States Debt Data: चालू वित्त वर्ष में इन राज्यों का बढ़ा कर्ज, यहां चेक करें पूरी लिस्ट
राज्य में विकास के लिए राज्य कई बार कर्ज लेते हैं। राज्यों के कर्ज को लेकर एक रिपोर्ट जारी हुई है। इस रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्त वर्ष में राज्यों द्वारा लिए जाने वाले कर्ज की संख्या में 31 से 32 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 18 राज्यों में सबसे ज्यादा डेट है। इस आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं।
By Priyanka KumariEdited By: Priyanka KumariUpdated: Sat, 02 Dec 2023 01:00 PM (IST)
पीटीआई, नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष में राज्यों में कर्ज में बढ़ोतरी देखने को मिली है। एक रिपोर्ट के अनुसार उच्च पूंजी परिव्यय और मध्यम राजस्व वृद्धि के बीच राज्यों का डेट कल घरेलू उत्पाद के 31-32 प्रतिशत पर बना रहेगा। कुल राज्यों के कर्ज में 9 प्रतिशत बढ़कर 87 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने की संभावना है।
किसी राज्य के द्वारा लिया गया लोन राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के अनुपात के रूप में मापा जाता है। कोविड से पहले,डेट-जीएसडीपी अनुपात 28-29 पर था। लेकिन क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, जीएसडीपी के अनुपात के रूप में कुल सकल राजकोषीय घाटा (जीएफडी) 2.5 पर रहने की उम्मीद है।
राज्यों को वेतन, पेंशन और ब्याज लागत से संबंधित उच्च प्रतिबद्ध राजस्व व्यय को पूरा करने के अलावा, पूंजी परिव्यय का विस्तार करने के लिए अधिक उधार लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है। यह मामूली एकल-अंकीय राजस्व वृद्धि के साथ, डेट स्तर को उनके सकल घरेलू उत्पादन के 31-32 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बनाए रखेगा।
ये राज्य ने लिया है सबसे ज्यादा कर्ज
एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 18 राज्यों (महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, बंगाल, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, केरल, ओडिशा, पंजाब, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड और गोवा) में सबसे ज्यादा डेट है। यह उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित है। इनका कुल जीएसडीपी का 90 प्रतिशत हिस्सा हैं।वित्तीय वर्ष 2022 में मामूली राजस्व अधिशेष के बाद राज्य वित्तीय वर्ष 2023 में घाटे में चले गए हैं। इनका कुल राजस्व मामूली 8 फीसदी की दर से बढ़ा। वहीं, राजस्व व्यय साल-दर-साल 11 प्रतिशत की तेजी से बढ़ा।
इस वित्तीय वर्ष में, कुल राजस्व केवल 6-8 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। यह वस्तु एवं सेवा टैक्स कलेक्शन, केंद्र से हस्तांतरण और शराब पर टैक्स और शुल्कों की वजह राजस्व बढ़ेगा। दूसरी ओर, उच्च प्रतिबद्ध व्यय और बढ़ते सामाजिक कल्याण और सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी खर्चों के कारण राजस्व व्यय में 8-10 प्रतिशत की बढ़ोतरी होना तय है। यह संयुक्त रूप से राज्यों के कुल राजस्व व्यय का लगभग 65 प्रतिशत है।
एजेंसी के एक वरिष्ठ निदेशक अनुज सेठी के अनुसार,
हालाँकि, केंद्र से राज्यों को 1.3 लाख करोड़ रुपये के 50-वर्षीय ब्याज-मुक्त डेट पूंजी परिव्यय के हिस्से को पूरा करने और निवेश को उत्प्रेरित करने में मदद करेंगे। यह डेट इस वित्तीय वर्ष में राज्यों के लिए जीएसडीपी के 3 प्रतिशत की उधार सीमा में शामिल नहीं है।इस वित्तीय वर्ष में राजस्व घाटा जीएसडीपी के 0.5 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा, जो पिछले वित्तीय वर्ष में 0.3 प्रतिशत था। यह, जल आपूर्ति और स्वच्छता, शहरी विकास, सड़कों और सिंचाई जैसे प्रमुख बुनियादी ढांचे क्षेत्रों पर पूंजीगत परिव्यय में 18-20 प्रतिशत या जीएसडीपी के 2.3 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि के साथ मिलकर, इस वित्तीय वर्ष में भी अधिक उधार लेने की आवश्यकता होगी।