US Economy: अमेरिकी अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने के संकेत, पिछली तिमाही में 2.6 फीसद रही विकास दर
अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा मुद्रास्फीति से निपटने के लिए ब्याज दरों में लगातार वृद्धि के बीच कई अर्थशास्त्रियों ने चिंता व्यक्त की है कि अगले साल मंदी की आ सकती है। आर्थिक वृद्धि में लगातार दो तिमाहियों में गिरावट मंदी का संकेत माना जाता है।
By AgencyEdited By: Siddharth PriyadarshiUpdated: Thu, 27 Oct 2022 07:23 PM (IST)
वाशिंगटन, एजेंसी। वर्ष 2022 की पहली दो तिमाहियों में पिछड़ने के बाद अमेरिकी अर्थव्यवस्था के बीती तिमाही में सकरात्मक रहने की संभावना है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में जुलाई से सितंबर तक 2.6 फीसद की दर से वृद्धि हुई है। आर्थिक संकट की दो तिमाहियों के बाद आखिरकार उच्च मुद्रास्फीति और ब्याज दरों की बढ़ोतरी से अर्थव्यवस्था उबरती नजर आ रही है।
जनवरी-मार्च की अवधि में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 1.6 प्रतिशत और अप्रैल से जून के बीच 0.6 प्रतिशत की वार्षिक गिरावट आई थी। वाणिज्य विभाग के गुरुवार के अनुमान से पता चला है कि अमेरिका का सकल घरेलू उत्पाद 2022 की पहली छमाही में सिकुड़ने के बाद तीसरी तिमाही में बढ़ा। मजबूत निर्यात और स्थिर उपभोक्ता खर्च ने दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को संकट से उबरने में मदद की है।
मंदी से बची है अमेरिकी अर्थव्यवस्था
डेटा जुटाने वाली कंपनी फैक्टसेट के सर्वेक्षण में अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया है कि मौजूदा वर्ष की तीसरी तिमाही में अमेरिका का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दो प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ सकता है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा मुद्रास्फीति से निपटने के लिए ब्याज दरों में लगातार वृद्धि के बीच कई अर्थशास्त्रियों ने चिंता व्यक्त की है कि अगले साल मंदी की आ सकती है। लेकिन ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अर्थव्यवस्था अब तक मंदी से बची हुई है। बता दें कि आर्थिक वृद्धि में लगातार दो तिमाहियों में गिरावट मंदी का संकेत माना जाता है।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए मुश्किलें अभी कम नहीं हुई हैं और महंगाई अभी भी 40 साल के उच्चतम स्तर के करीब है। यह लोगों को बुरी तरह प्रभावित भी कर रही है। बढ़ती ब्याज दरों ने हाउसिंग मार्केट को पटरी से उतार दिया है। यूएस फेड द्वारा दरों में होने वाली बढ़ोतरी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही है। लेकिन इसका असर अभी दिखाई दे नहीं दे रहा है।