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वॉरेन बफे की कंपनी ने एपल में 50 फीसदी तक घटाई हिस्सेदारी, क्या मंदी के डर से बेचे शेयर?

वॉरेन बफे ने ऐसे वक्त में शेयर बेचे थे जब SP-500 इंडेक्स ने जुलाई के दौरान अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर को छुआ था। हालांकि अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े शेयर थक रहे हैं। उनमें लगातार करेक्शन भी हो रहा है। पिछले 3 हफ्तों से इंडेक्स लगातार गिरावट के साथ बंद हुआ है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था से जुड़ी चिंताओं के चलते शेयर मार्केट लगातार फिसल रहा है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Sun, 04 Aug 2024 12:56 PM (IST)
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कई आर्थिक जानकार अमेरिका में मंदी आने की आशंका जता रहे हैं।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी अरबपति और दिग्गज निवेशक वॉरेन बफे (Warren Buffett) की कंपनी बर्कशायर हैथवे इंक (Berkshire Hathaway Inc) ने आईफोन और मैकबुक बनाने वाली एपल (Apple) में अपनी हिस्सेदारी को करीब 50 फीसदी तक कम कर लिया है। इस भारी बिकवाली की बदौलत वॉरेन बफे के पास मौजूद कैश भंडार अब 276.9 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।

कई और कंपनियों में बेची हिस्सेदारी

कई आर्थिक जानकार अमेरिका में मंदी आने की आशंका जता रहे हैं। पिछले कुछ कारोबारी सत्र के दौरान अमेरिकी शेयर मार्केट में भारी गिरावट भी आई है। इस बात को शायद वॉरेन बफे पहले ही भांप लिया था और उन्होंने पिछली तिमाही में कई कंपनियों में हिस्सेदारी घटाने और अपना कैश भंडार बढ़ाने पर फोकस किया।

बर्कशायर हैथवे ने शनिवार (3 अगस्त) को बताया कि उसने दूसरी तिमाही के दौरान कई कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेची है। इससे कंपनी को कुल 75.5 अरब डॉलर मिले हैं। हालांकि, बर्कशायर हैथवे ने यह साफ नहीं किया कि उसने एपल में कितने शेयर बेचे हैं।

मंदी की आशंका से पहले बिक्री

वॉरेन बफे ने ऐसे वक्त में शेयर बेचे थे, जब S&P-500 इंडेक्स ने जुलाई के दौरान अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर को छुआ था। हालांकि, अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े शेयर थक रहे हैं। उनमें लगातार करेक्शन भी हो रहा है। पिछले 3 हफ्तों से इंडेक्स लगातार गिरावट के साथ बंद हुआ है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था से जुड़ी चिंताओं के चलते शेयर मार्केट लगातार फिसल रहा है।

बफे ने मई में शेयरधारकों की बैठक में कहा था कि उन्होंने अमेरिकन एक्सप्रेस कंपनी और कोका-कोला में भी निवेश कर रखा है। लेकिन, एपल कहीं बेहतर बिजनेस वाली कंपनी है। उस वक्त बफे ने कहा था कि एपल उनके पोर्टफोलियो की टॉप होल्डिंग्स कंपनी बनी रहेंगी। ऐसे में कई जानकार समझ नहीं पा रहे कि बफे ने एपल में अपनी हिस्सेदारी क्यों घटाई है।

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