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US Fed Rate Hike: फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर बढ़ाने से सहमे बाजार; जानें भारत पर क्या होगा इसका असर

US Fed Rate Hike अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने का सीधा प्रभाव दुनिया के बाजारों में देखने को मिल सकता है। इसके बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) पर भी रेपो रेट में इजाफा करने का दबाव बढ़ गया है।

By Abhinav ShalyaEdited By: Updated: Thu, 22 Sep 2022 09:28 AM (IST)
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US Fed Rate Hike impact on india in hindi, know details
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। यूएस फेडरल रिजर्व (अमेरिकी केंद्रीय बैंक) ने बुधवार को ब्याज दरों को 75 बेसिस पॉइंट या 0.75 प्रतिशत बढ़ाने का ऐलान किया। यह लगातार तीसरी बार जब अमरीका के केंद्रीय बैंक की ओर से महंगाई को काबू करने के ब्याज दरों में इजाफा किया है।

महंगाई इन दिनों पूरी दुनिया में चिंता का विषय बनी हुई है। अमेरिका में भी यह 40 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। वहीं, फेड की ओर से ब्याज दरों को लेकर दी गई कमेंट्री में कहा गया है कि महंगाई को 2 प्रतिशत तक लाने के लक्ष्य के तहत 2023 में ब्याज दरों को बढ़ाकर 4.6 प्रतिशत किया जा सकता है। इस साल की शुरुआत में यह करीब 0 प्रतिशत थी।

पूरी दुनिया को प्रभावित करती है फेड रेट हाइक

जानकार मान रहे हैं कि फेड की ओर से महंगाई को काबू करने के लिए अपनाई गई आक्रामक नीति का प्रभाव अमेरिका में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में देखने को मिलेगा। भारत पर भी इसके कुछ प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। आइए जानते हैं...

भारतीय शेयर बाजार

फेड द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी तत्काल प्रभाव भारतीय शेयर बाजार में देखने को मिल सकता है। हो सकता है कि आने वाले कुछ समय में मुख्य सूचकांकों में दबाव दिखाई दे। ऐसा इसलिए, क्योंकि अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने के कारण विदेशी निवेशकों के लिए भारत में निवेश करना पहले के मुकाबले महंगा हो जाएगा।

भारत में ब्याज दर बढ़ सकती है

अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने का प्रभाव सितंबर के अंत में होने वाली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक में दिखाई दे सकता है। इससे आरबीआई पर ब्याज दर बढ़ाने का दबाव देखने को मिल सकता है। हाल ही में मॉर्गेन स्टेनली की एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें बताया गया था कि महंगाई के कारण आरबीआई ब्याज दरों में 50 बेसिस पॉइंट्स या फिर 0.50 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर सकता है।

रुपये की कीमत पर दबाव

फेड की ओर से ब्याज दर में बढ़ोतरी के साथ अमेरिकी निवेशक दुनिया के बाजारों से फंड को निकालकर अपने देश में ही निवेश कर सकते हैं। डॉलर इंडेक्स उच्चतम स्तर होने के कारण दुनिया की मुद्राओं के साथ- साथ आने वाले समय में भारतीय रुपये पर भी दबाव देखने को मिल सकता है। 

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