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अब नहीं रुलाएगी प्याज! सरकार ने खरीदा 71,000 टन का बफर स्टॉक, बताया कब तक कम होंगे दाम

शुक्रवार को देशभर में औसत प्याज खुदरा मूल्य 38.67 रुपये प्रति किलो था जबकि मॉडल मूल्य 40 रुपये प्रति किलो था। 20 जून तक केंद्र ने 70987 टन प्याज खरीदा है जबकि पिछले साल इसी अवधि में 74071 टन प्याज खरीदा गया था। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का कहना है कि अच्छे मानसून के साथ प्याज और दूसरी सब्जियों के दाम कम होने की उम्मीद है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Sat, 22 Jun 2024 04:28 PM (IST)
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अब मानसून पर टिकी हैं मंहगाई कम होने की उम्मीदें।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने 2024 में अब तक बफर स्टॉक के लिए 71 हजार टन खरीदा है। सरकार ने प्याज की कीमतों को काबू में रखने के लिए 5 लाख टन प्याज खरीदने का लक्ष्य रखा है और मौजूदा खरीदा उसी का हिस्सा है। सरकार ने उम्मीद जताई है कि देश के अधिकांश हिस्सों में अच्छे मानसून के साथ खुदरा कीमतों में कमी आएगी।

औसत प्याज खुदरा मूल्य 38.67 रुपये किलो

उपभोक्ता मामलों के विभाग के डेटा के मुताबिक, शुक्रवार को देशभर में औसत प्याज खुदरा मूल्य 38.67 रुपये प्रति किलो था, जबकि मॉडल मूल्य 40 रुपये प्रति किलो था। उपभोक्ता मामलों के विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 20 जून तक केंद्र ने 70,987 टन प्याज खरीदा है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 74,071 टन प्याज खरीदा गया था।

अधिकारी ने कहा, "इस साल प्याज की कीमतों को काबू में रखने के लिए खरीद की गति पिछले साल के बराबर है। हालांकि अनुमानित रबी उत्पादन में करीब 20 प्रतिशत की गिरावट आई है।" उन्होंने कहा कि सरकार मूल्य स्थिरीकरण के लिए 5 लाख टन के खरीद लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।

बफर स्टॉक का कब इस्तेमाल होगा?

अगर प्याज के भाव में एकाएक बड़ी तेजी आती है, तो उसे संभालने के लिए सरकार अपने बफर स्टॉक से प्याज जारी करने का विकल्प आजमाएगी। सरकारी अधिकारी का कहना है कि प्याज की कीमतों में वृद्धि 2023-24 में खरीफ, देर खरीफ और रबी में पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत की कमी के कारण है, क्योंकि प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में कम बारिश हुई है।

सरकार प्याज के भाव को नियंत्रित करने के लिए पिछले साल अगस्त से चरणबद्ध तरीके से उपाय कर रही है। इसमें 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क, अक्टूबर 2024 में 800 अमेरिकी डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) और 8 दिसंबर 2023 से निर्यात प्रतिबंध लगाना शामिल है, जिसमें कुछ समय पहले ढील दी गई। इन उपायों से प्याज की घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ कीमतों को ज्यादा बढ़ने से रोकने में मदद मिली है।

मानसून से होगा स्थिति में सुधार

अधिकारी ने कहा, "देश के बड़े हिस्से में अत्यधिक गर्मी से हरी सब्जियों का उत्पादन घटा है। इसका असर सब्जियों की कीमतों पर भी दिख रहा है। टमाटर, आलू और प्याज सहित सब्जियों की कीमतों में वृद्धि हुई है।" उन्होंने कहा कि देश के अधिकांश हिस्सों में मानसून की शुरुआत के साथ स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है।

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