अमीर खाते हैं डीजल सब्सिडी की मलाई
कहने को तो डीजल सब्सिडी की व्यवस्था गरीब किसानों को खेती कार्य में सहूलियत देने के लिए की गई है, लेकिन हकीकत में इसका असली फायदा महंगी गाड़ियां चलाने वाले उठा रहे हैं। हालत यह है कि हर वर्ष दी जाने वाली
By Edited By: Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
नई दिल्ली, [जयप्रकाश रंजन]। कहने को तो डीजल सब्सिडी की व्यवस्था गरीब किसानों को खेती कार्य में सहूलियत देने के लिए की गई है, लेकिन हकीकत में इसका असली फायदा महंगी गाड़ियां चलाने वाले उठा रहे हैं। हालत यह है कि हर वर्ष दी जाने वाली 80-90 हजार करोड़ रुपये की डीजल सब्सिडी का महज तीन फीसद ही सिंचाई कार्य में जा रहा है। एक तिहाई डीजल सब्सिडी सीधे तौर पर एसयूवी (स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल) व अन्य निजी वाहन चलाने वालों की जेब में जा रही है।
पढ़ें: सब्सिडी पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट से राहत डीजल सब्सिडी के इस्तेमाल पर पेट्रोलियम मंत्रालय ने पहली बार पुख्ता जानकारी इकठ्ठी की है। इससे साफ है कि पिछले वित्त वर्ष 2012-13 के दौरान दी गई 92,000 करोड़ रुपये की डीजल सब्सिडी का एक बड़ा हिस्सा पर्यटकों को ढोने, निजी गाड़ियों और पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक समझे जाने वाले तीन पहिया वाहनों को दिया गया है। इन आंकड़ों के मुताबिक कुल डीजल बिक्री का नौ फीसद कॉमर्शियल लाइसेंस वाली कारों में और 13 फीसद निजी वाहनों में (एसयूवी, कार वगैरह) में हुआ है। खेती में 13 फीसद डीजल की खपत हुई है। औद्योगिक इस्तेमाल में करीब 19 फीसद डीजल खपता है। वैसे, इस क्षेत्र से अब डीजल की बाजार कीमत वसूली जाती है। सरकार आने वाले दिनों में इन सूचनाओं के आधार पर ही डीजल सब्सिडी पर फैसला करेगी। पेट्रोलियम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक निजी व कॉमर्शियल वाहनों की डीजल सब्सिडी में हिस्सेदारी 38 फीसद के करीब है। पिछले दो से तीन वर्षो के दौरान डीजल चालित कारों की बिक्री में जबरदस्त बढ़ोतरी की वजह से पैसेंजर वाहन क्षेत्र में सब्सिडी का बड़ा हिस्सा खपा है। वर्ष 2012-13 में देश में जितनी कारों की बिक्री हुई, उनमें 58 फीसद डीजल चालित कारें थी। इस वर्ष भी इनकी बिक्री 35 फीसद बढ़ी है। लिहाजा पर्सनल कारों में डीजल का इस्तेमाल और बढ़ेगा।
केंद्र सरकार पिछले तीन वित्त वर्षो में 2,07,959 करोड़ रुपये की डीजल सब्सिडी दे चुकी है। चालू वित्त वर्ष के दौरान डीजल में हर महीने 50 पैसे की वृद्धि के बावजूद इस पर 85 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी जाने के आसार हैं। तेल कंपनियों को डीजल पर 10.50 पैसे प्रति लीटर का घाटा हो रहा है। जब भी डीजल की कीमत बढ़ाने की कोशिश होती है तो राजनीतिक दल यह दावा करते हैं कि इससे किसानों की कमर टूट जाएगी। कहां गई सब्सिडी
मद , खपत में हिस्सा निजी वाहन , 13 कॉमर्शियल कारें , 9 तिपहिया वाहन , 6 ट्रैक्टर व अन्य , 10 कृषि उपकरण सिंचाई, 3 औद्योगिक इस्तेमाल, 19 (सभी आंकड़े फीसद में)