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कर बकाया और बड़ी चूक के मामलों में ही लेना होगा टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट

टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट को लेकर वित्त मंत्रालय की तरफ से स्पष्टीकरण जारी किया गया है। जिसमें बताया गया है कि अगर कोई विदेश दा रहा है तो उसे कर बकाया और बड़ी चूक के मामलों में टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट लेना होगा। प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त के जरिए ही पास करवाया जा सकता है। आइए जानते हैं कि सरकार की तरफ से और क्या कहा गया है।

By Agency Edited By: Mrityunjay Chaudhary Updated: Sun, 28 Jul 2024 11:45 PM (IST)
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सभी को नहीं देना होगा टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट।
पीटीआई, नई दिल्ली। विदेश जाने के लिए टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट अनिवार्य करने संबंधी बजट प्रस्ताव पर सरकार ने स्पष्टीकरण जारी किया है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि प्रस्तावित संशोधन सभी के लिए नहीं है और केवल उन्हीं व्यक्तियों को क्लीयरेंस लेना होगा, जिन पर वित्तीय अनियमितता का आरोप है या उन पर ज्यादा कर बकाया है। मंत्रालय ने वित्त विधेयक, 2024 में काला धन अधिनियम, 2015 के संदर्भ को उन अधिनियमों की सूची में जोड़ने का प्रस्ताव दिया है, जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को टैक्स क्लीयरेंस प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए अपनी देनदारियों को चुकाना होगा।

इसलिए लेना होगा टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट

इसको लेकर मंत्रालय ने कहा कि आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 230 के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है। इसके साथ ही मंत्रालय की तरफ से आगे कहा गया कि आयकर विभाग ने 2004 की अधिसूचना को आधार मानकर स्पष्ट किया है कि भारत में रहने वाले व्यक्तियों को केवल कुछ परिस्थितियों में ही टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट लेने की आवश्यकता होती है। जो व्यक्ति गंभीर वित्तीय अनियमितताओं में शामिल हो और आयकर अधिनियम या संपत्ति कर अधिनियम के तहत मामलों की जांच में उसकी उपस्थिति आवश्यक है। इसके अलावा ऐसे व्यक्ति को भी टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट लेना होगा।

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इनके जरिए दिया जाएगा टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट

जिसके खिलाफ 10 लाख रुपये से अधिक का प्रत्यक्ष कर बकाया है और उस पर किसी प्राधिकरण द्वारा रोक नहीं लगाई गई है। आयकर विभाग ने कहा कि प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त या मुख्य आयकर आयुक्त से अनुमोदन लेने के बाद ही टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट दिया जा सकता है। ऐसा सर्टिफिकेट आयकर प्राधिकरण द्वारा ही जारी किया जा सकता है। जिसमें यह साफ-साफ लिखा हो कि ऐसे व्यक्ति पर आयकर अधिनियम या संपत्ति कर अधिनियम, या उपहार कर अधिनियम, 1958, या व्यय कर अधिनियम, 1987 के अंतर्गत किसी तरह का कर देय नहीं है।