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2030 तक 14.8 करोड़ अतिरिक्त रोजगार सृजित करने की जरूरत- गीता गोपीनाथ

Gita Gopinath ने कहा अगर भारत वैश्विक सप्लाई चेन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहता है तो उसे आयात शुल्क कम करने की जरूरत होगी। सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। गोपीनाथ ने कहा कि विकसित देश का दर्जा प्राप्त करना एक जबरदस्त आकांक्षा है। इसे प्राप्त करने के लिए कई क्षेत्रों में व्यापक पैमाने पर निरंतर सुसंगत प्रयासों की जरूरत है।

By Agency Edited By: Yogesh Singh Updated: Sat, 17 Aug 2024 09:00 PM (IST)
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देश में पर्याप्त रोजगार सृजन सुनिश्चित करने के लिए भारत को और सुधारों की जरूरत होगी।
पीटीआई, नई दिल्ली। दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के एक कार्यक्रम में IMF की डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर गीता गोपीनाथ ने कहा कि जी-20 देशों में रोजगार सृजन के मामले में भारत पिछड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या वृद्धि को देखते हुए भारत को 2030 तक 14.8 करोड़ अतिरिक्त रोजगार सृजित करने की आवश्यकता है। 2010 से शुरू होने वाले दशक में भारत की औसत वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रही, लेकिन रोजगार दर 2 प्रतिशत से कम रही। इसलिए कम समय में बहुत अधिक रोजगार सृजित करने होंगे।

उन्होंने कहा कि अधिक रोजगार सृजित करने के लिए निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि यह सकल घरेलू उत्पाद में सात प्रतिशत की वृद्धि के अनुरूप नहीं है। हालांकि, सार्वजनिक निवेश अच्छा चल रहा है। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी शिक्षा प्रणाली में सुधार करना चाहिए, ताकि कुशल कार्यबल तैयार हो सके। विकास की राह पर बने रहने के लिए और सुधारों की जरूरतगीता गोपीनाथ ने कहा कि आर्थिक विकास को बढ़ाने के रास्ते पर बने रहने और देश में पर्याप्त रोजगार सृजन सुनिश्चित करने के लिए भारत को और सुधारों की जरूरत होगी।

उन्होंने कहा कि अगर भारत वैश्विक सप्लाई चेन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहता है तो उसे आयात शुल्क कम करने की जरूरत होगी। सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। गोपीनाथ ने कहा कि विकसित देश का दर्जा प्राप्त करना एक जबरदस्त आकांक्षा है, लेकिन यह स्वत: नहीं होता है। इसे प्राप्त करने के लिए कई क्षेत्रों में व्यापक पैमाने पर निरंतर, सुसंगत प्रयासों की आवश्यकता होती है।

उन्होंने कहा कि भारत अन्य विकासशील देशों के साथ समानता रखता है, जहां एकत्र किया जाने वाला अधिकांश कर राजस्व अप्रत्यक्ष कर है, न कि प्रत्यक्ष कर। हम अन्य विकासशील देशों को भी सलाह दे रहे हैं कि वे व्यक्तिगत आयकर आधार को व्यापक बनाएं, ताकि वहां से अधिक आय प्राप्त की जा सके।