंडस्ट्रियल डिमांड अधिक है या कंज्यूमर?
चांदी की डिमांड दोनों वजह से बढ़ रही है। शादियों के सीजन में ज्वेलरी के लिए चांदी मांग बढ़ जाती है। युवा सामान्य दिनों में भी चांदी से बने गहने पसंद कर रहे हैं। साथ ही, सरकार रिन्यूएबल एनर्जी पर काफी फोकस कर रही है। इससे भी चांदी की डिमांड भारी तेजी है, क्योंकि यह सोलर पैनल का एक अहम हिस्सा है। इसका सोलर पैनल, इलेक्ट्रॉनिक्स और पावर सेक्टर में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। चांदी मुद्रास्फीति से बचाव में भी अहम भूमिका रहती है।
(रॉयटर्स से इनपुट के साथ)यह भी पढ़ें : तूफानी रफ्तार से बढ़ने वाली है बिजली की डिमांड, क्या पावर और सोलर कंपनियों को होगा फायदा?