Stock Market Crash: शेयर मार्केट में सुनामी; इन पांच बड़े कारणों से क्रैश हुआ बाजार
Share Market Crash भारत के स्टॉक मार्केट में आज (तीन अक्टूबर) को हाहाकार मचा हुआ है। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों 2 फीसदी से अधिक गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं। निवेशकों के लाखों करोड़ रुपये स्वाहा हो गए हैं। आइए जानते हैं कि भारतीय शेयर बाजार में इस बड़ी गिरावट की क्या वजह है और क्या यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार में लगातार तीसरे कारोबारी सत्र के दौरान गिरावट जारी है। आज दोनों प्रमुख सूचकांक यानी सेंसेक्स और निफ्टी 2 फीसदी से अधिक की गिरावट के साथ ट्रेड कर रहे हैं। इससे पहले मंगलवार को बाजार में मामूली गिरावट आई थी। वहीं, सोमवार को भी दोनों इंडेक्स करीब डेढ़ फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुए थे। आइए समझते हैं कि भारतीय शेयर बाजार में लगातार गिरावट की वजह क्या है।
ईरान-इजरायल युद्ध से सहमा बाजार
ईरान और इजरायल की लड़ाई से पूरी दुनिया के बाजारों प्रभावित होने की आशंका है। इजराइल एकसाथ कई मोर्चे पर जंग लड़ रहा है। उसकी फौज लेबनान में हिजबुल्लाह, गाजा में हमास, यमन में हूती विद्रोहियों के अलावा सीरिया और ईरान से भी भिड़ी हुई है। मंगलवार को ईरान-इजरायल युद्ध गरमाया था और उस दिन अमेरिकी शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आई थी। चूंकि, भारतीय बाजार 2 अक्टूबर गांधी जयंती के चलते बंद था, तो युद्ध के प्रभाव का असर आज दिख रहा है।
क्रूड-सप्लाई चेन पर असर पड़ने का खतरा
इजरायल और ईरान युद्ध से कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतों में उतार-चढ़ाव के साथ सप्लाई चेन के भी प्रभावित होने का डर है। भारत का भी इजरायल और ईरान, दोनों से गहरा व्यापारिक नाता है। इजरायल टेक्नोलॉजी के मामलों में भारत का साझीदार हैं, वहीं ईरान तेल का बड़ा उत्पादक देश है। साथ ही, भारत ईरान को बड़े पैमाने पर बासमती चावल, चाय, कॉफी और चीनी भी निर्यात करता है। अगर इजरायल-ईरान का संकट गहराता है, तो इससे कई कंपनियों के कारोबार पर बुरा असर पड़ सकता है। खासकर, आयात और निर्यात से जुड़ी कंपनियां।
यही वजह है कि निवेशक अब शेयर मार्केट जैसी अधिक अस्थिरता वाली असेट को छोड़कर गोल्ड का रुख कर रहे हैं। गोल्ड को सबसे सुरक्षित निवेश समझा जाता है और यह मुद्रास्फीति के खिलाफ कारगर हथियार के रूप में काम करता है।
F&O नियमों में बदलाव का असर
मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग के लिए कुछ नए और सख्त प्रावधान किए हैं। सेबी के सर्कुलर के मुताबिक, 20 नवंबर से कॉन्ट्रैक्ट साइज के नियम लागू होंगे और हर एक्सचेंज में एक हफ्ते में सिर्फ एक ही वीकली एक्सपायरी होगी। वहीं, 1 फरवरी से ऑप्शंस बायर्स के लिए अपफ्रंट प्रीमियम और कैलेंडर स्प्रेड जैसे बेनिफिट को खत्म कर दिया जाएगा।
डेरिवेटिव्स के लिए न्यूनतम ट्रेडिंग रकम 15 लाख रुपये तय की है। यह बाद में 15 लाख से 20 लाख रुपये के बीच होगी। 1 अक्टूबर से सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) को भी डबल कर दिया गया है। इन सबसे F&O में ट्रेड करने वाले निवेशकों का सेंटिमेंट थोड़ा कमजोर हुआ है और इसका भी बाजार पर असर दिख रहा है।