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टाटा स्टील ने एक पौंड में बेचा लॉन्ग प्रोडक्ट यूरोप कारोबार

टाटा स्टील ने अपना ब्रिटिश कारोबार बेचना शुरू कर दिया है। कंपनी ने लॉन्ग प्रोडक्ट यूरोप नाम की कारोबारी यूनिट को मामूली रकम पर बेच दिया है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 11 Apr 2016 08:10 PM (IST)
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लंदन। टाटा स्टील ने अपना ब्रिटिश कारोबार बेचना शुरू कर दिया है। कंपनी ने लॉन्ग प्रोडक्ट यूरोप नाम की कारोबारी यूनिट यहां की निवेश फर्म ग्रेबुल कैपिटल को मामूली रकम पर बेच दिया है। इसके लिए कंपनी ने ग्रेबुल के साथ समझौते पर सोमवार को हस्ताक्षर किए। इसके तहत मुख्य रूप से उत्तरी इंग्लैंड की स्कनथोर्प यूनिट आती है। लॉन्ग प्रोडक्ट कारोबार में 4,400 कर्मचारी ब्रिटेन और 400 फ्रांस में कार्यरत हैं। इस बिक्री के साथ ही टाटा की जगह पुराना ब्रिटिश स्टील नाम बहाल हो जाएगा।

लॉन्ग प्रोडक्ट यूरोप के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन बिमलेंद्र झा ने कहा कि यह बिक्री कर्मचारियों के हित में संभव सबसे अच्छा कदम है। यह सौदा एक पौंड (करीब 95 रुपये) की मामूली कीमत पर हुआ है। इसके तहत ब्रिटेन में दो स्टील कारखाने, एक इंजीनियरिंग वर्कशॉप व एक डिजाइन कंसल्टेंसी और फ्रांस की एक मिल शामिल है। करार के दायरे में इस कारोबार की संपत्तियां और देनदारियां दोनों आएंगी। ग्रेबुल अपनी ओर से 40 करोड़ पौंड (करीब 3,800) करोड़ रुपये के निवेश और फाइनेंसिंग पैकेज का इंतजाम करेगी। टाटा स्टील ने बाकी के प्लांटों की बिक्री के लिए केपीएमजी को सलाहकार नियुक्त किया है।

30 मार्च को टाटा स्टील ने ब्रिटिश कारोबार की बिक्री का एलान कर यहां की सरकार को मुश्किल में ला दिया था। सरकार के सामने हजारों नौकरियां बचाने की चुनौती खड़ी हो गई। प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और उनकी सरकार इस कोशिश में जुट गए कि प्लांट सही खरीदार को बेचे जाएं ताकि इन्हें बंद होने से बचाया जा सके। इस कारोबार में 15 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं। परोक्ष रूप से इससे भी अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है।

स्कनथोर्प की बिक्री के बाद अब पूरा फोकस पोर्ट टालबोट प्लांट पर रहेगा। इस सिलसिले में ब्रिटिश सरकार ने भारतीय मूल के कारोबारी और लिबर्टी हाउस के मुखिया संजीव गुप्ता से बातचीत की है। रतन टाटा की अगुआई में भारतीय कंपनी ने कोरस स्टील को 2007 में 12 अरब डॉलर में खरीदा था। टाटा स्टील का यह ब्रिटिश कारोबार तभी से घाटे में चल रहा था। चीन के सस्ते स्टील ने टाटा की ही नहीं, लक्ष्मी निवास मित्तल के नेतृत्व वाली कंपनी आर्सेलर-मित्तल को भी परेशानी में डाल रखा है।