वृद्धि को प्रभावित कर सकती है बहुत अधिक नियामकीय घेराबंदी: उदय कोटक
राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) के दो दिवसीय कार्यक्रम में दिग्गज बैंक उदय कोटक ने कहा कि ज्यादा नियामकीय घेराबंदी आर्थिक वृद्धि को बाधित करने के साथ एक विकसित राष्ट्र की ओर भारत की यात्रा को बाधित कर सकती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 7.5-8 प्रतिशत की तेज वृद्धि दर हासिल करने के लिए रचनात्मकता उद्यमिता और पेशेवर भावना की जरूरत है।
पीटीआई, नई दिल्ली। दिग्गज बैंकर उदय कोटक ने मंगलवार को कहा कि बहुत अधिक नियामकीय घेराबंदी आर्थिक वृद्धि को बाधित कर सकती है और एक विकसित राष्ट्र की ओर भारत की यात्रा को बाधित कर सकती है। उन्होंने राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) के दो दिवसीय कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि नियामकों को बहुत अधिक रूढ़िवादी और सतर्क नहीं होना चाहिए।
इसकी जगह संबंधित क्षेत्रों में किसी आकस्मिक घटना पर तेजी से प्रतिक्रिया देनी चाहिए।उन्होंने कहा, 'मैं भारत के भविष्य के बारे में बहुत आशावादी हूं, लेकिन मैं इस बात को लेकर भी बहुत सचेत हूं कि, घेराबंदी के बिना अवसरों को पाने की बेलगाम कोशिश जोखिम पैदा कर सकती है और इसी तरह बहुत अधिक घेराबंदी से भी हम वहां (विकसित देश) तक नहीं पहुंच पाएंगे।'
यह भी पढ़ें: पेटीएम और IIFL फाइनेंस के बाद अब RBI के निशाने पर JM Financial, शेयर-डिबेंचर्स के बदले लोन देने पर लगाई रोकअगले 20-25 वर्षों में 7.5-8 प्रतिशत की तेज वृद्धि दर हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण क्षमता निर्माण जरूरी है। इसके लिए रचनात्मकता, उद्यमिता और पेशेवर भावना की जरूरत है। यदि भारतीय अर्थव्यवस्था को बदलना है तो हमें अपनी अपनी उद्यमशीलता और रचनात्मक भावनाओं की रक्षा और पोषण करने की बहुत जरूर है।
उदय कोटक
वृद्धि के लिए व्यावसायिक सत्यनिष्ठा महत्वपूर्ण: एनसीएलएटी चेयरमैन
अपीलीय न्यायाधिकरण राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के चेयरमैन न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने मंगलवार को कहा कि आर्थिक वृद्धि के लिए व्यावसायिक सत्यनिष्ठा बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कंपनियों की पहली जिम्मेदारी ऐसे बहीखातों को तैयार करने की है, जिन पर भरोसा किया जा सकता है।उन्होंने जोर देकर कहा कि लगातार सतर्कता बरतने की जरूरत है ताकि पारदर्शिता और शासन व्यवस्था का प्रत्येक ठीक से और पूरी क्षमता से काम करे। उन्होंने कहा कि अगर वित्तीय स्थिति निष्पक्ष रूप से नहीं बताई गई, तो संस्थानों और निवेशकों से पैसा जुटाना मुश्किल हो जाता है।