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सतत विकास लक्ष्य हासिल करने में उत्तराखंड व केरल सबसे आगे, बिहार सबसे पीछे, लेकिन असमानता दूर करने और पौष्टिक भोजन देने में नहीं रहा बेहतर प्रदर्शन

गरीबी दूर करने के मामले में देश ने काफी काम किया है और इस क्षेत्र में एसडीजी स्कोर वर्ष 2018 के 54 से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 72 हो गया। रिपोर्ट के मुताबिक भारत का कुल एसडीजी स्कोर वर्ष 2023-24 में 71 रहा जो वर्ष 2018 (आधार वर्ष) में सिर्फ 57 था। एसडीजी का कुल स्कोर 16 प्रकार के विभिन्न पैरामीटर में हासिल स्कोर के आधार पर तय होता है।

By Jagran News Edited By: Ankita Pandey Updated: Fri, 12 Jul 2024 09:42 PM (IST)
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सतत विकास लक्ष्य की दौड़ में बिहार सबसे पीछे Image - सतत विकास लक्ष्य
राजीव कुमार, नई दिल्ली। सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) हासिल करने के मामले में देश का कुल प्रदर्शन तो लगातार बेहतर हो रहा है, लेकिन आय की असमानता एवं अन्य असमानता को दूर करने में हमारा प्रदर्शन कमजोर दिख रहा है। वर्ष 2018 के मुकाबले विभिन्न प्रकार की असमानता के पैरामीटर में बढ़ोतरी हुई है।

गरीबी दूर करने के मामले में देश ने काफी काम किया है और इस क्षेत्र में एसडीजी स्कोर वर्ष 2018 के 54 से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 72 हो गया। लेकिन संतुलित व पौष्टिक भोजन मुहैया कराने के प्रदर्शन में एसडीजी स्कोर की बढ़ोतरी काफी धीमी रही। वर्ष 2018 में जीरो हंगर जिसमें संतुलित व पौष्टिक भोजन का पैरामीटर शामिल हैं, भारत का स्कोर 48 था जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर सिर्फ 52 तक ही पहुंच पाया।

एसडीजी की ताजा रिपोर्ट जारी

शुक्रवार को नीति आयोग की तरफ से एसडीजी की ताजा रिपोर्ट जारी की गई। रिपोर्ट के मुताबिक भारत का कुल एसडीजी स्कोर वर्ष 2023-24 में 71 रहा जो वर्ष 2018 (आधार वर्ष) में सिर्फ 57 था। एसडीजी का कुल स्कोर 16 प्रकार के विभिन्न पैरामीटर में हासिल स्कोर के आधार पर तय होता है।

इनमें गरीबी का खात्मा, कोई भूखमरी नहीं (जीरो हंगर), अच्छे स्वास्थ्य, अच्छी शिक्षा, लैंगिक समानता, स्वच्छ पानी व सफाई, सस्ता व स्वच्छ ईंधन, अच्छे काम व आर्थिक विकास, इनोवेशन व इंफ्रा का विकास, असमानता में कमी, शहर व समुदाय का विकास, जिम्मेदार उत्पादन व खपत, जलवायु परिवर्तन को रोकने की कार्रवाई, धरती पर जीवन, शांति, न्याय व मजबूत संस्था का विकास शामिल हैं।

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उत्तराखंड व केरल रहे आगे

रिपोर्ट के मुताबिक एसडीजी हासिल करने के मामले में राज्यों के बीच सबसे बेहतर प्रदर्शन उत्तराखंड व केरल का रहा जिन्होंने 79-79 अंक हासिल किए। मात्र 57 अंक हासिल कर बिहार सबसे पीछे रहा। उत्तर प्रदेश ने 67 अंक प्राप्त किए। केंद्रशासित प्रदेशों में चंडीगढ़ 77 अंक हासिल कर अव्वल रहा। दिल्ली 70 अंक के साथ पांचवें स्थान पर रहा।

रिपोर्ट के मुताबिक असमानता में कमी के मामले में देश का प्रदर्शन कमजोर हुआ है। वर्ष 2018 में असमानता कम करने के मामले में भारत का स्कोर 71 था जो वर्ष 2023-24 में घटकर 65 हो गया। नीति आयोग के सीईओ बी.वी. आर समुब्रह्मण्यम ने बताया कि असमानता वाले पैरामीटर में आय की असमानता भी शामिल है। उन्होंने कहा कि असमानता दूर करने के मामले में अभी काफी काम करने की जरूरत है। कई राज्यों का प्रदर्शन इस मामले में खराब रहा जिससे स्कोर में कमी आई है।

असमानता वाले पैरामीटर में आय की असमानता के साथ अनुसूचित जाति-जनजाति का विधान सभा में प्रतिनिधित्व, महिलाओं की पंचायती राज्य जैसी संस्था में हिस्सेदारी, प्रोफेशनल व टेक्नीकल कार्यों में महिला व पुरुष के बीच की असमानता को भी शामिल किया गया है। सुब्रह्मण्यम ने बताया कि संतुलित व पौष्टिक भोजन के मामले में हमारा प्रदर्शन इसलिए अच्छा नहीं रहा क्योंकि अब भी पांच साल से कम उम्र के 32.10 प्रतिशत बच्चों का वजन जरूरत से कम है। 35.50 प्रतिशत बच्चों की लंबाई कम है। 15-49 की आयु की महिलाओं का बाडी मास इंडेक्स 18.5 से कम है।

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