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F&O Trading: क्या है फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग, जो 10 में से 9 निवेशकों को करती है कंगाल

कोरोना के बाद शेयर मार्केट में निवेश करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। 2019 से 2024 के बीच शेयर मार्केट में पैसा लगाने वालों की संख्या तीन गुनी हो गई है। इनमें से अधिकतर नौजवान हैं जिन्हें निवेश का अनुभव नहीं होता और वे जल्द से जल्द अमीर बनना चाहते हैं। इसलिए वे दांव लगाते हैं फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग में जो उन्हें कंगाल बना देती है।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Sat, 20 Apr 2024 12:56 PM (IST)
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SEBI के मुताबिक, फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग करने वाले 10 में से 9 निवेशक नुकसान में रहे हैं।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। आज भी ऐसे लोगों की तादाद बहुत अधिक है, जो शेयर बाजार को जुआ मानते हैं। मतलब कि अगर आपकी किस्मत अच्छी है, तो शेयर मार्केट राजा बना देगा, नहीं तो फिर भिखारी। लेकिन, शेयर मार्केट ट्रेडिंग के बारे में यह बात पूरी तरह सही नहीं है। यहां उतार-चढ़ाव कुछ खास चीजों पर निर्भर करता है, जिसके बारे में अनुभवी ट्रेडर आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं।

लेकिन, शेयर बाजार के ही एक हिस्से फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग (Future & Options Trading) के बारे में कई मार्केट एक्सपर्ट भी कहते हैं कि यह एक तरह का जुआ है। मुंबई के मशहूर मनी मैनेजर सिद्धार्थ भैया ने पिछले साल कहा था कि ऑप्शन ट्रेडिंग ने शेयर बाजार को बिना ग्लैमर वाला 'लास वेगास' बना दिया। दरअसल, अमेरिका का लास वेगास शहर महंगे जुए के लिए मशहूर है।

यहां तक कि मार्केट रेगुलेटर SEBI तक ने अपनी स्टडी में कहा है कि फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग करने वाले 10 में से 9 निवेशक नुकसान में रहे हैं। अब सवाल उठता है कि अगर ऐसा है, तो निवेशक फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग के पीछे क्यों भागते हैं? आइए इसका जवाब जानते हैं, लेकिन उससे पहले समझ लेते हैं कि फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग आखिर क्या बला है?

फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है?

फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O) दरअसल डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट होते हैं। इसमें निवेशकों को सहूलियत मिलती है कि वे कम पूंजी के साथ किसी स्टॉक, कमोडिटी, करेंसी में बड़ी पोजिशन ले सकते हैं। इसमें जितना ज्यादा मुनाफे की गुंजाइश रहती है, जोखिम भी उतना अधिक होता है। यही वजह है कि इसमें कभी तेजी से पैसों का महल बनता है, तो कई बार आपका पैसों का महल रेत की तरह ढह भी जाता है।

फ्यूचर्स और ऑप्शन जैसे डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट की अपनेआप में कोई वैल्यू नहीं। अब जैसे कि आप किसी शॉप में बर्गर ऑर्डर करते हैं, जिसका दाम 200 रुपये हो। वहां आपको एक टोकन मिल जाए, जिसे काउंटर पर देकर आप बर्गर ले सकें। मतलब कि वह टोकन डेरिवेटिव है, जिसकी अपनी कीमत कुछ नहीं, लेकिन आप वहां उससे 200 रुपये का बर्गर खरीद सकते हैं।

यही चीज फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग में भी है। जब भी आप इसके माध्यम से कोई शेयर लेते हैं, तो यह डेरिवेटिव उस शेयर की वैल्यू के बराबर हो जाता है। डेरिवेटिव कॉन्ट्रेक्ट एक तय अवधि के लिए जारी होते हैं और इस दौरान इनका दाम शेयर की प्राइस के हिसाब से बदलता रहता है।

F&O ट्रेडिंग कैसे होती है?

ऑप्शन ट्रेडिंग को समझने के लिए मान लीजिए कि एक चीनी बनाने वाली कंपनी है, माया शुगर। इसके शेयर 100 रुपये में मिल रहे हैं। लेकिन, आपको पता चल गया है कि सरकार इथेनॉल बनाने के लिए चीनी का इस्तेमाल करने वाली है और इससे माया सुगर के शेयर कुछ समय में 200 रुपये तक पहुंच जाएंगे।

अब आपको एक निवेशक मिलता है राहुल, जिसके पास माया सुगर के 6,000 शेयर है, लेकिन उसे इथेनॉल वाली बात नहीं पता। उल्टे राहुल को लगता है कि यह शेयर गिर सकता है। अगर आप शेयर मार्केट से माया सुगर के 6,000 शेयर खरीदने जाएंगे, तो आपको 6 लाख रुपये देने होंगे।

लेकिन, आपके पास इतने पैसे नहीं हैं। ऐसे में आप राहुल से कॉन्टैक्ट करते हैं कि भाई मैं तुमसे 120 रुपये शेयर के हिसाब से माया शुगर का शेयर खरीद रहा हूं, मगर पूरे पैसे महीने के आखिर में दूंगा। अभी तुम ये 10 रुपये शेयर के हिसाब से एडवांस रख लो।

