अब म्यूचुअल फंड में नहीं होगी गड़बड़ी! इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए 1 नवंबर से लागू होंगे सख्त नियम
मार्केट रेगुलेटर इनसाइडर ट्रेडिंग को रोकने के लिए नए नियम ला रहा है जो 1 नवंबर से प्रभावी होंगे। ये नियम उन कर्मचारियों के लिए होंगे जिनके पास संवेदनशील जानकारियां होंगी। ऐसे शख्स को नामित व्यक्ति (Designated Person) कहा जाएगा। इन सभी को गोपनीयता समझौते पर हस्ताक्षर करने होंगे कि ये किसी भी संवेदनशील जानकारी को दूसरों के साथ साझा नहीं करेंगे।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। शेयर मार्केट में इनसाइडर ट्रेडिंग या फिर फ्रंट रनिंग जैसे शब्द अक्सर सुनाई देते हैं। खासकर, म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में। कई बार फंड हाउस से जुड़े लोगों पर आरोप लगते हैं कि उन्होंने गोपनीय जानकारियों का इस्तेमाल करके पैसे कमाए हैं। म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री पर पारदर्शिता न बरतने के आरोप भी लगते हैं। लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा।
दरअसल, मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सख्त नियम ला रहा है। इसमें खासकर इनसाइडर ट्रेडिंग पर लगाम लगाने का प्रावधान है। आइए जानते हैं कि नए नियमों का क्या असर होगा।
गोपनीयता समझौते पर करना होगा साइन
शेयर मार्केट एक्सपर्ट के मुताबिक, सेबी का नया नियम उन कर्मचारियों के लिए होगा, जिनके पास प्राइस सेंसिटिव यानी किसी कंपनी के शेयर के दाम घटने या बढ़ने जैसी जानकारी होगी। ऐसे शख्स को नामित व्यक्ति (Designated Person) कहा जाएगा। इन सभी को गोपनीयता समझौते पर हस्ताक्षर करने होंगे कि ये किसी भी संवेदनशील जानकारी को साझा नहीं करेंगे।रिश्तेदारों की होल्डिंग भी बतानी होगी
सेबी ने 26 जुलाई को नए नियमों को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया। इसके मुताबिक, प्राइस सेंसिटिव इंफॉर्मेशन रखने वाले अब म्यूचुअल फंड यूनिट की ट्रेडिंग नहीं कर पाएंगे। साथ ही, असेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) को बताना होगा कि म्यूचुअल फंड स्कीम में ट्रस्टी और उनके रिश्तेदारों की होल्डिंग कितनी है। नामित व्यक्ति के ट्रांजेक्शन की जानकारी भी दो दिन के भीतर देनी होगी।
अंदरूनी कंट्रोल की होगी समीक्षा
नए इनसाइडर ट्रेडिंग नियम 1 नवंबर, 2024 से प्रभावी होंगे। इसके तहत एसेट मैनेजमेंट कंपनियों को अपने अंदरूनी कंट्रोल की समय-समय पर समीक्षा भी करनी होगी। सेबी इन नियमों को लंबे समय से लागू करना चाहता था। उसने जुलाई, 2022 में इनसाइडर ट्रेडिंग को लेकर कंसल्टेशन पेपर भी जारी किया। लेकिन, इंडस्ट्री के विरोध के चलते नए नियमों को लागू करने में देरी हुई।
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