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Inflation in India: दहलन और तिलहनी फसलों का रिकार्ड उत्पादन, महंगाई थामने में खाद्यान्न की बंपर पैदावार बनेगी संजीवनी, जानें कैसे

खाद्यान्न की बंपर पैदावार से खाद्य वस्तुओं की महंगाई को थामने में मदद मिलेगी। चावल और गेहूं के पर्याप्त अनाज के अलावा दालों के पर्याप्त उत्पादन का अनुमान है। आमतौर पर दाल और खाद्य तेलों की आपूर्ति को लेकर हर साल महंगाई उपभोक्ताओं को तंग करती आ रही है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Mon, 23 May 2022 07:05 AM (IST)
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खाद्यान्न की बंपर पैदावार से महंगाई को थामने में मदद मिलेगी। (File Photo)
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। खाद्यान्न की बंपर पैदावार से खाद्य वस्तुओं की महंगाई को थामने में मदद मिलेगी। चावल और गेहूं के अलावा दालों के पर्याप्त उत्पादन का अनुमान है। आमतौर पर दाल और खाद्य तेलों की आपूर्ति को लेकर हर साल महंगाई उपभोक्ताओं को तंग करती आ रही है। हालांकि इस बार दलहनी फसलों की पैदावार में रिकार्ड वृद्धि होने से देश में दालों की कमी की संभावना नहीं है। इसके बावजूद एहतियातन उपलब्धता बनाए रखने और थोड़ी बहुत जरूरत के लिए सरकार ने आयात का रास्ता खोल रखा है।

सीमा शुल्क में करनी होगी कटौती

हालांकि खाद्य तेलों की महंगाई निश्चित रूप से परेशान कर सकती है। आयातित खाद्य तेलों को सस्ता करने का एकमात्र उपाय सीमा शुल्क में कटौती करना ही होगा। खाद्य वस्तुओं में तेल को छोड़कर बाकी चीजों की सप्लाई लाइन में कोई अवरोध नहीं है।

गेहूं की पैदावार संतोषजनक

गेहूं की पैदावार भी संतोषजनक है। घरेलू खपत के मुकाबले चालू फसल का उत्पादन और पुराना स्टाक (6.65 करोड़ टन) बहुत ज्यादा है। इसीलिए सरकार ने चालू वर्ष में एक करोड़ टन गेहूं निर्यात का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है।

सरकार के कान खड़े

हालांकि वैश्विक जिंस बाजार की चाल और निजी निर्यातकों की सक्रियता को देखते हुए सरकार के कान खड़े हो गए। इसीलिए सरकार ने पिछले सप्ताह गेहूं निर्यात को नियंत्रित करने के उद्देश्य से इसे प्रतिबंधित सूची में डाल दिया है। इससे अब प्राइवेट सेक्टर अपनी मनमानी करते हुए अंधाधुंध गेहूं का निर्यात नहीं कर सकते हैं। सरकार ने गेहूं निर्यात के लिए कुछ शर्तें लगा दी है। सरकार का उद्देश्य घरेलू बाजार में महंगाई को रोकना है।

खाद्यान्न उत्पादन का तीसरा अग्रिम अनुमान जारी

कृषि मंत्रालय ने पिछले सप्ताह ही खाद्यान्न उत्पादन का तीसरा अग्रिम अनुमान जारी किया है। इसके मुताबिक चालू फसल वर्ष में रिकार्ड 32.45 करोड़ टन उत्पादन होगा। इसमें प्रमुख फसल गेहूं 10.64 करोड़ टन और चावल 12.96 करोड़ टन चावल की हिस्सेदारी है।

गेहूं की वैश्विक मांग बढ़ी

चावल निर्यात में भारत पहले से ही बेहतर प्रदर्शन कर रहा है, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद से गेहूं की वैश्विक मांग बढ़ी है। इसका फायदा भारतीय निर्यातक उठाने में जुट गए हैं। घरेलू खपत को ध्यान में रखकर सरकार ने उसे प्रतिबंधित कैटेगरी में डाल दिया है। मोटे अनाज वाली फसलों का प्रदर्शन भी बेहतर रहा है, जो खाद्य सुरक्षा के लिए अच्छे संकेत हैं।

दालों की वजह से महंगाई बढ़ने की संभावना नगण्य

दलहनी खेती को प्रोत्साहन से रिकार्ड पैदावार 2.77 करोड़ टन की पैदावार है, जो दालों की घरेलू खपत को पूरी कर सकती है। दालों की वजह से महंगाई बढ़ने की संभावना नगण्य है। घरेलू खपत को पूरा करने के लिए खाद्य तेलों का 60 प्रतिशत से अधिक करना पड़ता है आयात। वैश्विक सप्लाई बाधित होने से फिलहाल इसमें आग लगी हुई है। इस महंगाई की आग बुझाने के लिए सरकार के पास एकमात्र रास्ता सीमा शुल्क में कटौती है। आलू, प्याज व टमाटर की महंगाई से कई बार उपभोक्ता तंग रहे हैं। लेकिन इस बार देश में दोनों कच्ची जिंसों की पर्याप्त उपलब्धता है।