विज्ञापन के लिए गूगल से हर्जाने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने जुर्माने के साथ की खारिज
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता का दावा था कि वह अश्लील विज्ञापन के कारण ध्यान भटकने से परीक्षा पास नहीं कर सका। कोर्ट ने कहा कि यह अनुच्छेद-32 के तहत सबसे खराब याचिकाओं में से एक है और इसने कोर्ट का समय बर्बाद किया है।
By Jagran NewsEdited By: Siddharth PriyadarshiUpdated: Fri, 09 Dec 2022 09:38 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। यूट्यूब पर दिखाए गए एक विज्ञापन के लिए गूगल इंडिया से 75 लाख रुपये हर्जाने की मांग करने वाले याचिकाकर्ता पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 25 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया और याचिका खारिज कर दी। इस विज्ञापन में कथित तौर पर अश्लील सामग्री थी।
मध्य प्रदेश निवासी एक व्यक्ति ने याचिका दाखिल कर दावा किया था कि उक्त विज्ञापन की वजह से उसका ध्यान भटक गया था और वह प्रतियोगी परीक्षा को पास नहीं कर सका। यूट्यूब का मालिकाना हक गूगल के पास है।
क्या कहा कोर्ट ने
जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एएस ओका की पीठ ने व्यक्तिगत रूप से पेश याचिकाकर्ता से कहा, 'आप हर्जाना चाहते हैं क्योंकि आपने इंटरनेट पर विज्ञापन देखे, आपका कहना है कि उनकी वजह से आपका ध्यान भटक गया और प्रतियोगी परीक्षा पास नहीं कर पाए। यह अनुच्छेद-32 के तहत दायर सबसे खराब याचिकाओं में से एक है। इस तरह की याचिकाएं न्यायिक समय की बर्बादी है।'याचिकाकर्ता ने क्या मांग की थी
याचिकाकर्ता ने याचिका में इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्मों पर नग्नता पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।
पीठ की टिप्पणी
पीठ ने कहा, 'अगर आपको कोई विज्ञापन पसंद नहीं है, उसे मत देखिए। आपने विज्ञापन क्यों देखा, यह आपका विशेषाधिकार है।' शुरुआत में पीठ ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। लेकिन याची ने दलीलें रखते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि उसे माफ कर दिया जाए और जुर्माना हटा लिया जाए। उसने यह भी कहा कि वह बेरोजगार है। इस पर पीठ ने कहा कि वह अदालत में आकर लोकप्रियता हासिल करने के लिए ऐसी याचिकाएं दाखिल नहीं कर सकता। इसके बाद पीठ ने जुर्माने की राशि एक लाख रुपये से घटाकर 25 हजार रुपये कर दी।
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