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Term Insurance लेना है तो मत करिए देरी, मृत्यु दर बढ़ने की आशंका से इतने महंगे हो सकते हैं टर्म प्लान

पॉलिसी बाजार की सीबीओ (लाइफ इंश्योरेंस) संतोष अग्रवाल ने बताया कि रिइंश्योरर्स कंपनियां वास्तविक क्लेम और संभावित क्लेम की दरों को माप कर अपना प्रीमियम तय करती हैं।

By Ankit KumarEdited By: Updated: Mon, 25 May 2020 06:53 AM (IST)
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Term Insurance लेना है तो मत करिए देरी, मृत्यु दर बढ़ने की आशंका से इतने महंगे हो सकते हैं टर्म प्लान
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। लाइफ इंश्योरेंस कंपनियां टर्म इंश्योरेंस की कीमत अगले दो-तीन महीने में 20-40 फीसद तक बढ़ा सकती हैं। कुछ कंपनियां पिछले एक माह में टर्म इंश्योरेंस की कीमत पहले ही 20 फीसद तक बढ़ चुकी हैं और अगले 3-6 माह में फिर से 20 फीसद तक प्रीमियम बढ़ाए जाने के पुख्ता संकेत दे रही हैं। इंश्योरेंस विशेषज्ञों के मुताबिक लाइफ इंश्योरेंस कंपनियां टर्म इंश्योरेंस के लिए ग्राहकों से अधिक कीमत इसलिए वसूल रही है क्योंकि रिइंश्योरर्स कंपनियों ने अपना प्रीमियम शुल्क बढ़ा दिया है। लाइफ इंश्योरेंस कंपनियां कई प्रकार के रिस्क कवर करने के लिए रिइंश्योरर्स कंपनियों को प्रीमियम चुकाती हैं। 

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पॉलिसी बाजार की सीबीओ (लाइफ इंश्योरेंस) संतोष अग्रवाल ने बताया कि रिइंश्योरर्स कंपनियां वास्तविक क्लेम और संभावित क्लेम की दरों को माप कर अपना प्रीमियम तय करती हैं। अगर संभावित क्लेम दर उम्मीद से अधिक दिखती है तो उसे मृत्यु दर के लिए नकारात्मक रूप में देखा जाता है और प्रीमियम शुल्क में बढ़ोतरी की जाती है। उन्होंने बताया कि रिइंश्योरर्स कंपनियों द्वारा प्रीमियम बढ़ाने की वजह से लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों ने टर्म इंश्योरेंस की कीमत में पिछले एक माह के दौरान 20 फीसद तक बढ़ोतरी की है।  

उन्होंने बताया कि अगले तीन से छह महीनों में रिइंश्योरर्स कंपनियां अपने प्रीमियम शुल्क में और 20-25 फीसद तक बढ़ोतरी कर सकती है। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में कई चीजें टर्म इंश्योरेंस में जोड़ी जा रही है, इसलिए टर्म इंश्योरेंस के शुल्क में बदलाव होना तय है। पॉलिसी बाजार के मुताबिक पिछले एक माह में टाटा ने अपने टर्म इंश्योरेंस में 30 फीसद की बढ़ोतरी की है। आइपीआरयू ने 21 फीसद, मैक्स ने 3 फीसद तो एचडीएफसी ने 4 फीसद की बढ़ोतरी की है। जो कंपनियां पिछले महीने बढ़ोतरी कम की है या नहीं की है, वे एक साथ ही 40 फीसद तक का इजाफा कर सकती है। 

विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में पश्चिमी देशों की तरह डाटा और अनुभव के आधार पर टर्म इंश्योरेंस का शुल्क तय नहीं होता है। यहां शुद्ध रूप से अनुमान के आधार पर यह काम होता है। अभी के हालात में ऐसा माना जा रहा है कि मृत्यु दर पहले के अनुमान से अधिक हो सकती है। इसलिए इसके शुल्क बढ़ाए जा रहे हैं। अमूमन 10,000 टर्म इंश्योरेंस में समय के भीतर मरने वाले 3 लोग होते हैं जो क्लेम लेते हैं। लेकिन कई बार यह 4-4.5 भी हो जाते हैं। अगर यह दर बढ़ती है तो रिइंश्योरर्स व लाइफ इंश्योरेंस कंपनियां को अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी क्योंकि क्लेम राशि एक करोड़ तक की होती है।

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क्या होता है टर्म इंश्योरेंस

अचानक मृत्यु या दुर्घटना होने पर परिवार को वित्तीय दुश्वारियों से निजात दिलाने के लिए बीमा कंपनियां इंश्योरेंस की पेशकश करती हैं। ज्यादातर मामलों में इसका प्रीमियम भुगतान सालाना किया जाता है और यह उसी अवधि के लिए वैध होता है। टर्म इंश्योरेंस धारकों को सामान्य अवस्था में अवधि खत्म होने के बाद किसी तरह का रिटर्न नहीं मिलता है। इसलिए ज्यादातर कंपनियों की टर्म इंश्योरेंस से जुड़ी योजनाएं ज्यादा महंगी नहीं होती हैं। कई कंपनियां इसके साथ स्वास्थ्य बीमा की पेशकश भी कर रही हैं।