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भारतीय फिनटेक के इतिहास का सबसे बड़ा अधिग्रहण सौदा हुआ रद, PayU नहीं करेगा 38,400 करोड़ की डील

अधिग्रहण सौदे में होने वाला लेनदेन विभिन्न शर्तों के पालन पर निर्भर करता था जिसमें भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) की मंजूरी भी शामिल थी। लेकिन अब पेयू नहीं करेगा बिलडेस्क का अधिग्रहण। ये अधिग्रहण सौदा 38400 करोड़ था।

By AgencyEdited By: Shashank MishraUpdated: Mon, 03 Oct 2022 11:17 PM (IST)
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भारतीय पेमेंट कंपनी बिलडेस्क के साथ पेयू ने अपने सौदे को तोड़ दिया है।
नई दिल्ली, पीटीआई। भारतीय फिनटेक के इतिहास का सबसे बड़ा अधिग्रहण सौदा रद हो गया है। पेयू के मालिकाना हक वाली कंपनी प्रासस ने भारतीय पेमेंट कंपनी बिलडेस्क के साथ अपने सौदे को तोड़ते हुए कहा है कि कुछ ऐसी शर्तें थीं, जिन्हें पूरा नहीं किया गया। यह सौदा 4.7 अरब डालर (38,400 करोड़ रुपये) का था। सोमवार को जारी एक बयान में प्रासस ने कहा, ''इस अधिग्रहण सौदे में होने वाला लेनदेन विभिन्न शर्तों के पालन पर निर्भर करता था, जिसमें भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) की मंजूरी भी शामिल थी।

भारतीय टेक्नोलाजी कंपनियों में किया छह अरब डालर का निवेश 

पेयू ने पांच सितंबर, 2022 को सीसीआइ की मंजूरी हासिल की, लेकिन कुछ शर्तें 30 सितंबर, 2022 तक पूरी नहीं हुईं, जिसके चलते सौदा स्वत: रद हो गया है।'' 31 अगस्त 2021 को, प्रासस ने इस सौदे का एलान किया था। वर्ष 2005 से लेकर अब तक प्रासस भारत में लगातार निवेश और काम कर रही है। कंपनी ने इस दौरान भारतीय टेक्नोलाजी कंपनियों में छह अरब डालर का निवेश किया है।

कंपनी ने अब कहा है कि वह भारतीय बाजार पर अपना ध्यान केंद्रित रखेगी और इस क्षेत्र में अपने वर्तमान बिजनेस को बढ़ाने के लिए काम करती रहेगी। कंपनी ने आनलाइन शापिंग प्लेटफार्म मीशो, बायजूस, डीहाट, मेन्सा ब्रांड्स एंड गुड ग्लैम ग्रुप में निवेश कर रखा है।

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अधिग्रहण अगर पूरा हो जाता तो डिजिटल पेमेंट (बिजनेस टू बिजनेस) सेग्मेंट में पेयू सबसे बड़ा खिलाड़ी बन जाता। इससे एक बड़ी डिजिटल भुगतान कंपनी का गठन होता, जिसका कुल वार्षिक भुगतान मूल्य (टीपीवी) 147 अरब डालर से अधिक होती। इसके मुकाबले में भारतीय बाजार में रेजरपे और सीसीएवेन्यू ही होते, जिनका टीपीवी क्रमश: 50 अरब डालर और 20 अरब डालर है।

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