उस वक्त नोटबंदी को करीब दो महीने हुए थे। कैशलेस इंडिया का नारा जोरों पर था और डिजिटल पेमेंट की दिग्गज कंपनी होने के नाते पेटीएम का भविष्य काफी उज्ज्वल नजर आ रहा था। इसी बात का गुरूर विजय शेखर शर्मा की बातों में दिखा था।
लेकिन, बीते सात साल में हालात काफी बदल गए हैं। आज असल में वे निवेशक रो रहे हैं, जो विजय शेखर शर्मा के साथ हैं। शेयर बाजार में 1955 रुपये पर लिस्ट हुआ पेटीएम का शेयर अब साढ़े चार सौ रुपये से भी नीचे आ गया है। कई बड़े निवेशकों ने घाटा उठाकर अपनी हिस्सेदारी बेच दी है।
आइए जानते हैं कि विजय शेखर शर्मा ने कामयाबी की नई इबारत किस तरह लिखी और उनकी कंपनी के बुरे दिन कैसे आए?
मैगजीन से मिला बिजनेस आइडिया
साल 1978 में जन्मे विजय के पिता स्कूल टीचर थे। उनकी शुरुआती पढ़ाई यूपी के अलीगढ़ में हुई। विजय ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब इंजीनियरिंग के पढ़ाई करने दिल्ली पहुंचे, तो कुछ लोग हिंदी मीडियम का छात्र होने के नाते उनका मजाक भी उड़ाते थे।लेकिन, विजय ने मेहनत की और काफी कम समय में अंग्रेजी पर भी मजबूत पकड़ बना ली। इसके लिए उन्होंने अंग्रेजी मैगजीन पढ़नी शुरू की और वहीं से उन्हें अपना बिजनेस खड़ा करने का आइडिया मिला।
पिता ने दी थी कंपनी बंद करने की सलाह
विजय ने एक इंटरव्यू में बताया था कि शुरुआत में बिजनेस से कुछ खास कमाई नहीं होती थी। महीने में बमुश्किल 10 हजार ही बचते थे। ऐसे में उनके पिता ने कंपनी बंद करके नौकरी करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि कंपनी से बस 10 हजार बचते हैं, नौकरी करोगे तो महीने में कम से कम तीस हजार रुपये कमाओगे।कम कमाई की वजह से शादी करने में भी अड़चनें हुईं। विजय के मुताबिक, जब भी लड़की वाले रिश्ते के लिए आते, तो उनकी कमाई के बारे में जानने के बाद पलटकर फोन ही नहीं करते। विजय का कहना था, मैं एक अयोग्य बैचलर बन गया था, जिससे कोई भी लड़की वाला रिश्ता नहीं जोड़ना चाहता था।
आखिर में साल 2005 में विजय की शादी मृदुला पराशर से हुई। उनका एक बेटा भी है, विवान शर्मा।
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ऐसे बदली विजय की तकदीर
विजय शेखर शर्मा ने पेटीएम की पैरेंट कंपनी One97 Communications Limited की नींव साल 2000 में रखी। पहले इस पर जोक्स, रिंगटोन, एग्जाम रिजल्ट और क्रिकेट मैच का स्कोर दिखता था।लेकिन, विजय की तकदीर सही मायने में बदली 2010 से, जब उन्होंने साउथ दिल्ली के एक किराये के कमरे से डिजिटल पेमेंट और फाइनेंशियल सर्विसेज देने वाली पेटीएम की शुरुआत की। यहां से फिर विजय ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी के बाद कैशलेस इंडिया की बात होने लगी। पेटीएम के यूजर्स की तादाद में तगड़ा उछाल आया। हर छोटी-बड़ी दुकान पर पेटीएम के क्यूआर कोड स्कैनर नजर आने लगे।किराये के कमरे से शुरू हुई कंपनी की वैल्यूएशन अरबों डॉलर हो गई। दिग्गज अमेरिकी निवेशक Warren Buffett ने भी कंपनी में पैसे लगा दिए।
विजय शेखर शर्मा का डाउनफॉल कैसे आया?
पेटीएम की पैरेंट कंपनी One97 Communications ने साल 2021 में IPO लाकर देशभर में हंगामा मचा दिया। कंपनी ने जोरशोर के साथ प्राइस बैंड 2080 रुपये से 2150 रुपये प्रति शेयर तय किया। लेकिन, शेयर नौ फीसदी डिस्काउंट के साथ 1950 रुपये पर लिस्ट हुआ।
लिस्टिंग के ही दिन शेयर 27 फीसदी गिरावट के साथ 1564 रुपये पर आ गए। उसके बाद शेयर प्राइस लगातार गिरता ही रहा। कंपनी ने बीच में निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए 810 रुपये की प्राइस पर शेयर बायबैक भी किया। लेकिन, इसका भी कुछ खास फायदा नहीं हुआ।
RBI के फैसले से टूटा पेटीएम
रिजर्व बैंक ने 31 जनवरी 2024 को पेटीएम पेमेंट्स बैंक (PPBL) पर नियमों का पालन न करने की वजह से पाबंदी लगा दी। केंद्रीय बैंक ने कहा कि 29 फरवरी के बाद पेटीएम बैंक नया डिपॉजिट स्वीकार नहीं कर सकता। साथ ही ग्राहक खातों, वॉलेट और FASTag में लेनदेन भी रोक दिया जाएगा।
इस फैसले से हड़कंप मच गया और पेटीएम के शेयर में लगातार लोअर सर्किट लगने लगा। इसके बाद SEBI ने पेटीएम की सर्किट लिमिट को 20 से घटाकर पहले 10 और फिर 5 फीसदी किया। इन सबके बीच निवेशकों के करोड़ों रुपये स्वाहा हो गए। विजय की कंपनी का मार्केट कैप भी काफी ज्यादा घट गया।हालांकि, अब पेटीएम का शेयर धीरे-धीरे रिकवर कर रहा है। इसमें पिछले कुछ दिनों से अपर सर्किट भी लग रहा है। लेकिन, विजय और पेटीएम के निवेशकों का नुकसान इतना बड़ा है कि यह अपर सर्किट ऊंट के मुंह जीरा लग रहा है।
कितनी है विजय की नेटवर्थ, कहां रहते हैं?
अमेरिकी बिजनेस मैगजीन फोर्ब्स ने साल 2022 में बताया था कि विजय की नेटवर्थ 1.2 अरब डॉलर के बराबर है। 2021 में यह 2.3 और 2020 में 2.4 अरब डॉलर थी।विजय दिल्ली में इंडिया गेट और दिल्ली हाई कोर्ट के पास बसे अमीर उमरा के इलाके गोल्फ लिंक्स में रहते हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह कोठी जब ली गई, तो कीमत करीब 82 करोड़ रुपये थी।
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