Standalone vs Consolidated Financial Statements क्या होते हैं, आपकी जेब पर क्या होता है इनका असर
Difference between Stanalone and Consolidated Financial Statements आपको बता दें कि सभी कंपनियों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में चार बार तिमाही परिणाम जारी करना आवश्यक होता है। इन नतीजों में कंपनियां कंसोलिडेटेड और स्टैंडअलोन मुनाफे की बात करती हैं। जानें इन दोनों वित्तीय रिपोर्ट्स का महत्व इनके बीच का अंतर और विशेषज्ञों की राय क्या है। साथ ही यह भी पता कीजिए की इसे समझना क्यों जरूरी होता है।
By Gaurav KumarEdited By: Gaurav KumarUpdated: Sat, 05 Aug 2023 05:00 PM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क: इन दिनों एक के बाद एक शेयर बाजार में लिस्ट कंपनियां अपने वित्त वर्ष 24 के पहले तिमाही के नतीजे जारी कर रही है। पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून तक, इन तीन महीनों में कंपनी ने बाजार में कैसा प्रदर्शन किया है।
आपको बता दें कि सभी कंपनियों को प्रत्येक वित्त वर्ष में चार बार यानी हर तिमाही के बाद अपने तिमाही के नतीजे जारी करनी होती है। इन नतीजों में कंपनियां कंसोलिडेट और स्टैंडअलोन दोनों प्रॉफिट के बारे में बताती है। चलिए जानते हैं कि ये दोनों वित्तीय स्टेटमेंट का क्या मतलब है और दोनों में क्या अंतर होता है और जानकारों का क्या मानना है।
क्यों जरूरी है इसे समझना?
एक बाजार निवेशक के रूप में, किसी कंपनी के शेयरों में निवेश करने से पहले उसकी वित्तीय स्थिति को समझना महत्वपूर्ण है। इसे समझने से आपको किसी कंपनी के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने में मदद मिलती है। इससे निवेशक समझ सकते हैं कि क्या इस कंपनी में निवेश करना लाभदायक है या नहीं।
क्या होता है कंसोलिडेट फाइनेंशियल स्टेटमेंट?
आपने अकसर कंपनियों के नतीजों में यह देखा होता कि फलां कंपनी का कंसोलिडेट नेट प्रॉफिट या लॉस इतना रहा। तो सवाल यही है कि आखिर यह कंसोलिडेट प्रॉफिट या लॉस जिसे कंसोलिडेट फाइनेंशियल स्टेटमेंट भी कहा जाता है है क्या?कंसोलिडेट फाइनेंशियल स्टेटमेंट किसी कंपनी की होल्डिंग और/या सहायक कंपनियों सहित उसकी वित्तीय स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करता है। इसलिए, यदि आप किसी बड़े संगठन के बयानों का विश्लेषण कर रहे हैं, तो एक कंसोलिडेट फाइनेंशियल स्टेटमेंट सभी कंपनियों के प्रदर्शन की एक बेहतर तस्वीर पेश करता है।