मतलब कि आपने सिर्फ 60 हजार रुपये में 6 लाख रुपये के शेयर खरीद लिए। शेयर बेचने में राहुल को भी कोई हर्ज नहीं होगा, क्योंकि एक तो उसे मार्केट रेट से प्रति शेयर 20 रुपये ज्यादा मिलने वाले हैं, दूसरे उसे लगता है कि यह स्टॉक गिरने वाला है।  

आपने जिस दाम पर राहुल से शेयर का सौदा किया, उसे कहते हैं स्ट्राइक प्राइस। जो 10 रुपये एडवांस दिया, वह होता है प्रीमियम। और आपने जो एक महीने की मोहलत ली, वह कहलाती है एक्सपायरी डेट, जो अमूमन महीने का आखिरी गुरुवार होता है।

अब अगर आपकी उम्मीद के मुताबिक माया शुगर का दाम 200 रुपये तक बढ़ता है, तो आप उसे राहुल से खरीदकर बेच सकते हैं। आपने शेयर 120 के स्ट्राइक प्राइस पर खरीदा था और 10 रुपये का प्रीमियम दिया था यानी 130 रुपये काटने के बाद आपको एक शेयर पर 70 रुपये और कुल 6 हजार शेयरों पर 4 लाख 20 रुपये का मुनाफा मिल जाएगा।

अब मान लीजिए कि शेयर बढ़ने के बजाय गिर जाता है, तो आप उसे खरीदने से मना कर दीजिए। इस सूरत में आपको सिर्फ 60 हजार रुपये का ही नुकसान होगा। फ्यूचर ट्रेडिंग भी कमोबेश ऐसी ही होती है, लेकिन उसमें शेयर गिरे या उठे, आपको उसे खरीदना ही होता है। वहां पर आपको ऑप्शन ट्रेडिंग जैसा खरीदने या ना खरीदने का विकल्प नहीं मिलता।

F&O में दिक्कत कहां है?

माया शुगर वाली मिसाल से आपको लग रहा होगा कि यह तो बड़ी अच्छी बात है कि 6 लाख का शेयर 60 हजार रुपये में खरीदकर तगड़ा मुनाफा कमा सकते हैं। अगर शेयर नहीं बढ़ेगा, तो नुकसान भी क्या होगा बस 60 हजार रुपये का। लेकिन, ऐसा सोचने वाले आप सिर्फ अकेले नहीं, जो लोग फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग लाखों रुपये गंवाते हैं, उनकी भी यही सोच होती है।

आपको लगता है कि इस शेयर की ऑप्शन ट्रेडिंग में फायदा नहीं हुआ, लेकिन अगले में हो सकता है। बस एक ही दांव लगने की बात है, फिर आप मालामाल हो जाएंगे। कई लोग इसे ईगो पर भी ले लेते हैं कि मेरी शेयर मार्केट की समझ इतनी अच्छी है। इस बार फायदा नहीं हुआ, तो क्या हुआ। अगली बार हो जाएगा, ठीक जैसा कि लोग जुए में सोचते हैं कि यह दाव नहीं लगा, तो अगला सही।

फिर लोग कम पैसों में अमीर बनने के लिए तब तक फ्यूचर एंड ऑप्शन में ट्रेडिंग करते रहते हैं, जब तक कि उनकी सारी जमा पूंजी ना लुट जाए।

F&O ट्रेडिंग में क्यों कंगाल होते हैं निवेशक?

कोरोना के बाद शेयर मार्केट में निवेश करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। अगर 2019 से 2024 के बीच की बात करें, तो शेयर मार्केट में पैसा लगाने वालों की संख्या तीन गुनी हो गई है। इनमें से अधिकतर नौजवान हैं, जिन्हें निवेश का अनुभव नहीं होता और वे जल्द से जल्द अमीर बनना चाहते हैं। उनके अंदर जोखिम लेने की क्षमता भी अधिक होती है, इसलिए वे दांव लगाते हैं फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग में।

लेकिन, फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग शेयर मार्केट की सबसे जटिल विधा है। अगर आप वीडियो गेम की मिसाल ही लीजिए, तो उसमें तीन लेवल होते हैं- आसान, मध्यम कठिन और कठिन। अगर आप शुरुआत ही कठिन लेवल से करेंगे, तो आप हारते रहेंगे और परेशान होकर खेल छोड़ देंगे। लेकिन, अगर आसान से शुरुआत करके उसे सीखते हैं और धीरे-धीरे कठिन लेवल की ओर बढ़ते हैं, तो आपके हारने का जोखिम कम होता रहेगा और आप खेल का पूरा मजा भी ले जाएंगे।

यही चीज शेयर बाजार के साथ भी है। अगर आपको निवेश करना है, तो पहले फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लेकर लॉन्ग टर्म के लिए निवेश कीजिए। शेयर मार्केट की बारीकियों को समझिए। फिर जैसे-जैसे आपकी समझ बढ़े, उसी हिसाब से अपने निवेश का दायरा भी बढ़ाइए। और फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग जैसे कठिन लेवल से सबसे आखिर में पार पाने की कोशिश कीजिए, जब आपको इस खेल में महारत हासिल हो जाए।

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