कैश ऑन डिलीवरी नहीं, इस तरीके से पेमेंट करना ज्यादा पसंद कर रहे ऑनलाइन खरीदार
भारत में 2018 के दौरान सिर्फ 20.4 फीसदी लोग यूपीआई या फिर क्रेडिट कार्ड जैसे वैकल्पिक तरीकों से पेमेंट करते थे। लेकिन 2023 में यह संख्या बढ़कर 58 फीसदी से अधिक हो गई। भारत के साथ ही यह ट्रेंड उन एशियाई देशों में भी देखा जा रहा है जहां नकदी का चलन ज्यादा है। आइए जानते हैं कि किस वजह से कैश ऑन डिलीवरी का चलन घट रहा है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारत में डिजिटलाइजेशन की शुरुआत के बाद पेमेंट के तरीके में बड़ा बदलाव आया है। अब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर खरीदारी के बाद कैश ऑन डिलीवरी (COD) करने वालों की तादाद काफी घट गई है।
डेटा और एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबलडेटा की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2018 के दौरान सिर्फ 20.4 फीसदी लोग वैकल्पिक तरीकों से पेमेंट करते थे। लेकिन, 2023 में यह संख्या बढ़कर 58 फीसदी से अधिक हो गई।
अगर पारंपरिक नकदी के अलावा पेमेंट के अन्य विकल्पों की बात करें, तो यूपीआई, डेबिट कार्ड और क्रेडिट का चलन काफी बढ़ा है। खासकर, यूपीआई से ग्रामीण इलाकों में ज्यादा लोग ई-कॉमर्स खरीदारी का भुगतान कर रहे हैं, क्योंकि यह सबसे आसान है।
यूपीआई का अहम योगदान
ग्लोबल डेटा की रिपोर्ट के मुताबिक, 'यूजर ज्यादातर इस्तेमाल मोबाइल वॉलेट का कर रहे हैं, जो काफी हद तक यूपीआई के जरिए चलता है। यह क्यूआर कोड को स्कैन करके रियल टाइम में मोबाइल से पेमेंट की सहूलियत देता है। ऐसे वैकल्पिक भुगतान चीन और भारत जैसे देशों में काफी लोकप्रिय हैं और एशिया पैसिफिक के अन्य देशों में भी इसे अपनाया जा रहा है।'
फिलहाल ईकॉमर्स खरीदारी का भुगतान वैकल्पिक तरीकों से करने के मामले में चीन सबसे आगे है। पिछले साल एशिया पैसिफिक रीजन में कुल ईकॉमर्स भुगतान का करीब दो-तिहाई हिस्सा चीन के पास था। भारत में 2018 के बाद वैकल्पिक तरीके से पेमेंट काफी बढ़ा है। फिलीपींस, मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों में भी यही चलन है, जो अमूमन ज्यादा नकदी वाले देश माने जाते हैं।