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    Stock Market Crash: फिर क्रैश हुआ भारतीय शेयर बाजार, क्या अमेरिका है इसकी वजह?

    Updated: Thu, 19 Dec 2024 01:39 PM (IST)

    Stock Market Crash Explained भारत के शेयर मार्केट में गिरावट का सिलसिला थम नहीं रहा है। गुरुवार (19 दिसंबर) को लगातार चौथे दिन बाजार में गिरावट आई। सेंसेक्स और निफ्टी शुरुआती कारोबार में ही 1 फीसदी से ज्यादा गिर गए। कई ब्लू-चिप शेयरों में भारी बिकवाली देखने को मिल रही है। आइए समझते हैं कि शेयर बाजार क्रैश क्यों (Stock Market Crash Explained) हुआ?

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    अमेरिकी शेयर मार्केट में गिरावट का असर दुनियाभर के बाजारों पर देखा जा रहा है।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। Why share market is falling: भारत के स्टॉक मार्केट में गुरुवार (19 दिसंबर) को लगातार चौथे दिन लाल निशान में ट्रेड कर रहा है। सेंसेक्स और निफ्टी में 1 फीसदी से ज्यादा गिरावट आई है। रिलायंस इंडस्ट्रीज और HDFC बैंक जैसे ब्लू-चिप शेयरों ने भी 1 से लेकर 2 फीसदी तक गोता लगाया है। आइए समझते हैं कि भारतीय शेयर बाजार के क्रैश होने की वजह क्या है।

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    फेडरल रिजर्व के रेट कट ने निराशा

    फेडरल रिजर्व ने बुधवार (18 दिसंबर) की देर रात ब्याज दरों (US Fed Rate) में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है। यह बाजार के लिए अच्छी खबर थी, लेकिन निराशा फेड रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल (Jerome Powell) की टिप्पणियों से हुई।

    पॉवेल ने कहा कि 2025 में केंद्रीय बैंक सिर्फ दो बार ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। इससे फेड रिजर्व ने 2025 में चार बार ब्याज दर घटाने का पूर्वानुमान दिया था। इसलिए भारत समेत दुनियाभर के शेयर गिर गए हैं।

    रुपया में कमजोरी का असर

    रुपये में गिरावट जारी रुपया गुरुवार को डॉलर के मुकाबले 85.3 रुपये के नए ऑल टाइम लो-लेवल पर पहुंच गया। जब रुपया कमजोर होता है, तो देश में विदेशी निवेश घट जाता है। क्योंकि विदेशी निवेशकों (FII) को अपनी घरेलू मुद्रा में निवेश करने पर मिलने वाला लाभ कम हो जाता है। इसलिए विदेशी निवेशकों लगातार बिकवाली कर रहे हैं।

    डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (DII) ने अपनी खरीदारी से घरेलू बाजार में गिरावट को कुछ हद तक कम करने की कोशिश की है। लेकिन, यह अभी तक नाकाफी साबित हुई है। मौजूदा गिरावट से रिटेल इन्वेस्टर्स भी घबरा गए हैं।

    कंपनियों के हालत सुधरने के संकेत नहीं

    भारतीय कॉरपोरेट्स की पहली और दूसरी तिमाही के वित्तीय नतीजे काफी खराब रहे। तीसरी यानी दिसंबर तिमाही के वित्तीय नतीजे भी ज्यादा बेहतर रहने की उम्मीद नहीं है। एक्सपर्ट का कहना है कि चौथी तिमाही से ही कंपनियों के वित्तीय नतीजों में अच्छी रिकवरी की उम्मीद की जा सकती है।

    एक्सपर्ट का मानना है कि जब तक बड़ी कंपनियों के आय में तेज सुधार नहीं देखते हैं, तब तक शेयर मार्केट में भी कोई खास तेजी नहीं देखने को मिलेगी। कंपनियों के नतीजे बेहतर आने से खपत बढ़ने का भी संकेत मिलेगा, जिससे ओवरऑल इकोनॉमी बेहतर होगी।

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