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IPOs की भरमार, सावधानी में ही है भलाई; क्यों चिंतित हैं विशेषज्ञ

आईपीओ लाने और शेयर बाजार की तेजी के इस दौड़ में आईपीओ की कीमत तय करने की मौजूदा पद्धति पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि नियामक एजेंसियों को निगरानी बढ़ाने के साथ ही आम निवेशकों को भी सतर्क होने की जरूरत है। 02 सितंबर से शुरू होने वाले हफ्ते में सात कंपनियों सूचीबद्ध होने के लिए आईपीओ लेकर आने वाली हैं।

By Jagran News Edited By: Yogesh Singh Updated: Sun, 01 Sep 2024 08:15 PM (IST)
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02 सितंबर से शुरू होने वाले हफ्ते में सात कंपनियों सूचीबद्ध होने के लिए आईपीओ लेकर आने वाली हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत का शेयर बाजार नई ऊंचाइयों का रिकार्ड बनाने में जुटा है। और जब शेयर बाजार ऐसी तेजी का दौर देखता है तो प्रारंभिक पब्लिक ऑफर (IPO) से भी बाजार की गहमा-गहमी बढ़ी रहती है। अगस्त माह में 10 छोटी-बड़ी कंपनियों ने पहली बार शेयर बाजार में पब्लिक इश्यू ले कर आये और 17 हजार करोड़ रुपये जुटाने में सफलता भी हासिल की है। यह शेयर बाजार में आईपीओ लाने वालों का सबसे बड़ा जमावड़ा था। सितंबर माह में यह गहमा-गहम और बढ़ने के संकेत है।

कई कंपनियां ला रही IPO

02 सितंबर से शुरू होने वाले हफ्ते में सात कंपनियों सूचीबद्ध होने के लिए आईपीओ लेकर आने वाली हैं। कोटक सिक्यूरिटीज की डाटा बताता है कि अगर सेबी की मंजूरी समय पर मिल जाए तो वित्त वर्ष के शेष बचे सात महीनों में 75 कंपनियां शेयर बाजार में प्रवेश करने की तैयारी में है। आईपीओ लाने और शेयर बाजार की तेजी के इस दौड़ में आईपीओ की कीमत तय करने की मौजूदा पद्धति पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि नियामक एजेंसियों को निगरानी बढ़ाने के साथ ही आम निवेशकों को भी सतर्क होने की जरूरत है।

क्यों चिंतित हैं विशेषज्ञ

खास तौर पर अभी जिस तरह से छोटी व मझोली कंपनियों (IPO) के आइपीओ के प्रति निवेशकों का रुझान जिस तरह से बढ़ा है उससे विशेषज्ञ चिंतित हैं। एक पखवाड़े पहले दो शोरूम और आठ कर्मचारियों वाली एसएमई कंपनी ने 12 करोड़ रुपये बाजार से जुटाने के लिए आईपीओ लाया था। उसके प्रस्तावित शेयरों से 4000 गुणा ज्यादा (कुल 4600 करोड़ रुपये) के शेयरों के लिए आवेदन आए। शेयर ब्रोकिंग फर्म जरोधा की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2024 के पहले आठ महीनों में 162 एसएमई कंपनियों ने आईपीओ से 5700 करोड़ रुपया जुटाये हैं। इस वर्ग की 20 कंपनियां हर महीने बाजार में आ रही हैं जबकि दो वर्ष पहले तक मुश्किल से दो कंपनियां एसएमई आइपीओ प्लेटफार्म का फायदा उठाती थी।

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निवेशकों के लिए सतर्कता जरूरी

इन कंपनियों में निवेश की अलग जोखिम है क्योंकि इन कंपनियों के बारे में विस्तार से कुछ पता नहीं होता। इन कंपनियों पर पारदर्शिता व जानकारी देने संबंधी नियम भी बड़ी कंपनियों के मुकाबले अलग है। ज्यादा निवेशक इसलिए कतारबद्ध हो रहे हैं कि उन्हें ऐसा लगता है कि कहीं एक बड़ा मौका हाथ से ना निकल जाए। जरोधा ने निवेशकों को निवेश करने से पहले इन कंपनियों के बारे में पूरी जानकारी जुटा लें। पीएचडीसीसीआई के पूंजी बाजार समिति के अध्यक्ष बी के सभरवाल का कहना है कि, “जब भी बाजार में आईपीओ की भीड़ हो तो आम निवेशकों को ज्यादा सतर्कता बरतना चाहिए।

ज्यादा मुनाफे का लालच ठीक नहीं

खास तौर पर जब आइपीओ की कीमत को लेकर अनिश्चितता हो। यह सुखद बात है कि सेबी ने एसएमई निवेशकों को सतर्क रहने को कहा है और कंपनियों व उनके प्रवर्तकों को लेकर ज्यादा से ज्यादा जानकारी लेने की सलाह दी है। हाल ही में जिस तरह से कुछ बगैर मजबूत वित्तीय रिकार्ड वाली कंपनियों के आइपीओ के प्रति निवेशकों ने जो रूख दिखाया था, उसको देखते हुए सेबी की चेतावनी सही प्रतीत होती है। इस प्रकरण से पता चलता है कि सट्टा लगा कर मुनाफा कमाने वाले सक्रिय हैं।

ऐसे में आम निवेशकों के लिए सही यहीं होगा वह सावधानी से निवेश फैसला करें।'' देश के एक अन्य प्रख्यात शेयर बाजार के विशेषज्ञ संदीप सभरवाल सिर्फ एसएमई को लेकर ही नहीं बल्कि कुछ अन्य कंपनियों की तरफ से जिस कीमत पर आइपीओ लाया जा रहा है उसको लेकर भी निवेशकों को सावधान कर रहे हैं। वह पिछले दिनों आइपीओ लाने वाली कंपनी प्रीमियर इनर्जीज का उदाहरण देते हैं कि इस कंपनी ने पिछले वर्ष 43 रुपये प्रति शेयर की कीमत पर प्राइवेट प्लेसमेंट किया था लेकिन इसके आइपीओ की कीमत का बैंड 427-450 रुपये था।

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