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टाटा स्टील ने लीज की शर्तों को ताक पर रख सरकार को लगाई 4700 करोड़ की चपत

जमीन से संबंधित तमाम नियमों को ताक पर रख टाटा स्टील और डीवीसी ने सरकार को राजस्व का खासा नुकसान पहुंचाया है

By Surbhi JainEdited By: Updated: Fri, 03 Feb 2017 11:36 AM (IST)
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टाटा स्टील ने लीज की शर्तों को ताक पर रख सरकार को लगाई 4700 करोड़ की चपत

नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। देश की दिग्गज इस्पात निर्माता कंपनी टाटा स्टील ने लीज की शर्तों को ताक पर रख राज्य सरकार को तगड़ी चपत लगाई है। टाटा स्टील के अलावा एक अन्य सार्वजनिक उपक्रम की कंपनी डीवीसी ने भी कुछ ऐसा ही कारनामा कर सरकार को राजस्व का झटका दिया है।

भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक के राजस्व प्रतिवेदन में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट की मानें तो लीज की जमीन से संबंधित तमाम नियमों को ताक पर रख टाटा स्टील और डीवीसी ने सरकार को राजस्व का खासा नुकसान पहुंचाया है।

टाटा स्टील के पैतरों में उलझ सरकार को 4700 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है जबकि डीवीसी ने इसी तरह के कारनामे से 30 करोड़ के राजस्व का झटका दिया है।
सबलीज की भूमि का अनियमित आवंटन

लीज शर्तों का उल्लंघन करते हुए टाटा स्टील और दामोदर घाटी निगम ने 469.38 एकड़ भूमि को 1279 व्यक्तियों व उद्योगों को 25 जून 1970 और अक्टूबर 2009 के बीच सरकार के पूर्व अनुमोदन के बिना सबलीज पर दे दिया गया। इससे राज्य सरकार को सीधे तौर पर 3,376.24 करोड़ के राजस्व की क्षति हुई।

लाफार्ज को हस्तांतरित कर दी जमीन
सीएजी ने पाया कि पट्टाकृत भूमि के अनियमित हस्तांतरण के कारण सरकार 974.48 करोड़ के राजस्व से वंचित रही है। सीएजी ने टाटा स्टील और लाफार्ज के बीच हुए समझौते का भी उल्लेख किया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि टाटा स्टील ने अपने पट्टे वाले क्षेत्र में एक सीमेंट प्लांट स्थापित किया था। नवंबर 1999 में 122.82 एकड़ भूमि के प्लांट क्षेत्र का पट्टा लाफार्ज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित कर दिया गया जबकि नियमावली पट्टा अधिकारों को अन्य को हस्तांतरण की अनुमति नहीं देता।

अतिक्रमण कर बस गईं बस्तियां
सरकार ने टिस्को को अतिक्रमण मुक्त 12,708.59 एकड़ भूमि 40 वर्ष के लिए जनवरी 1956 में लीज पर दी थी जिसकी अवधि दिसंबर 1995 में समाप्त हो गई। पट्टा समाप्ति के पूर्व टिस्को ने 30 वर्ष की अवधि के लिए मात्र 10,852.27 एकड़ के पट्टे के लिए आवेदन किया और पूर्व के पट्टे से 1786.89 एकड़ (86 बस्ती) के क्षेत्र को अलग करने का आग्रह किया।

यह 1786.89 एकड़ भूमि पूर्णतया अतिक्रमित थी जिसमें 1,111.04 एकड़ भूमि पर 17,986 भवन बने हुए थे। इससे 2014-15 की अवधि के दौरान 220.04 करोड़ के राजस्व ही हानि हुई। सीएजी ने यह भी पाया कि टाटा स्टील ने लीज क्षेत्र 10,852 एकड़ में से 144.33 एकड़ भूमि 59 संस्थाओं जिसमें एक्सएलआरआइ, टाटा राबिन्स, फार्च्यून होटल, टाटा ब्लू स्कोप भी शामिल हैं, को सबलीज पर दे दी।

सरकार ने ऐसे उप पट्टे की भूमि पर सलामी व लगान का राज्यादेश जारी किया। सबलीज धारकों को अधिकार हस्तगत कर दिया गया और टाटा स्टील द्वारा सुपुर्दगी का प्रणाम भी निर्गत कर दिया गया लेकिन सलामी, लगान और उपकर के रूप में 195.31 करोड़ के राजस्व की वसूली नहीं की गई।