वित्तीय अनुशासन कायम रखने के लिए मुफ्त की नई योजनाओं से परहेज करेगी सरकार
चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में वित्त मंत्री ने राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.1 प्रतिशत रखने का लक्ष्य रखा था लेकिन माना जा रहा है कि अब इस लक्ष्य को कम करके पांच प्रतिशत किया जा सकता है या पांच प्रतिशत के नीचे भी लाया जा सकता है। अगले वित्त वर्ष 2025-26 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.5 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य रखा गया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनावी नतीजों के बाद यूं तो यह अटकलें लगाई जाने लगी है कि सरकार पहले बजट से ही कुछ लोकलुभावन घोषणाएं करें लेकिन अनुशासन को कायम रखना सरकार की पहली प्राथमिकता है और इसीलिए सरकार 23 जुलाई को पेश होने वाले बजट में मुफ्त वाली किसी भी नई योजना से परहेज करेगी। जानकारों का कहना है कि खाद्य, खाद, मनरेगा, उज्ज्वला जैसी विभिन्न योजनाओं की बदौलत सरकार की सब्सिडी पहले ही 3.81 लाख करोड़ तक पहुंच चुकी है।
मुफ्त की किसी नई योजना की शुरुआत करने से सब्सिडी भार और बढ़ेगा और इससे राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी होगी जिससे सरकार की रेटिंग प्रभावित हो सकती है। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में वित्त मंत्री ने राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.1 प्रतिशत रखने का लक्ष्य रखा था, लेकिन माना जा रहा है कि अब इस लक्ष्य को कम करके पांच प्रतिशत किया जा सकता है या पांच प्रतिशत के नीचे भी लाया जा सकता है। अगले वित्त वर्ष 2025-26 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.5 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य रखा गया है।
हालांकि फिस्कल रिस्पांस्बिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट एक्ट (एफआरबीएम) में वर्ष 2018 में हुए संशोधन के मुताबिक राजकोषीय घाटा जीडीपी के तीन प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए और कर्ज और जीडीपी का अनुपात 40 प्रतिशत से अधिक नहीं चाहिए। अभी कर्ज का अनुपात भी जीडीपी के 57.2 प्रतिशत है। वित्तीय जानकारों का कहना है कि गत वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार के टैक्स राजस्व में बढ़ोतरी हुई है और कर्ज में भी कमी आ रही है, लेकिन मुफ्त की नई योजना लांच करने से राजस्व में बढ़ोतरी का फायदा नहीं मिलेगा।
गत वित्त वर्ष 2023-24 में टैक्स राजस्व में पूर्व के वित्त वर्ष के मुकाबले 13 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी रही और इसका असर यह हुआ कि चालू वित्त वर्ष के अंतरिम बजट में सरकार ने बाजार से 14.1 लाख करोड़ उधार लेने का लक्ष्य रखा जबकि गत वित्त वर्ष में बाजार से सरकार का कर्ज 15.4 लाख करोड़ तक पहुंच गया। वित्तीय जानकारों का कहना है कि आगामी 23 जुलाई को पेश होने वाले पूर्ण बजट में बाजार से ली जाने वाली उधारी के लक्ष्य को कम करके 13.5 लाख करोड़ तक लाया जा सकता है।