पैन अमेरिकन वर्ल्ड एयरवेज दुनिया की सबसे शुरुआती एयरलाइंस में से एक थी। इसने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सैनिकों और सप्लाई को दुनियाभर में पहुंचाने में काफी मदद की थी। 1968 में इसने लोगों को चांद पर ले जाने की बुकिंग भी की। 1970 में इससे सफर करने वाली यात्रियों की तादाद 1 करोड़ से अधिक थी। इतनी सफल एयरलाइन आखिर दिवालिया कैसे हुई?
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी अरबपति एलन मस्क (Elon Musk) ने जब एलान किया कि उनकी स्पेसएक्स (SpaceX) आम जनता को भी अंतरिक्ष की सैर कराएगी, तो लोगों को बहुत हैरानी हुई। लेकिन, एक अमेरिकी एयरलाइन ने आज से करीब 6 दशक पहले ही जनता से चांद का टूर कराने का वादा कर लिया था।
उसने इसके लिए एक क्लब भी बनाया, जिसके हजारों लोग मेंबर भी बने। उस एयरलाइन का नाम था, पैन अमेरिकन वर्ल्ड एयरवेज (Pan American World Airways।)
यह एयरलाइन किसी जमाने में विमानन सेक्टर की चमकता सितारा थी। इससे सफर करना हर किसी का सपना होता। लेकिन, जैसा कि कुदरत का नियम है, जो चमकता है, उसका बुझना भी तय होता है। आइए जानते हैं कि आसमान की बुलंदियों को नापने के बाद यह एयरलाइन फर्श पर कैसे आई।
दूसरे विश्व युद्ध में निभाई अहम भूमिका
राइट बंधुओं यानी विल्बर और ऑरविल ने दुनिया का पहला हवाई जहाज अमेरिका के नॉर्थ कैरोलिना में 17 दिसंबर 1903 को उड़ाया। पैन अमेरिकन वर्ल्ड एयरवेज की नींव इसके करीब 24 साल बाद रखी गई, जो पैन एम (PAN AM) नाम से भी मशहूर थी। इसने काफी कम समय में दुनियाभर की सरहदें नाप डालीं और सबसे मशहूर इंटरनेशनल एयरलाइन बन गई।
पैन एम ने अमेरिका की सबसे अधिक खिदमत की दूसरे विश्व युद्ध (World War II) के दौरान यानी 1939 से 1945 के बीच। इसने दुनियाभर में सैनिकों और आपूर्ति को पहुंचाने में मदद की। इसकी कुशलता के चलते अमेरिका को अपने प्रतिद्वंद्वी देशों पर बढ़त मिली।
1940 के दशक आसपास जेट इंजनों का आविष्कार हुआ। इससे विमानों में सुरक्षा बढ़ी और वे हवा से बात करने लगे। इसने पैन एम को नई बुलंदियों पर पहुंचा दिया। 1970 में पैन एम ने अकेले 1 करोड़ से अधिक यात्रियों को दुनियाभर के 86 देश में सफर कराया। इसने ना जाने कितने नए फीचर्स की शुरुआत की, जो आज भी यानी मॉडर्न एयर ट्रैवल में इस्तेमाल किए जाते हैं।
पैन एम की खासियत थी कि यह अपने यात्रियों को टॉप क्लास लग्जरी सुविधाएं देती थी। उस दौर में हर किसी का सपना होता था पैन एम से ट्रैवल करना।
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जब पैन एम ने बेचे चांद पर जाने के टिकट
1960 के दशक में अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध (Cold War) चरम पर था। दोनों देश एकदूसरे को नीचा दिखाने के लिए अंतरिक्ष में सबसे पहले अपना झंडा पहले फहराना चाहते थे। उसी दौरान एक पत्रकार वियना की एक ट्रैवल एजेंसी में गया और चंद्रमा के लिए उड़ान बुक करने के लिए कहा।
