Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

मछली पालन में आंध्र प्रदेश, तो चीनी उत्पादन में यूपी अव्वल; फलों में आम से आगे निकला केला

मछली पालन के मामले में आंध्र प्रदेश करीब 41 फीसदी हिस्सेदारी के साथ पहले नंबर पर है। इसके बाद पश्चिम बंगाल ओडिशा और बिहार का नंबर आता है। चीनी उत्पादन की बात करें तो अकेले उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी आधे से अधिक है। फलों की बात करें तो 2022-23 में केले ने उत्पादन के मूल्य के मामले में फलों के राजा आम को पीछे छोड़ दिया।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Sun, 23 Jun 2024 02:44 PM (IST)
Hero Image
भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि, वानिकी और मछली पकड़ने के व्यवसाय की काफी अहमियत है।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। बीते दो दशक के दौरान देश में मछली की खपत काफी ज्यादा बढ़ी है। अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) की रिपोर्ट बताती है कि 2005 में एक व्यक्ति सालभर में औसतन 4.9 किलो मछली खाता था। लेकिन, 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 8.89 किलो तक पहुंच गया। इसका असर जाहिर तौर पर मछली की मांग पर पड़ा और मछली पालने के व्यवसाय ने जोर पकड़ा।

जलकृषि में आंध्र प्रदेश अव्वल

अगर राज्यों की बात करें, तो मत्स्य पालन और जलकृषि में आंध्र प्रदेश अव्वल है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसकी व्यवसाय में कुल हिस्सेदारी 40.9 फीसदी है। इसके बाद पश्चिम बंगाल, ओडिशा और बिहार का नंबर आता है।

मत्स्य पालन में पश्चिम बंगाल की हिस्सेदारी 2011-12 में 24.6 फीसदी थी, जो 2022-23 में घटकर 14.4 फीसदी हो गई। कृषि और संबद्ध क्षेत्रों से उत्पादन के मूल्य पर सांख्यिकी कार्यालय की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, ओडिशा और बिहार ने अपना हिस्सा बढ़ाया है।

पशुधन उत्पाद में भी इजाफा

मत्स्य पालन और जलकृषि का उत्पादन 2011-12 में लगभग 80,000 करोड़ रुपये था। यह एक दशक यानी 2022-23 में बढ़कर लगभग 1,95,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। समुद्री मछली पकड़ने के उत्पादन में झींगा का दोनों तरह से उत्पादन शामिल है, चाहे उन्हें समुद्र से पकड़ा गया हो, या फिर जमीन पर पाला गया हो।

2011-12 से 2022-23 के बीच पशुधन (livestock) सब-सेगमेंट का उत्पादन भी लगातार बढ़ा है। इस दौरान पशुधन से होने वाले दूध, मांस और अंडे का उत्पादन बढ़ा है। पशुधन सब-सेक्टर के उत्पादन का लगभग एक चौथाई हिस्सा उत्तर प्रदेश और राजस्थान से आया। वहीं, तमिलनाडु का उत्पादन तेजी से बढ़ा।

यूपी चीनी में सबसे मीठा

उत्तर प्रदेश की 2011-12 में चीनी उत्पादन में हिस्सेदारी करीब 41 फीसदी थी। यह एक दशक में बढ़कर देश के कुल उत्पादन की आधे से अधिक हो गई। दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र रहा, 19 फीसदी उत्पादन के साथ। इसके बाद कर्नाटक (8.9%), तमिलनाडु (3.9%), बिहार (3.3%) रहा। शेष राज्यों की हिस्सेदारी 11.4% थी।

फलों की बात करें, तो 2022-23 में केले ने उत्पादन के मूल्य के मामले में फलों के राजा आम को पीछे छोड़ दिया। केले की हिस्सेदारी 10.9 फीसदी थी। आम की इससे थोड़ी कम यानी 10 फीसदी। सब्जियों में आलू और प्याज ने मिलकर सबसे अधिक उत्पादन में योगदान दिया। इनकी समूह के कुल उत्पादन में 15 फीसदी हिस्सेदारी थी। फूलों की खेती का योगदान लगभग 7 प्रतिशत था।

अर्थव्यवस्था में अहमियत

भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि, वानिकी और मछली पकड़ने के व्यवसाय की काफी अहमियत है। डेटा से पता चलता है कि 2022-23 में मौजूदा कीमतों पर इनकी ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) में हिस्सेदारी 18.2 फीसदी है। GVA आर्थिक प्रदर्शन का एक प्रमुख संकेतक है।

अगर कृषि योग्य भूमि (155.37 मिलियन हेक्टेयर) की बात करें, तो भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है। अनाज उत्पादन में तीसरे; और मूंगफली, फल, सब्जियां, गन्ना, चाय और जूट में दूसरे स्थान पर है। 2020 की नवीनतम उपलब्ध जानकारी के अनुसार, देश में भैंस और बकरी के सबसे बड़े झुंड थे। इस मामले में यह दुनिया में दूसरे नंबर पर है।

मुर्गियों की आबादी के मामले में भारत दुनिया में सातवें स्थान पर है। हम दूध का सबसे अधिक उत्पादन करते हैं। वहीं अंडे के उत्पादन में दूसरे और मीट में पांचवें नंबर पर हैं।

यह भी पढ़ें : Gautam Adani : सुनील मित्तल और राजीव बजाज को छोड़िए, अपने अधिकारियों से भी कम वेतन लेते हैं गौतम अदाणी