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Swiss Bank में क्यों पैसे जमा करते हैं लोग? कैसे चलता है काले धन को छिपाने का खेल

Swiss Banks कालाधन रखने वाले लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक स्विस नेशनल बैंक की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 2021 में भारतीयों की ओर से स्विस बैंकों में जमा की गई राशि बढ़कर 3.83 अरब स्विस फ्रैंक हो गई थी।

By Abhinav ShalyaEdited By: Updated: Sat, 26 Nov 2022 05:36 PM (IST)
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Why do people deposit money in Swiss Bank? (Jagran File Photo)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। स्विस बैंकों में पैसा जमा करने और वापस लाने का मुद्दा देश में आए दिन उछलता रहता है। इस पर राजनीतिक बयानबाजी भी काफी होती है। फिर भी बड़ी संख्या में लोग इन बैंकों में अपना धन जमा कराते हैं।

स्विस नेशनल बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में भारतीयों की ओर से स्विस बैंकों में जमा की गई राशि बढ़कर 3.83 अरब स्विस फ्रैंक हो गई थी, जो कि पिछले साल 2020 में केवल 2.55 अरब स्विस फ्रैंक थी। आइए जानते हैं कि आखिर स्विस बैंकों में राशि जमा कराने का मुद्दा विवादित होने के बाद भी लोग क्यों अपना खाता इन बैंकों में खोलते हैं।

स्विस बैंक क्यों लगते हैं अरबपतियों को आकर्षक

यूरोप के सबसे अमीर देशों में एक स्विट्जरलैंड में जितने भी बैंक हैं, उन्हें स्विस बैंक कहा जाता है। स्विस बैंकों की सबसे बड़ी खासियत यह होती हैं कि किसी व्यक्ति द्वारा इन बैंकों अकाउंट खोलने पर उसकी सूचना को गोपनीय रखा जाता है और केवल अकाउंट नंबर के जरिए ही सारे कार्य किए जाते हैं, जिसे इन बैंकों में 'नंबर्ड अकाउंट' कहते हैं। बड़ी बात यह है कि बैंक में खाता किसका है। इसकी जानकारी कुछ ही लोगों को होती है। इस वजह से पहचान करना भी काफी मुश्किल हो जाता है कि पैसा किस व्यक्ति की ओर से जमा किया है।

बता दें, स्विस बैंकिंग सिस्टम में इस चलन एक पीछे की बड़ी वजह बैंक सीक्रेसी लॉ (गोपनीयता कानून) है, जिसके तहत कोई स्विस बैंक अपने खाताधारक की जानकरी बिना किसी अनुमति के सार्वजनिक नहीं कर सकता है। वहीं, अगर कोई विदेशी व्यक्ति अपने देश में वित्तीय गड़बड़ी करके धन स्विस बैंकों में जमा करता है, लेकिन उस पर स्विट्जरलैंड में कोई भी मामला नहीं है, तो फिर कोई भी सरकारी एजेंसी खाताधारक की जानकारी नहीं मांग सकती है।

अगर कोई भी बैंक का कर्मचारी उस खाताधारक की जानकारी को सार्वजनिक या फिर बैंक से बाहर भेजता है, तो उसे छह महीने की कैद के अलावा 50,000 फ्रैंक्स तक का जुर्माना हो सकता है।

स्विट्जरलैंड कैसे बना दुनिया का बैंकिंग गढ़

बैंकिंग व्यवस्था की शुरुआत इटली से हुई है। आधुनिक बैंकिंग को दिशा देने वाला देश स्विट्जरलैंड को कहा जाता है। स्विस लोगों को परंपरागत तौर पर भी अच्छा बैंकर माना जाता है। स्विट्जरलैंड अमीर देश होने के चलते यूरोप में सदियों और अमेरिकियों के बीच दशकों से काफी विश्वसनीय रहा है। स्विट्जरलैंड बैंकों में आधुनिकता, कानूनों और कम टैक्स को लेकर काफी आगे माना जाता रहा है। वहीं, दोनों विश्व युद्धों के दौरान भी स्विट्जरलैंड किसी पक्ष की ओर से भाग नहीं लिया था। इस कारण बड़ी मात्रा में विश्व युद्ध के दौरान दोनों पक्ष अपना पैसा इस देश में जमा कराते थे और धीरे- धीरे ये दुनिया में बैंकिंग के गढ़ के रूप में प्रसिद्ध हो गया।

स्विस बैंक में भारतीय का कितना काला धन

स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक स्विस नेशनल बैंक की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में भारतीय की ओर से स्विस बैंकों में जमा किए जाने वाले धन में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है और यह 14 वर्ष के उच्चतम स्तर 3.83 अरब स्विस फ्रैंक पहुंच गया था, जो कि पिछले वर्ष 2.55 अरब स्विस फ्रैंक था। भारतीय के द्वारा स्विस बैंकों में जमा किए गए धन का सबसे बड़ा आंकड़ा 2006 में आया था, जो कि 6.5 अरब फ्रैंक था।

स्विस बैंक में धन जमा करने के मामले में भारत का स्थान 44 वां है। रूस का 15 वां और चीन का 24 वां स्थान है। भारत के अलावा इस लिस्ट में अन्य देशों में संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया, जापान, इटली, स्पेन, पनामा, सऊदी अरब, मैक्सिको, इज़राइल, ताइवान, लेबनान, तुर्की, ऑस्ट्रिया, आयरलैंड, ग्रीस, बरमूडा, मार्शल द्वीप समूह, लाइबेरिया, बेल्जियम, माल्टा और कनाडा शामिल हैं।

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