यह बात पैन एम तक भी पहुंची और उसने इस चीज को भुनाने का फैसला किया। एयरलाइन ने साल 1968 में अपना 'फर्स्ट मून फ्लाइट्स' क्लब लॉन्च किया। इसमें ग्राहकों से कहा गया कि भविष्य में चांद के लिए फ्लाइट बुक कर सकते हैं। हालांकि, उड़ान के लिए उन्हें साल 2000 तक इंतजार करना होगा। तीन साल के भीतर करीब 1 लाख लोग इस कॉस्ट-फ्री क्लब के सदस्य बन गए थे।कई लोगों ने इसे पब्लिसिटी स्टंट भी करार दिया। लेकिन, पैन एम के प्रतिनिधियों ने 1980 के दशक में स्पष्ट तौर पर कहा कि 'फर्स्ट मून फ्लाइट्स' असली प्रोग्राम है। उन्होंने जोर दिया कि एयरलाइन अपनी बुकिंग का सम्मान करेगी, क्योंकि जल्द ही कॉमर्शियल स्पेस ट्रैवल मुमकिन हो जाएगा। फिर जिन लोगों ने बुकिंग की है, उन्हें चांद की सैर कराई जाएगी।
तेल संकट से शुरू हुआ पैन एम का बुरा दौर
1970 तक पैन अमेरिकन वर्ल्ड एयरवेज के लिए सबकुछ ठीक चल रहा है। कम लफ्जों में कहें, तो विमानन कंपनी का स्वर्ण काल था यह दौर। लेकिन, फिर बदलाव की बयार इसके खिलाफ बहने लगी।अक्टूबर 1973 में मशहूर तेल संकट (Oil Crisis) आया। अरब पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन OPEC ने एलान किया कि वह उन सभी मुल्कों के खिलाफ तेल प्रतिबंध लगा रहा है, जिन्होंने चौथे अरब-इजरायल युद्ध के दौरान किसी भी रूप में इजरायल का समर्थन किया। इनमें अमेरिका भी शामिल था।
तेल संकट से दुनियाभर में फ्यूल के दाम आसमान छूने लगे। सबसे अधिक मार पड़ी एविएशन सेक्टर पर, जो अभी तक किफायती ईंधन के सहारे ही फलफूल रहा था। फिर अमेरिकी सरकार साल 1978 में एयरलाइन डीरेग्यूलेशन एक्ट लाई। इससे एविएशन इंडस्ट्री नई एयरलाइंस के लिए खुल गई।पैन एम काफी लग्जरी सुविधाएं देती थी, ऐसे में उसे नई किफायती विमानन कंपनियों से प्रतिस्पर्धा करने में परेशानी होने लगी। उसके पैसेंजर भी छिटकने लगे।
प्रॉपर्टी बेचकर वजूद बचाने की कोशिश
पैन एम ने अपना वजूद बचाने के लिए पैसिफिक नेटवर्क और न्यूयॉर्क की प्रतिष्ठित पैन एम बिल्डिंग जैसी बेशकीमती प्रॉपर्टीज को बच दिया। उसने छोटे विमानों के साथ कम लग्जरी सेवाओं के साथ कामकाज चलाने की कोशिश की, लेकिन इससे एयरलाइन के वफादार ग्राहक अलग हो गए, जिन्हें लग्जरी सुविधाओं की आदत थी।
अर्श से फर्श पर कैसे आई एयरलाइन?
पैन एम की लाख कोशिशों के बावजूद उसका कारोबार पटरी पर नहीं आ रहा था। फिर 1988 में कुछ ऐसा हुआ कि पैन एम की पूरी बुनियाद ही हिल गई। दरअसल, लंदन से न्यूयॉर्क जा रही फ्लाइट पैन एम 103 में बम विस्फोट हुआ, जिसमें कुल 270 लोगों की जान की गई।
इस हादसे ने पैन एम की बचीखुची साख पर भी बट्टा लगा दिया। उसे भारी आर्थिक नुकसान भी हुआ। आखिर में एयरलाइन ने अपना खोया रुतबा हासिल करने के लिए लग्जरी एयरबस A310 पर जुआ खेला, लेकिन वह महंगा विमान भी वो चमत्कार नहीं कर सका, जिसकी पैन एम को उम्मीद थी।फिर आया 4 दिसंबर 1991। यह उस पैन अमेरिकन वर्ल्ड एयरवेज का आखिरी दिन साबित हुआ, जिसे कभी अमेरिका में इनोवेशन का दूसरा नाम कहा जाता था। एयरलाइन ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया और सभी उड़ानों का संचालन बंद कर दिया।
बेशक, पैन एम अपने यात्रियों को चांद पर पहुंचाने का वादा पूरा नहीं कर पाई। लेकिन, इसने दुनियाभर के हवाई यात्रियों को अनगिनत यादगार लम्हें दिए, जिन्हें वे ताउम्र भुला नहीं पाए।
(Source courtesy of: इस खबर के लिए हमने simpleflying.com से भी जानकारी जुटायी है )यह भी पढ़ें : Go First Resolution : क्या स्पाइसजेट के CMD को मिलेगी दिवालिया एयरलाइन Go First, बोली बढ़ाने के बाद जगी उम्मीद