वित्त मंत्री से ट्रेड यूनियनों की मांग: पुरानी पेंशन की हो बहाली, 8वें वेतन आयोग का जल्द किया जाए गठन
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट से पहले ट्रेड यूनियन नेताओं के साथ मीटिंग की। इसमें ट्रेड यूनियन ने अपनी मांगों और सुझावों से वित्त मंत्री को अवगत कराया। उन्होंने आठवें वेतन आयोग का गठन करने वेतनभोगी वर्ग के लिए कर छूट में वृद्धि और पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली जैसी कुछ प्रमुख मांगें रखीं। यूनियनों ने सरकार से सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण अभियान को रोकने की अपील की।
पीटीआई, नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट पूर्व बैठक में ट्रेड यूनियन नेताओं ने आठवें वेतन आयोग का गठन करने, वेतनभोगी वर्ग के लिए कर छूट में वृद्धि और पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली जैसी कुछ प्रमुख मांगें रखीं। यूनियनों ने सरकार से सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण अभियान को रोकने, नई पेंशन योजना को खत्म करने और पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को बहाल करने के लिए भी कहा।
बैठक में इंटक, एटक, सीआईटीयू सहित 12 ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों ने बैठक में भाग लिया। सीटू ने अपने ज्ञापन में कहा कि वेतनभोगी वर्ग के लिए उनके वेतन और ग्रेच्युटी पर आयकर छूट की अधिकतम सीमा को पर्याप्त रूप से बढ़ाया जाना चाहिए। असंगठित श्रमिकों और कृषि श्रमिकों के लिए सरकार द्वारा प्रायोजित सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना की जानी चाहिए ताकि उन्हें न्यूनतम 9,000 रुपये प्रति माह पेंशन और अन्य चिकित्सा, शैक्षिक लाभ सहित सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा योजनाएं प्रदान की जा सकें।''
इसके अलावा, उन्होंने मांग की है कि केंद्र सरकार के विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों में सभी मौजूदा रिक्तियों को तुरंत भरा जाना चाहिए और अनुबंध और आउटसोर्सिंग की प्रथा को रोका जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि आम जनता पर आवश्यक खाद्य वस्तुओं और दवाओं पर जीएसटी का बोझ डालने के बजाय कारपोरेट टैक्स, संपत्ति कर और विरासत कर बढ़ाकर संसाधन जुटाए जाने चाहिए।
बढ़ाया जाना चाहिए मनरेगा का दायरा
भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने अलग से अपनी मांग के साथ एक ज्ञापन सौंपा। इसके अनुसार मनरेगा का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए और प्रत्येक परिवार के लिए 200 दिन के काम की गारंटी का प्रविधान किया जाना चाहिए। इसके अलावा, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के कार्यों को मनरेगा से जोड़ा जाना चाहिए। इसमें 60 वर्ष से अधिक आयु के सभी व्यक्तियों को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने की भी मांग की गई है। इसे 100 रुपये प्रति माह की टोकन राशि और 5 लाख रुपये सालाना कवरेज के साथ अंशदायी बनाया जा सकता है। इसके अलावा आयुष्मान भारत योजना के मानदंडों में आय की सीमा को 1.20 लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये किया जाना चाहिए।
जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने का आह्वान
आटो कंपोनेंट से जुड़े उद्योग संगठन एसीएमए ने आगामी बजट में पूंजीगत व्यय को प्रोत्साहित करने, इलेक्टि्रक वाहनों और इसके कलपुर्जों पर जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने का आह्वान किया है। वहीं इंडिया एनर्जी स्टोरेज एलायंस (आइईएसए) के प्रेसिडेंट राहुल वालावलकर ने कहा कि अभी लिथियम आयन बैटरी पर जीएसटी दर 18 प्रतिशत है और अन्य बैटरी पर 28 प्रतिशत है। हम चाहते हैं कि सभी तरह की बैटरी 18 प्रतिशत जीएसटी के दायरे में आएं। इसके अलावा चार्जिंग इन्फ्रा सेवाओं और बैटरी स्वैपिंग सेवाओं पर लगने वाली जीएसटी दर को 28 प्रतिशत से घटाकर पांच या 18 प्रतिशत किया जाना चाहिए।
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