बहुत से लोगों को लगता है कि ये सब एक ही हैं, लेकिन असल में इनमें बहुत अंतर है। आमतौर पर ईपीएफ और वीपीएफ उन लोगों के लिए बेहतर विकल्प हैं जो वेतनभोगी हैं, जबकि जानकार पीपीएफ खाते की सलाह उन लोगों को देते हैं, जो खुद का कारोबार करते हैं।
EPF, VPF और PPF के कराधान और निकासी के अलग-अलग नियमों को देखते हुए निवेशकों को फैसले लेते समय बहुत सजग रहना चाहिए। इस लेख में हम इन तीन योजनाओं की तुलना करेंगे और बताएंगे कि कौन-सी आपके लिए सबसे अच्छी है।
PPF क्या है
पीपीएफ एक दीर्घकालिक बचत योजना है, जो कर्मचारियों और खुद का रोजगार करने वाले व्यक्तियों के लिए उपलब्ध है। यह योगदान पर टैक्स कटौती, कर-मुक्त ब्याज आय और कर-मुक्त परिपक्वता राशि प्रदान करती है। पीपीएफ में 15 साल की लॉक-इन अवधि होती है, लेकिन एक विशिष्ट अवधि के बाद आंशिक निकासी और ऋण की अनुमति होती है। पीपीएफ, आंशिक निकासी के लचीलेपन के साथ लंबी अवधि की बचत की तलाश करने वाले व्यक्तियों के लिए बेहतर है।
क्या है VPF
VPF को एक तरह से EPF का विस्तार कह सकते हैं, जिससे कर्मचारी स्वेच्छा से अपने EPF खाते में अधिक राशि का योगदान कर सकते हैं। वीपीएफ के लिए कर और निकासी नियम
ईपीएफ के समान हैं। वीपीएफ उन व्यक्तियों के लिए फायदेमंद है, जो ईपीएफ में जमा किए जाने वाले पैसे को बढ़ाकर अपनी सेवानिवृत्ति बचत को बढ़ाना चाहते हैं।
EPF किनके लिए
यदि आप कर्मचारी हैं, तो ईपीएफ अनिवार्य है। यदि आप अपने ईपीएफ खाते में अतिरिक्त धनराशि का योगदान करना चाहते हैं तो आप वीपीएफ पर विचार कर सकते हैं।
क्या है इन योजनाओं की पात्रता
EPFO (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम 1952 के माध्यम से स्थापित) के तहत पंजीकृत संगठनों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए ईपीएफ अनिवार्य है, जबकि वीपीएफ और पीपीएफ दोनों गैर-वेतनभोगी सहित सभी व्यक्तियों के लिए खुले हैं।
किसमें कितना अंशदान
EPF में कर्मचारी के मूल वेतन और महंगाई भत्ते को जोड़कर योगदान किया जाता है और नियोक्ता भी इसके बराबर भुगतान करने के लिए बाध्य है, जबकि VPF और
PPF दोनों योगदान स्वैच्छिक हैं। केवल वेतनभोगी व्यक्ति वीपीएफ के लिए साइन अप कर सकते हैं, जबकि वेतनभोगी और गैर-वेतनभोगी दोनों व्यक्ति पीपीएफ में योगदान कर सकते हैं।
टैक्स बेनिफिट्स और रिटर्न्स
तीनों स्कीम्स को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत टैक्स बेनिफिट्स दिए गए हैं। हालांकि, ईपीएफ बैलेंस पर 10% टीडीएस काटा जाता है, अगर इसे 5 साल की सेवा पूरी होने से पहले निकाला जाता है और ये राशि 50000 रुपये से ऊपर है। रिटर्न के संदर्भ में, EPF और VPF दोनों समान ब्याज दर प्रदान करते हैं, जो वर्तमान में 8.15% प्रति वर्ष है। पीपीएफ 7.1% की दर से सालाना चक्रवृद्धि ब्याज दर प्रदान करता है।
निकासी के नियम
ईपीएफ कुछ शर्तों के अधीन आंशिक और पूर्ण निकासी विकल्प प्रदान करता है। पीएफ पूर्ण निकासी की अनुमति देता है। ये केवल 5 साल पूरे होने के बाद और लॉक-इन अवधि से पहले निकालने पर कर योग्य होता है, जबकि पीपीएफ में 15 साल की लॉक-इन अवधि होती है, जिसके बाद आंशिक निकासी की अनुमति होती है।EPF/VPF से कुल निकासी 58 साल की उम्र के बाद ही की जा सकती है। विवाह, मेडिकल, घर बनाने और शिक्षा जैसे उद्देश्यों के लिए 58 वर्ष से पहले आंशिक निकासी की अनुमति है। संशोधित नियमों के अनुसार, एक महीने की बेरोजगारी के मामले में 75% तक निकासी की जा सकती है।
पहले योगदान की तारीख से कम से कम पांच साल पूरे होने से पहले अगर पैसा निकालते हैं तो वह कर योग्य होगा। पांच साल की अवधि में पिछली कंपनी में किया गया काम भी शामिल है। पांच साल के बाद की गई निकासी पर टैक्स से छूट मिलती है। पीपीएफ खाता खोलने की तारीख से 6 साल बाद धन निकासी की अनुमति देता है।
फायदे और नुकसान
ईपीएफ रिटर्न की गारंटी दर प्रदान करता है और जोखिम मुक्त है। ये इसे सेवानिवृत्ति योजना के लिए एक आदर्श इन्वेस्टमेंट टूल बनाता है, क्योंकि अंशदान प्रतिशत निश्चित होता है और यह कर्मचारी और नियोक्ता, दोनों द्वारा अनिवार्य रूप से देय है।
VPF केवल वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए है और नियोक्ता समान राशि का योगदान करने के लिए उत्तरदायी नहीं है। पीपीएफ उच्च ब्याज दर प्रदान करता है और सभी व्यक्तियों के लिए खुला है, लेकिन इसमें लंबी लॉक-इन अवधि होती है और ये सीमित निकासी विकल्प के साथ आते हैं। इनमें नियोक्ता की कोई भागीदारी नहीं है।सही भविष्य निधि योजना का चयन करना आपके व्यक्तिगत वित्तीय लक्ष्यों और परिस्थितियों पर निर्भर करता है। यदि आप एक वेतनभोगी व्यक्ति हैं, जो जोखिम मुक्त निवेश साधन की तलाश कर रहे हैं, तो ईपीएफ और वीपीएफ बेहतरीन विकल्प हैं। अगर आप खुद का बिजनेस करते हैं, तो पीपीएफ अच्छा विकल्प है, बशर्ते कि आप लंबी लॉक-इन अवधि के साथ सहज हों। आखिरकार, प्रत्येक योजना के अपने फायदे और नुकसान हैं, इसलिए निर्णय लेने से पहले इन कारकों को तौलना महत्वपूर्ण है।
टैक्सेशन के नियम
जब टैक्स की बात आती है तो,
EPF और VPF कॉन्ट्रिब्यूशन धारा 80C के तहत टैक्स डिडक्शन के लिए पात्र हैं, जबकि PPF योगदान पूरी तरह से कर-कटौती योग्य है। ईपीएफ और पीपीएफ पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स नहीं लगता, जबकि वीपीएफ ब्याज कर योग्य है। पीपीएफ लंबी अवधि की टैक्स सेविंग और पैसा बढ़ाने के लिए एक उपयुक्त विकल्प है, जबकि ईपीएफ और वीपीएफ लंबी अवधि की सेवानिवृत्ति बचत के लिए सही हैं।