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Tata Sons IPO: टाटा संस तोड़ेगी हुंडई का रिकॉर्ड! जल्द ला सकती है देश का सबसे बड़ा आईपीओ

Tata Sons IPO टाटा ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी- टाटा संस का आईपीओ (Tata Sons IPO) की उम्मीद बढ़ गई है। टाटा ग्रुप का इरादा टाटा संस को लिस्ट कराने का नहीं था। उसने बैंकिंग रेगुलेटर आरबीआई से छूट भी मांगी थी। लेकिन आरबीआई ने उसके अनुरोध को ठुकरा दिया। अब आरबीआई के नियमों के मुताबिक टाटा संस को बतौर NBFC सितंबर 2025 तक आईपीओ लाना पड़ेगा।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Tue, 22 Oct 2024 05:26 PM (IST)
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आरबीआई का मानना है कि अपर लेयर एनबीएफसी के कामकाज में वित्तीय पारदर्शिता होनी चाहिए।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। हुंडई मोटर इंडिया का इश्यू फिलहाल देश का सबसे बड़ा आईपीओ है। इसकी शेयर मार्केट में लिस्टिंग काफी फीकी हुई। लेकिन, एक आईपीओ हुंडई का भी रिकॉर्ड तोड़ सकता है और निवेशकों को भारी लिस्टिंग गेन भी दे सकता है। वह है, टाटा टंस।

दरअसल, टाटा ग्रुप का इरादा अपनी सबसे बड़ी कंपनी टाटा संस को शेयर मार्केट में लिस्ट कराने का नहीं था। उसने इस बारे में आरबीआई से छूट भी मांगी थी। केंद्रीय बैंक ने टाटा संस को अपर लेयर एनबीएफसी (Upper Layer NBFC) के तौर पर क्लासीफाई किया है।

टाटा संस को अब नहीं मिलेगी छूट

आरबीआई का मानना है कि अपर लेयर एनबीएफसी के कामकाज में वित्तीय पारदर्शिता होनी चाहिए। इसलिए उसने ऐसी सभी नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFC) को सितंबर 2025 तक शेयर बाजार में लिस्ट होने का नियम बना रखा है। लेकिन, टाटा संस शेयर मार्केट में लिस्ट नहीं होना चाहती थी, तो उसने इस बारे में बैंकिंग रेगुलेटर से छूट मांगी थी।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आरबीआई ने टाटा संस को अब किसी भी तरह की छूट देने से मना कर दिया है। इसका मतलब है कि अब टाटा संस को सितंबर 2025 तक अपना आईपीओ लाकर शेयर मार्केट में लिस्ट होना ही पड़ेगा। हालांकि, इस बारे में अभी टाटा ग्रुप का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है कि उसका अगला कदम क्या होगा।

टाटा संस लिस्ट होने से बच सकती है?

टाटा संस अगर अब भी आईपीओ लाने और शेयर मार्केट में लिस्ट होने से बचना चाहता है, तो उसे अपना कर्ज कम करना होगा। वित्त वर्ष 2022-23 में टाटा संस की बैलेंस शीट में लगभग 20,270 करोड़ रुपये का कर्ज था। अगर वह अपना कर्ज 100 करोड़ रुपये से कम कर देती है, तो वह आरबीआई की अपर-लेयर NBFC की कैटेगरी से बाहर जा सकती है।

अगर टाटा संस ऐसा कर लेती है, तो उसे आईपीओ लाने या शेयर मार्केट में लिस्ट होने की जरूरत नहीं रह जाएगी। वह कर्ज चुकाने या टाटा कैपिटल में अपनी हिस्सेदारी किसी अन्य संस्था को ट्रांसफर करने पर विचार भी कर रही है। टाटा संस ऐसा करने से कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी (CIC) और अपर-लेयर NBFC के रूप में डी-रजिस्टर कर सकती है।

कितना बड़ा होगा टाटा संस का IPO?

पिछले साल खबर आई थी कि अगर टाटा संस आईपीओ लाती है, तो इसकी वैल्यूएशन 11 लाख करोड़ रुपये हो सकती है। इसका मतलब कि अगर वह अपनी 5 फीसदी हिस्सेदारी भी बेचेगी, तो उसके IPO का आकार तकरीबन 55,000 करोड़ रुपये होगा। यह हुंडई इंडिया के 27,870 करोड़ रुपये के IPO से तकरीबन दोगुना होगा।

टाटा ग्रुप की कई कंपनियों के शेयरों में लगातार तेजी आ रही है। इस स्थिति में टाटा संस का वैल्यूएशन इससे भी अधिक हो सकता है। वह दलाल स्ट्रीट पर ऐसा कीर्तिमान बना सकती है, जिसे शायद आने वाले कई वर्षों में नहीं तोड़ा जा सकेगा। टाटा संस अपना आईपीओ लाएगी या नहीं, इसका पूरा दारोमदार अब टाटा ट्रस्ट के नए चेयरमैन नोएल टाटा के पास है।

टाटा संस में किसकी कितनी हिस्सेदारी?

टाटा संस के शेयरहोल्डिंग पैटर्न के मुताबिक, इसका लगभग 65.9 फीसदी हिस्सा टाटा ट्रस्ट के पास है। वहीं, शापूरजी पलौंजी के पास 18.4 फीसदी, टाटा ग्रुप की अलग-अलग कंपनियों के पास 12.8 फीसदी और टाटा परिवार के पास 2.8 फीसदी हिस्सेदारी है।

टाटा मोटर्स और टाटा केमिकल्स, दोनों के पास होल्डिंग कंपनी में करीब 3 फीसदी स्टेक है। वहीं, टाटा पावर के पास 2 फीसदी और इंडियन होटल्स के पास 1 फीसदी हिस्सेदारी है।

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